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276 / जैन समाज का वृहद् इतिहास
दीवान प्रेमचन्द जैन भौंच
पूर्व दीवान भागचन्दजैन के वंश में दि. 21-11-1943 को श्री प्रेमचन्द जैन का जन्म हुआ। उनके पिताजी दीवान कपूरचंद जी ५० वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। उनकी माताजी विरधीबाई का सन् 87 में 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
दीवान प्रेमचन्द जी ने एम.एस.सी. (कृषि) एनटोमालोजी की परीक्षा उदयपुर विश्वविद्यालय से सन् 1968 में पास को । उसके पश्चात् भंडार निगम में कार्य करने लगे। वर्तमान में आप भंडार निगम में वरिष्ठ अधिकारी के पद पर कार्य कर रहे हैं। सन् 1968 की 7 मार्च को आप श्रीमती विमलेश जैन हिन्दी विशारद के साथ विवाह सूत्र में बंधे। इसके पश्चात् दो पुत्र एवं एक पुत्री के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त किया। आपके पुत्र प्रवीण कुमार 20 वर्ष के युवा है। एम.कॉम. कर लिया है और अब सी.ए. कर रहे हैं। पुत्री प्रीति जैन का विवाह हो चुका है ।
प्रेमचन्द जी बहुत ही निष्ठावान एवं स्वच्छ विचारों के युवक हैं। मिलनसार हैं तथा समाज सेवा करने के इच्छुक हैं। उनकी पत्नी विमलेश जैन भी मधुरभाषी एवं सेवाभावी युवती है।
पता : 45 सेक्टर 4 मालवीय नगर, जयपुर ।
श्री प्रेमचन्द बड़जात्या
राजस्थान बीमा विभाग में पर्यवेक्षक के पद पर कार्यरत श्री प्रेमचन्द चौधरी युवा कार्यकर्ता हैं। आपका जन्म 26 जून 1938 को हुआ। इन्टर तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् राज्य सेवा में चले गये। 19 वर्ष की अवस्था में दिनांक 13-12-1957 को आपका विवाह श्रीमती मोहना देवी के साथ हुआ। आपको एक पुत्र मनोज एवं दो पुत्रियां अमिता और रीवा के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है। मनोज का सीमा से विवाह हो चुका है।
आप मोजमाबाद मंदिर के जीर्णोद्धार में आर्थिक सहयोग देते रहते हैं। आपके पिताजी श्री मानमल जी एवं माताजी का स्वर्गवास हो चुका है।
पता :- 91, करतारपुरा, भगवती नगर, जयपुर - 6
डॉ. प्रेमचन्द्र रावका
डॉ. रावका की गणना राजस्थान के युवा विद्वानों में की जाती है। ये अपने शोध कार्यों, लेखन एवं भाषण से समाज को अपनी ओर आकर्षित करने लगे हैं। डा. रांका का जन्म 201 अक्टूबर 1943 को जयपुर (राज.) में हुआ । इनके पिता श्री भंवरलाल जी संवका अत्यधिक सरल, सन्तोषी वृत्ति, दयालु स्वभाव एवं धार्मिक प्रवृति वाले श्रावक थे । लेखक को उनके सम्पर्क में आने का अनेक बार अवसर मिला है। व्रतोपवासी उनका सन् 1972 में निधन हुआ। सन् 1984 में डॉ. रांवका की मातुश्री छिगनी देवी चल बसी। डॉ. रांका के दो अग्रज भ्राता श्री कपूरचन्द जी, जयपुर राजघराने में कामदार (भजन गायक) एवं श्री पूनमचन्द जी शिक्षक रह चुके हैं।