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316/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
आपका जन्म 8 फरवरी 1941 को हुआ। मट्रिक परीक्षा पास करने के पश्चात आप राज्य सेवा में चले गये। 11 जुलाई 62 को आपका विवाह श्रीमती पदमादेवी के साथ हुआ। आपको तीन पुत्रों शैलेश, राकेश, योगेश के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
पापड़ीवाल जी उत्साही कार्यकर्ता है तथा स्वयं ही अपना मार्ग बनाने वाले हैं। पता:- 4866, पापड़ीवाल भवन,मठ का कुआ, कुंदीगरों के भैरू का रास्ता, जौहरी बाजार,जयपुर।
श्री विनोदीलाल पाटनी
पाटनी जी का जन्म भादबा सुदी अष्टमी संवत् 1962 को जयपुर में हुआ। आपके पिता श्री चांदमल जी एवं माताजी गुलाबबाई दोनों का ही निधन हो चुका है । मिडिल कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् एक ओर जवाहरात व्यवसाय में लग गये तो दूसरी ओर प्रजामंडल आंदोलन एवं स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय होकर भाग लेने लगे। प्रारंभ से ही खइरधारी रहे तथा राष्ट्रीय नेताओं जैसे हीरालाल शास्त्री,जमनालाल बजाज के संपर्क में रहे। कस्तूरबा गांधी जब जयपुर आई तो उसके स्वागत समिति के सक्रिय सदस्य रहे । आपकी एक पात्र पुत्री कंचनबाई का विवाह हो चुका है । पाटनी जी की सामाजिक बुराइयों के उन्मूलन में विशेष रुचि रही है। आप सदैन सादा जीवन उच्च विचार के पक्षपाती रहे हैं।
पता: 1791, आबूजी वालों का मकान, हल्दियों का रास्ता जयपुर ।
श्री विरधीचन्द सेठी
जयपुर के सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत श्री विरधीचन्द जी सेठी विभिन्न संस्थाओं से जुड़े हुये हैं। श्री दि.जैन अतिशय क्षेत्र पदमपुरा के एवं दि. जैन संस्कृत कॉलेज के आप वर्षों से कोषाध्याक्ष हैं । जयपुर के दि.जैन मुनि संघ कोटी पार्श्वनाथ भवन के आप मंत्री रह चुके हैं। श्री दिगम्बर जैन मंदिर बेगस्यान के अध्यक्ष हैं । जयपुर खाद्य व्यापार संघ के सेक्रेटरी रह चुके
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सेठी जी का जन्म सन् 1931 में हुआ। ग्रेज्यूएशन करने से पूर्व ही आप व्यापारिक लाइन में चले गये । सन् 1952 में श्रीमती भंवरीदेवी के साथ आपका विवाह हुआ। आपके तीन पुत्र वीरेन्द्र, राजेन्द व दो पुत्रियां सरला एवं शारदा हैं। आपकी धर्मपत्नी का अभी कुछ समय पूर्व ही निधन हो चुका है।
सेठी जी का सरल एवं शान्न जीवन है । धार्मिकता से ओतप्रोत हैं। अपने ग्राम मुकुन्दपुरा में मंदिर का जीर्णोद्धार एवं नवीन वेदी प्रतिष्ठा आप करा चुके हैं । जयपुर एवं पदमपुरा में आयोजित पंचकल्याणकों में आपके बड़े भाई ने इन्द्र की बोलियां ली थी।