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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /341
श्री गुलाबचन्द गंगवाल
अपने जीवन को देश एवं समाज सेवा से अलंकृत करने वाले श्री गुलाबचन्द जी गंगवाल समूचे रेनवाल क्षेत्र के जाने पहिचाने व्यक्ति हैं। जो विगत 500 वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। आपका जन्म कार्तिक सुदी 12 संवत् 1978 को हुआ। आपने जैन दर्शन शास्त्रों (प्रथम वर्ष) तथा न्याय मध्यमा तक अध्ययन किया आपके पिताजी श्री महाचन्दजी भी प्रभावशाली व्यक्ति थे जिनका स्वर्गवास सन् 1964 में हुआ तथा उसी वर्ष आपकी माताजी गैंदीबाई का स्वर्गवास हो गया। उस समय उनकी आयु 80 वर्ष की थी। आपके दो विवाह
| प्रथम विवाह 16 वर्ष की आयु विलायती देवी (रानोली) से हुआ जिनका स्वर्गवास संवत्
2006 में ही हो गया। उसी वर्ष आपका दूसरा विवाह विमला देवी (कुचामन) के साथ संपन्न हुआ। लेकिन वे भी अधिक जीवित नहीं रह सकी और चैत्र बुदी 14 संवत् 2028 में सबको छोड़कर स्वर्ग सिधार गयी । दोनों पलियों से आपको चार पुत्र एवं एक पुत्री की प्राप्ति हुई। उनमें श्री रतनलाल जी जयपुर में व्यवसाय करते हैं। श्री जिनेन्द्र कुमार का अभी कुछ ही समय पूर्व दुखद निधन हो गया। तीसरे पुत्र डा. अशोक अमेरिका में रह रहे हैं तथा चतुर्थ पुत्र निर्मल कुमार बी. कॉम. है व जयपुर में ही व्यवसाय करते हैं।
आपके पितामह मोहनलाल जी शास्त्राभ्यासी थे तथा रात्रि को रेनवाल में नियमित शास्त्र प्रवचन किया करते थे। उनका संवत् 1984 में स्वर्गवास हो गया।
श्री गुलाबचन्द जी प्रारम्भ से ही राष्ट्रीय विचारधारा के व्यक्ति रहे । स्वतन्त्रता आन्दोलन में राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं के प्रति आपका पूर्ण सहयोग रहता था। आप ग्राम पंचायत रेनवाल के भी प्रमुख सदस्य रह चुके हैं। पारिवारिक जीवन में आपके जीवन निर्माण में आपकी भोजाई श्रीमती घेवरी देवी का योगदान रहा। आपके बड़े भाई श्री कन्हैयालालजी का विवाह के 6 माह बाद ही स्वर्गवास हो गया था। उनके निधन के 3 वर्ष पश्चात् आपका जन्म हुआ । घेवरी देवी बड़ी धर्मात्मा थी। उनका स्वर्गवास संवत् 2027 में हुआ। उनके नाम से घेवरी देवी गंगवाल ट्रस्ट बना हुआ है जिसके माध्यम से साहित्यिक कार्य होता है।
श्री गंगवाल साहब का बहुआयामी व्यक्तित्व है । समाज सेवा के वे प्रतीक हैं। अपने क्षेत्र की सभी संस्थाओं से जुड़े हुये हैं। आप महाबीर दि. जैन विद्यालय किशनगढ़ के उपमंत्री, दि. जैन दातव्य औषधालय किशनगढ़ के मंत्री, दि. जैन महासमिति रेनवाल के अध्यक्ष, श्रीलाल गंगवाल पारमार्थिक ट्रस्ट के संयोजक ट्रस्टी, लूणवा अतिशय क्षेत्र की कार्यकारिणी के सदस्य, श्री महावीर ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष, जैन इतिहास प्रकाशन संस्थान के संरक्षक, दि. जैन आचार्य संस्कृत महाविद्यालय जयपुर की शताब्दी समारोह समिति के सदस्य रहे हैं।
आपने श्रीलाल पारमार्थिक ट्रस्ट की ओर से शाकंभरी प्रदेश के विकास में जैन धर्म का योगदान (लेखक डा. कासलीवाल ) आत्म प्रसून (आर्यिका विशुद्धमति माताजी एवं पूजापाठ संग्रह ) जैसी उपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन कराया है।
श्री गंगवाल जी सामाजिक आंदोलनों के सदा ही अग्रिम पंक्ति में रहे हैं। यही नहीं उनके पक्ष में कभी-कभी लेख भी लिखते रहे हैं । प्रस्तुत इतिहास लेखक से आपका विगत 25 वर्षों से मधुर संबंध है ।
पता मोहनलाल महाचन्द मु. पो. रेनवाल (जयपुर)
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