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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /407
हैं। आपकी माताजी श्रीमती चन्द्रदुलारी है । आपका विवाह श्रीमती मन्जूलता के साथ दि.9 मार्च सन् 1974 को संपन्न हुआ। जिनसे आपको तीन पुत्रियां विनीता,ममता, टीना एवं एक पुत्र गुणवन्त के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है। सभी बच्चे अध्ययन कर रहे हैं।
पाटोदी बहुत ही उत्साही युवक हैं । अपने ग्राम किशनगंज के मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया है तथा उसकी देखभाल करते हैं। विद्यार्थी जीवन में आप कॉलेज यूनियन के अध्यक्ष रहे तथा उस समय में आपको लेख वगैरह लिखने में बहुत रुचि रहती थी । वर्तमान में आगाएं नागरिक सहकारीको अलमे अक्ष हैं। और युवा मंडल बारां के परामर्शदाता भी रह चुके हैं।
पता- श्री जी का चौक,बारां (बारा) राज. श्री रतनकुमार बज
बारां के प्रसिद्ध समाजसेवी श्री हजारीलाल जी बज के सुपुत्र श्री रतनलाल जी बज का जन्म 13 दिसम्बर सन् 1933 को हुआ । मैट्रिक एवं व्यापार विशारद करने के पश्चात् आप जनरल मर्चेन्ट का व्यवसाय करने लगे। सन 1952 में आपका विवाह श्रीमती सन्तोष देवी के साथ सम्पन्न हुआ। आपको तीन पुत्र नूतन कुमार ,मनोज कुमार एवं जम्बूकुमार तथा पांच पुत्रियां रजीन, प्रभा,नगेन्द्रबाला,अमिता एवं सुमन के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है। सभी
-पुत्र उच्च शिक्षित हैं इसी तरह पुत्रियां एम.ए. हैं तथा सभी का | विवाह हो चुका है।
आपके पिताजी से लेखक का बहुत पत्र व्यवहार रहता था । वे बारां पंचकल्याणक की व्यवस्था समिति के संयोजक थे । बे 15-20 वर्ष तक नगर परिषद् के सदस्य रहे । श्री रतनलाल जी बज अपने पिताजी के पद चिन्हों पर चल रहे हैं। वर्तमान में आप महावीर जैन औषधालय के सेक्रेटरी,खुदरा किराना विक्रेता संघ के अध्यक्ष एवं खण्डेलवाल जैन समाज के उपाध्यक्ष हैं । आपकी धर्मपत्नी श्रीमती सन्तोष देवी भी महिला मंडल बारां की अध्यक्ष तथा सांस्कृतिक
कार्यक्रमों में रुचि लेती हैं। श्रीमती संतोष देवी
पता:- हजारीलाल हीरालाल जैन,जनरल मर्चेन्ट्स,बारां
श्री राजमल लुहाडिया
रामगंजमंडी नगर बसने के साथ-साथ झालरापाटन से आकरबसने वाले श्री नन्दलाल माणकचन्द समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। उन्हीं के घर में कार्तिक शुक्ला 2 संवत् 1984 (सन 1927) को जन्में श्री राजमल जी लुहाडिया ने सन 1970 में मैट्रिक किया और फिर पिताजी के साथ आढत बारदाना का कार्य करने लगे । संवत् 2000 में आपका विवाह सुन्दरबाई जी के साथ हो गया। जिनसे आपको 4 पुत्र एवं तीन पुत्रियों की प्राप्ति हुई । आपके पितामह चार प्रतिमा के धारी थे तथा उन्होंने 40 वर्ष तक नियमित जीवन व्यतीत किया। आपका स्वर्गवास 4 सितम्बर सन् 1967 को हो गया। उसके पश्चात् दिनांक 13.11.1974 को