________________
412/ जैन समाज का बृहद् इतिहास
मारवाड़ प्रदेश का जैन समाज एवं यशस्वी समाज सेवी
पूर्व इतिहास:- मारवाड़ प्रदेश में मुख्य जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर एवं शेखावाटी के भाग आते हैं। राजस्थान बनने के पर्व शेरावाटी जयपर राज्य का अंग था तथा शेष तीनों स्वतंत्र स्टेट्स थी और उनकी अलग-अलग सीमायें थी । ये सभी प्रदेश रेगिस्तानी प्रदेश हैं । आवागमन के बहुत ही सीमित साधन हैं । पानी की बड़ी कमी है और कहीं-कहीं तो कोसों तक पानी नहीं मिलता। लेकिन जैन धर्म के प्रचार-प्रसार की दृष्टि से यह प्रदेश सदैव उर्वरक माना जाता रहा । इस प्रदेश में साधु संतों का खूब विहार होता रहा। यहां के शासकों द्वारा जैन मंदिरों की व्यवस्था के लिये दिये जाने वाले संवत् 1167 से 1322 तक के दानपत्रों के सैकड़ों उदाहरण मिलते हैं । साहित्य निर्माण का कार्य भी अबाध गति से चलता रहा यही नहीं मारवाड़ के कितने ही जैन मंदिर स्थापत्य कला की दृष्टि से विश्व में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं।
नागौर इस प्रदेश का प्रमुख स्थान है । यह नगर प्रारंभ से ही दिगम्बर जैन समाज का प्रमुख केन्द्र रहा । भट्टारक जिनचन्द्र के शिष्य रलकीर्ति ने यहाँ स्वतंत्र रूप से भट्टारक गादी की स्थापना की । इस पट्ट पर एक के पश्चात् दूसरे भट्टारक होते रहे । नागौर का ग्रंथ संग्रहालय सारे राजस्थान में विशाल एवं समृद्ध है । 15-16 वीं शताब्दि मे यहाँ संस्कृत कवि मेधावी हुआ जिसने संवत् 1541 में इसी नगर में धर्मसंग्रहश्रावकाचार की रचना की
थी।
वर्तमान इतिहास:
मारवाड़ में नागौर जिला, सीकर जिला, झंझुनू जिला, लाडनूं, सुजानगढ, मेडतासिटी, जैसे नगरों को लिया गया है । इन सब जिलों एवं नगरों तथा गाँवों में खण्डेलवाल जैनों के ही घर हैं । अग्रवाल जैन समाज की जनसंख्या बहुत सीमित है। सीकर जिला:
सीकर जिले में फतहपुर, लक्ष्मणगढ़, दांतारामगढ़, नीम का थाना, सीकर, श्री माधोपुर की तहसीलें हैं। खण्डेलवाल जैनों का उदभव स्थान खंडेला भी सीकर जिले में ही है । लेकिन वहां कोई जैन परिवार नहीं रहता। अब खंडेला विकास समिति द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार एवं धर्मशाला का निर्माण हुआ है । सन् 1981 की जनगणना में सीकर जिले की जनसंख्या 7050 थी । तहसील एवं नगर के अनुसार निम्न प्रकार जनसंख्या के आंकड़े थे :फतहपुर नगर
559
रामगढ़ नगर - 56 लक्ष्मणगढ नगर
46 लक्ष्मणगढ तहसील .
158 सीकर तहसील
3231
नीम का थाना तहसील) सीकर नगर
2150
• नीम का थाना श्री माधोपुर (तहसील) - 646
रींगस दांतारामगढ़ (तहसील) - 209n
इस जिले में 28-30 गांवों में जैनों के घर मिलते हैं। लेकिन फतेहपुर के अतिरिक्त अन्य सभी गांवों में खण्डेलवाल जैनों के ही घर हैं। सीकर शहर में सबसे अधिक जैन घरों की बस्ती है जिनकी संख्या 300 होगी ।
208