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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज 1351
आपका विवाह मारोठ निवासी श्री लालचंद जी गोधा की सुपुत्री श्रीमती सुवादेवी के साथ फाल्गुण सुदी 8 सं.1993 को संपन्न हुआ | आपको तीन पुत्र एवं एक पुत्री के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपका सबसे बड़ा पुत्र स्वरूपचंद एम.ए. हैं। उसकी पत्नी का नाम मंजू है जो भी बी.ए. है । इन्दौर में शांति रोडवेज का कार्य संभालते हैं। एक पुत्र एवं एक पुत्री से सुशोभित है। दूसरे पुत्र अशोक कुमार बी.एससी. हैं। उनकी पत्नी संतोष देवी तीन पत्रियों की माँ है। तीसरा पत्र धर्मचंद एम.एससी. है। पत्नी का नाम मंजू है । एक पुत्र एवं एक पुत्री से अलंकृत है । पंजाब नेशनल बैंक में कार्यरत है।
श्री कामदार जी कुचामन,श्री महावीर जी एवं जयपुर के पंचकल्याणकों में इन्द्र के पद से अलंकृत हो चुके हैं । शांति वीर जैन गुरुकुल की स्थापना एवं उसके विकास में प्रमुख योगदान रहा है । सन् 1981 में भगवान बाहुबली की विशाल यात्रा संघ का संचालन कर चुके हैं । यह यात्रा संघ इतिहास की कहानी बन चुका है।
पता: मु.पो.जोबनेर,जयपुर श्री रतनलाल बोहरा
मोजमाबाद के प्रसिद्ध बोहरा परिवार में श्रावण शुक्ला 13 संवत्-1977 को जन्मे श्री रतनलाल जी बोहरा विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी हैं । आपके एक बड़ी बहन व चार अनुज प्राता है जो सभी धर्मप्रेमी व सम्पन्न हैं व सभी का अलग-अलग व्यवसाय है । आपके पिता श्री फूलचंद जी बोहरा का निधन 8 वर्ष पूर्व ही हुआ था उस समय उनकी आयु 92 वर्ष की थी आपकी माताजी श्रीमती दाखा देवी का इनके पूर्व स्वर्गवास हो गया था। आपने सन् 1936 में वर्नाक्यलर फाइनल 8वीं कक्षा पास की व इसी वर्ष पटवार पास करके करीब डेढ वर्ष तक पटवारी पद पर कार्य किया । बाद में ग्रेन प्रोक्योरमेन्ट स्कीम में एक वर्ष नायब तहसीलदार के पद पर काम किया था बाद में व्यवसाय करते हुये एक बार पाम पंचायत मोजमाबाद में उपसरपंच व तहसील पंचायत में पंच एवं न्यायपंचायत के अध्यक्ष पद पर रहकर कार्य किया था। आपका विवाह स.1989 सन् 1933 में सुन्दरदेवो पाम लबाना के साथ संपन्न हुआ। आपके 3 पुत्रियाँ - सुशीला, शकुन्तला,विजयलक्ष्मी हुई। तीनों का विवाह हो चुका है इसके पश्चात् आपने अशोक कुमार को दत्तक पुत्र बनाया जिसके 2 पत्र सरेन्द्र-पकेश व हीरामणि पुत्री है।
श्रो रतनलाल जी धार्मिक व सामाजिक दोनों कार्यों में विशेष भाग लेकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं । अपने मोजमाबाद के लघु पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में प्रथम सौधर्म इन्द्र के पद को सुशोभित किया था । मोजमाबाद के मंदिरों के जीणोंद्धार में आर्थिक सहयोग भी देते रहते हैं। स्थानीय मोजमाबाद के बड़े मंदिर में श्री महावीर भगवान व शांतिनाथ भगवान की धातु की दो मूर्तियाँ भी विराजमान कर चुके हैं । पक्के मुनि भक्त हैं उनके प्रति वर्ष दर्शनार्थ जाते रहते हैं । पति-पत्नी दोनों के ही शुद्ध खानपान का वर्षों से ही नियम है। प्रतिदिन पूजापाठ स्वाध्याय करते हैं। यात्रा प्रेमी हैं इन्होंने जीवन में अब तक 5 बार श्री सम्मेदशिखर जी आदि पूर्व दिशाओं की व श्री बाहुबली गिरनार आदि दक्षिण के तीर्थों को दो बार यात्रायें की हैं।
पता: मु.पो.मोजमाबाद जिला- जयपुर