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416 / जैन समाज का वृहद् इतिहास
अपनी सामाजिक सेवाओं के कारण सारे भारत की जैन समाज में प्रसिद्ध थे अ.भा. दि. जैन महासभा एवं भारतवर्षीय दिगम्बर जैन खण्डेलवाल महासभा के वे वर्षों तक कर्णधार रहे। वर्तमान में दि. जैन महासमिति के अध्यक्ष श्री रतनलाल जी गंगवाल उन्हीं के वंश में से हैं। यहां के श्री कन्हैयालाल जी सेठी वर्षों तक यहां की नगर पालिका के चेयरमैन रहे और लाडनूं के विकास में बहुत योगदान दिया ।
यहां का दि. जैन बड़ामंदिर अपनी प्राचीनता एवं भव्यता के कारण राजस्थान भर में प्रसिद्ध है। उसमें 11 वीं 12 वीं शताब्दी तक कलापूर्ण प्राचीन जिन प्रतिमायें, सरस्वती, आराधिका एवं 16 विद्यादेवियों की मूर्तियां, तोरण, स्तम्भ लेख तथा सैकड़ों पाण्डुलिपियों से युक्त शास्त्र भंडार विद्यमान है। मंदिर के खंभों पर लेख संवत् 1103 का है। भगवान शांतिनाथ की मूर्ति पर संवत् 1136 आषाढ सुदी 8 अंकित हैं । जैन सरस्वती की श्वेत संगमरमर से निर्मित संवत् 1219 वैशाख सुदी 3 का है। लाडनूं में जब अब भी खुदाई हुई है वहां कुछ न कुछ पुरातत्व की प्राचीन सामग्री निकली हैं।
श्री दि. जैन बड़ा मंदिर के अतिरिक्त श्री सुखदेव आश्रम दर्शनीय है। सन् 1958 में इसकी प्रतिष्ठा हुई थी 1 यह मंदिर सुखदेव जी गंगवाल के सुपुत्रों द्वारा निर्मित है। श्री दिगम्बर जैन नशिया मंदिर रेल्वे स्टेशन के पास है यह केसरीचंद, निहालचंद अग्रवाल द्वारा निर्मित है। श्री दि. जैन बगडा मंदिर- दीपचन्द जी बगड़ा द्वारा बनवाया हुआ है । श्री चन्द्रसागर स्मारक मंदिर भी दर्शनीय हैं। लाडनूं में चार शिक्षण संस्थायें, पांच समाजसेवी संस्थायें एवं सार्वजनिक संस्थायें हैं ।
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लाडनूं में संवत् 549 से संवत् 2041 तक 32 पंचकल्याणक प्रतिष्ठायें सम्पन्न हो चुकी हैं। एक ही नगर में इतनी संख्या में प्रतिष्ठा होना इतिहास की प्रथम घटना है।
डेह :
नागौर से 30 कि.मी. दूरी पर डेह प्राचीन नगर है जिसमें सरावगी समाज की अच्छी बस्ती है। इस गांव ने समाज नेता पैदा किये हैं। बड़े-बड़े धनाढ्यों को पैदा किया है तथा धार्मिक जीवन बिताने वालों को पैदा किया है। यहां के सेठी परिवार में श्री निर्मलकुमार जी सेटी अध्यक्ष दि. जैन महासभा, डूंगरमल जी गंगवाल डीमापुर, जैसे समाजसेवियों के नाम विशेषतः उल्लेखनीय हैं। यहां का सबलावत परिवार सभी ओर बिखरा हुआ है। श्री डूंगरमल जी सबलावत, सागरमल जी सबलावत प्रसिद्ध समाजसेवी हैं। डेह में कितने ही साधु-संतों ने विहार किया है। आचार्य महावीर कीर्ति जी महाराज आचार्यकल्प चन्द्रसागर जी महाराज के नाम उल्लेखनीय हैं। यहां का चन्द्रप्रभु स्वामी का मंदिर विशाल एवं मनभावन है ।
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विशेष अध्ययन के लिये देखिये लाडनूं के जैन मंदिर का कलावैभव लेखक डा. फूलचन्द जैन प्रेमी । खण्डेलवाल जैन समाज का वृहद् इतिहास लेखक डा. कस्तूरचंद कासलीवाल पू.स. 189-90