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278/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
श्री पूनमचन्द कासलीवाल
पूनम भवन वाले श्री पूनमचन्द कासलीवाल समाज के प्रतिष्ठित महानुभाव है । आपका जन्म 4 फरवरी 1920 को हुआ। आपके पिताजी मुंशी जगन्नाथ जी जयपुर नगर के प्रथम बी.ए. थे। महाराजा रामसिंह के निजी सचिव थे तथा अन्त में नाजिम के पद से सेवा निवृत्त हुये । मुंशी जगन्नाथ जी के बड़े भाई कन्हैयालाल जी भी जयपुर की बड़ी महारानी के कामदार थे। महारानी जी उनके काम से बड़ी प्रभावित थी इसलिये सेवा निवृत्ति के पश्चात् भी उन्हें उतना ही वेतन मिलता रहा जितना सेवा काल में मिलता था।
पूनमचन्द जी का सन् 1937 में श्रीमती सुशीलादेवी सुपुत्री चौधरी सुगनचन्द जी नावां वाले के साथ विवाह हुआ। उनको चार पुत्र एवं एक पुत्री की मां बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। चारों पुत्रों में शशि कान्त रविकान्त, अतुल,एवं प्रफुल्ल में प्रथम तीन पुत्र बी.एस.सी. है। प्रथम दो ठेकेदारी तथा शेष दोनों फैक्टरी का कार्य देखते हैं । पुत्री इंदिरा का विवाह हो चुका है। सन् 1981 में आपकी पत्नी श्रीपती सुशीला देवी का स्वर्गवास हो गया ।
आपके दो भाई और है । छोटे पाई श्री प्रेमचन्द का जन्म 17 जुलाई 1924 को हुआ। उनकी पत्नी शकुन्तला देवी तीन पुत्रियों,मंजू,मणि एवं रेखा की जननी है। तीनों का विवाह हो चुका है । आप सन् 1975 एवं 1932 में विदेश यात्रा कर चुके हैं।
दूसरे भाई पदमचन्द जी का जन्म 13 जुलाई 1934 को हुआ। आपकी पत्नी प्रेमदेवी जी को हिमांशु, सुधांशु, विकास एवं विशाल की माता बनने का सौभाग्य प्राप्त है । हिमांशु का विवाह हो गया है ।
झालीवाल परिला कारबाहिरिगीना है।
पता : पूनम भवन,मोतीसिंह मोमियों का रास्ता, जयपुर। स. पूरणचंद लुहाडिया
नरायणा के शाह परिवार में जन्म लेने वाले व.पूरणचन्द लुहाडिया को राजस्थान में कौन नहीं जानता । वे ब्रहमचारी है, स्वतंत्रता सेनानी हैं,जेल यात्रा की हुई है,पंचकल्याणक महोत्सव में माता-पिता बने हुये हैं। इस प्रकार लुहाडिया जी बहु व्यक्तित्व के धनी हैं।
आपका जन्म भादवा सुदी पूर्णिमा संवन 1903 तद्नुसार 2 सितम्बर 1906 को हुआ। आपने उच्च शिक्षा प्राप्त की और बी.ए.एल.एल.बी.करके वकालात में भी प्रसिद्धि प्राप्त की। लेकिन शिक्षा प्राप्त करने में कितनी ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। आपकी जीवन कहानी अनेक विचित्रताओं को लिये हुये है।
लुहाडिया जी का विवाह 12 जून 1924 को गुढा (सांभर) निवासी स्व. दानमल जी श्रीमती पिली रांवक की सुपुत्री रिद्धिलता के साथ हुआ। आपको एक पुत्री की माता बनने का सौभाग्य मिला। च. पूरणचन्द लुहाड़िया