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जयपुर नगर का जैन समाज 277
डॉ. रावका ने राजस्थान विश्वविद्यालय से एम.ए., पी.एच.डी. एवं जैन दर्शनाचार्य परीक्षा पास की है। दरभंगा सं. विवि. से शिक्षा शास्त्री उत्तीर्ण की। सन् 1962 से अब तक श्री रावका ने विभिन्न पदों पर शिक्षण कार्य किया है और वर्तमान में डॉ. विका राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य हैं। प्रसिद्ध दार्शनिक विद्वान पं. चैनसुखदास न्यायतोर्थ के ये प्रिय शिष्य रहे हैं। इनके जीवन निर्माण में पूज्यपाद पं. सा. का पूर्ण आशीर्वाद रहा है। प्रस्तुत पुस्तक के लेखक के मार्ग निर्देशन में डॉ. रावका ग्रन्थ भण्डारों के अन्वेषण, सूचीकरण, शोध- साहित्य लेखन में सुरुचि पूर्वक कार्य सम्पादित किया है। ये मेरे उत्तरदायी शिष्य-सम
है ।
आपका विवाह सन् 1964 में 3 जुलाई को श्रीमती स्नेहलता के साथ हुआ। दोनों को दो सुयोग्य पुत्रों के माता-पिता बनने का सौभाग्य मिला । ज्येष्ठ पुत्र श्री प्रमोदकुमार एम.एस.सी. बी.एड. हैं तथा मेयो कॉलेज में कम्प्यूटर विभागाध्यक्ष है। इनका विवाह राजेश एम.कॉम. के साथ हुआ है। द्वितीय पुत्र प्रदीप कुमार एम.एस.सी. (गणित) में अध्ययन कर रहा है ।
डॉ. रावका ने 15वीं सदी के हिन्दी संस्कृत के प्रसिद्ध महाकवि ब्रह्मजिनदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर 1977 में राज. वि.वि. से पी.एच.डी. उपाधि प्राप्त की है। प्रस्तुत शोध-ग्रंथ श्री महावीर ग्रंथ अकादमी द्वारा सन् 1980 में प्रकाशित हो चुका है। अब तक आपके विभिन्न पत्र पत्रिकाओं, ग्रंथों में अनेक साहित्यिक शोध-लेख प्रकाशित हो चुके हैं। वीरवाणी एवं जिनवाणी में क्रमश: अमृत वाणी एवं ज्ञानामृत स्थायी स्तम्भ लेखक हैं। विश्वविद्यालय स्तरीय संगोष्ठियों में शोधपत्र वाचन करते हैं। आकाशवाणी जयपुर से इनकी वार्तायें स्वतंत्र रूप से प्रसारित होती रहती हैं। प्रतिवर्ष प्रकाश्य महावीर स्मारिका के सम्पादन में डा. वका की मुख्य भूमिका रहती है। कई पुस्तकों के समीक्षक हैं।
डॉ. प्रेमचन्द रांषका सामाजिक गतिविधियों में भी पर्याप्त रुचि लेते हैं। श्री दि. जैन संस्कृत कॉलेज, श्री दि. जैन औषधालय, की प्रबन्ध समिति के सदस्य, राजस्थान जैन सभा, राजस्थान जैन साहित्य परिषद, राजस्थान संस्कृत साहित्य सम्मेलन, राज. संस्कृत परिषद्, अ.भा. जैन विद्वत् परिषद, अ.भा दि. जैन विद्वत्परिषद्, दि. जैन मन्दिर जोबनेर जयपुर के सक्रिय सदस्य हैं। डॉ.रांवका से साहित्य जगत् एवं समाज को बहुत आशायें हैं ।।
पता :- 1910, खेजड़े का रास्ता, जयपुर 302001 (राज.)
श्री पानाचन्द जैन पहाड़िया
राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधिपति के पद से रिटायर होने वाले श्री पानाचन्द जैन कितनी ही सामाजिक, साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े हुये हैं। श्री जैन का जन्म 19 मार्च, 27 को कोटा में हुआ। एम.ए.बी.एस.सी. एल. एल. बी. साहित्यरत्न की परीक्षायें पास करने के पश्चात् वकालात प्रारंभ की तथा उसमें अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त की। सन् 1985 में राजस्थान हाईकोर्ट में जज नियुक्त हुये। इसी वर्ष लाइन्स इन्टरनेशनल के डिस्ट्रिक्ट 323 ई 2 का डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने गये।
श्री जैन राजस्थान राज्य के महाधिवक्ता नाथूलाल जैन के छोटे भाई हैं। स्वभाव से विनम्र हैं तथा प्रत्येक को सहयोग देने की भावना रखते हैं।