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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज/355
भी क्षेत्र तो उसी तरह बना हुआ है । साहू श्री शांतिप्रसाद जी जैन ने इस क्षेत्र के विकास में पर्याप्त योगदान दिया है । सवाई माधोपुर एवं सिवाड़ में दि. जैन वीर बाल संघ (शाला) भी है।
___ इसी सवाई माधोपुर जिले में दि. जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी का प्रसिद्ध क्षेत्र हैं । जहां प्रतिवर्ष लाखों यात्री भगवान महावीर के दर्शनार्थ आते हैं। पिछले 50 वर्षों में क्षेत्र का बहुत विकास हुआ है तथा क्षेत्र की काया ही पलट गई है । बड़ी-बड़ी धर्मशालाओं का निर्माण हुआ है । कटले को नया स्वरूप दिया गया है। पुस्तकालय, वाचनालय, शोध संस्थान, प्राकृतिक योग संस्थान का निर्माण हुआ है । श्री महावीर जी में 9 जनवरी 1953 को श्री दि. जैन आदर्श महिला विद्यालय की स्थापना हुई है जिसकी संस्थापिका ब्र. कमला बाई जी हैं। सारे सवाई माधोपुर जिले में इसका पहिला विद्यालय भन्या कहीं नहीं है : अलो विद्यालय की विशाल बिल्डिंग बन गई है । विद्यालय की संस्थापिका ब. कमला बाई जी ने विद्यालय भवन के बाहर ही कांच का भगवान पार्श्वनाथ के विशाल मंदिर का निर्माण करवाया है जिसकी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव सन् 1987 में संपन्न हो चुका है । विद्यालय के अध्यक्ष श्री सेठ अमरचन्द जी पहाड़िया है।
इसके अतिरिक्त नदी के उस पार शांति वीर जैन गुरुकुल का नया निर्माण हुआ है । आचार्य शांतिसागर जी एवं आचार्य वीर सागर जी महाराज के नाम से संस्थापित इस गुरुकुल की अपनी विशाल बिल्डिंग है । विशाल मंदिर है । मंदिर के विशाल प्रांगण के दोनों ओर चौबीस तीर्थंकरों की वेदियाँ हैं । बीच में विशाल खडगासन प्रतिमा है।
इसी तरह श्री महावीर जी में दि. जैन मुमुक्षु महिला विद्यालय का भी विशाल भवन है। विशाल मंदिर है। धर्मशाला है । इस विद्यालय की संस्थापना ब्र. कृष्णाबाई ने की थी ।
सवाई माधोपुर जिले में हिण्डौन एवं गंगापुर जैसे नगर हैं लेकिन उनमें दि. जैन समाज की घनी बस्ती नहीं
टौंक जिला:
जैन समाज की दृष्टि से टौक जिला एक महत्वपूर्ण जिला है । जहां जैन समाज की सघन बस्ती है। इस जिले में मालपुरा, निवाई, टोडारायसिंह, देवली एवं उणियारा एवं टौंक तहसीलें हैं जिनमें सभी में दि. जैन समाज की अच्छी बस्ती है । अधिकांश समाज व्यापारिक समाज है तथा दिगम्बर जैन समाज में खण्डेलवाल एवं अग्रवाल समाज की ही प्रमुखता है।
इस जिले का मुख्यालय टौंक है जिसमें सन् 1911 की जनगणना में 296 घरों की बस्ती तथा जनसंख्या 815 थी । 80 वर्ष पश्चात् भी टौंक के जैन परिवारों की जनसंख्या में कोई विशेष बढोत्तरी नहीं हुई है । वर्तमान में यहां 350 घरों की बस्ती मानी जाती है । जिनमें अग्रवाल समाज के 200 एवं सरावगी समाज के 150 परिवार हैं।