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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /393
श्री उत्तमचंद जैन निर्खी
कोटा जैन समाज व व्यापारी वर्ग के जाने पहचाने निर्खी परिवार में श्री उत्तमचंद निख का जन्म 26 जून, 1946 को हुआ। आप क्योंकि निर्खी परिवार के पहले पुत्र हुये । इसलिये आपका लालन पालन बड़े ही प्यार से हुआ। निर्खी जी के पिता श्री सुगनचंद जी एवं ताऊ श्री नेमिचंद जी की देखरेख में जैन धर्मशाला एवं छात्रावास का निर्माण हुआ। आप युवावस्था से ही समाज के सामाजिक धार्मिक एवं प्रत्येक प्रकार के कार्यों में रुचि लेते रहे हैं। वर्तमान में आप दि. जैन अतिशय क्षेत्र चांदखेड़ी व केशोरायपाटन की कार्यकारिणी के सदस्य, अकलंक माध्यमिक विद्यालय के कोषाध्यक्ष, वर्धमान नवयुवक मंडल के अध्यक्ष व दिग. जैन समाज
कोटा के मंत्री हैं। आप रामपुरा दिगम्बर जैन समाज के युवावर्ग के तो संरक्षक ही हैं तथा अखिल भारतवर्षीय दिग. जैन युवा परिषद कोटा शाखा के आप प्रारंभ से ही अध्यक्ष है
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स्व. श्री सरदारमल जी पांड्या की वृद्धावस्था के पश्चात् श्रीमती सूरजवाई दि. जैन छात्रावास के व्यवस्थापक के रूप में गत 8-9 वर्षों का कार्य बड़ा दी है । अता की व्यवस्था बड़ी ही सुचारु व बिना किसी विघ्न बाधा के चल रही है। महाराज श्री को कोटा में चातुर्मास हेतु लाने का बहुत कुछ श्रेय आपको व युवा परिषद के सदस्यों को है जिन्होंने कि निवाई चातुर्मास से ही महाराज जी से कोटा चातुर्मास करने हेतु प्रत्येक स्थान पर जैसे निवाई, टॉक, शिवाड़, बौंली जाकर निवेदन किया। आप चातुर्मास समिति के मंत्री हैं। निर्खीजी नागरिक सहकारी बैंक कोटा में गत 15 वर्षों से सैन्ट्रल एकाउन्टेन्ट के पद पर कार्यरत हैं । दि. जैन सरावगी खण्डेलवाल समाज में कुरुतियों को दूर करने हेतु हाडौतो व टौंक क्षेत्र में चालू किये गये सामूहिक विवाह सम्मेलन में भी आपका बहुत बड़ा योगदान रहा है I
श्री उत्सवलाल जैन रजलावतावाला
श्री उत्सवलाल जी जैन अपने ढंग के अनूठे समाजसेवी हैं। धुन के पक्के एवं समाज सेवा में समर्पित रहने वाले श्री जैन का जन्म 11 मई, 1939 को हुआ। मैट्रिक पास करने के पश्चात् आप राज्य सेवा में चले गये और अध्यापक के पद पर कार्य करने लगे । आपका जीवन विविधताओं से भरा हुआ है। सन् 1958-59 में आपने विनोबा भावे के साथ राजस्थान में पदयात्रा की। इसके पूर्व सन् 1956 से 61-62 तक खादी ग्रामोद्योग सेवा सदन भीलवाड़ा में कार्य किया। सन् 1964 में ए.सी.सी आफिसर्स की ट्रेनिंग प्राप्त की । सन् 1964 में स्काउट मास्टर की ट्रेनिंग प्राप्त की। सन् 1970 में दि. जैन नवयुवक मंडल के माध्यम से नैनवां में नौ दिवसीय शिक्षण शिविर का आयोजन किया। सन् 1980 के जून मास में श्री चन्द्रसागर दि.
जैन बाल मंदिर की स्थापना की जिसके आप स्थापना काल से ही अध्यक्ष हैं। इस विद्यालय में वर्तमान में 3000 से अधिक छात्र अध्ययन कर रहे हैं।