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जयपुर नगर का जैन समाज /309 इन्द्र बन चुके हैं। अपने ही गांव के मन्दिर में वेदी बनवाकर उसकी प्रतिष्ठा करा चुके हैं। तीर्थ यात्रा के बहुत प्रेमी हैं इसलिये तीर्थयात्रा पर जाया ही करते हैं। लेखक के साथ सन् 1981 में बाहुबली स्वामी की यात्रा की थी ।
आप अत्यधिक सरल एवं शांत स्वभाव के हैं तथा दानी प्रकृति के हैं। संस्थाओं को सहायता देते रहते हैं । श्री दि.जैन महासभा के स्थायी सदस्य हैं।
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श्री रतनलाल कासलीवाल
आपके छोटे भाई है जिनका जिनका जन्म संवत् 1988 में हुआ था। संवत् 2004 में आपका विवाह अनोपदेवी के साथ हुआ। जिनसे आपको चार पुत्र शिखरचंद, अशोक कुमार, प्रकाशचंद एवं धर्मचन्द तथा एक पुत्री के पिता बनने का सौभाग्य मिल चुका है। आप दोनो भाईयों के सभी पुत्र व्यवसाय करते हैं। आप जयपुर की सिरमोरियों के मंदिर समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं। आप भी अपने बड़े भाई के पद चिन्हों पर चलते हैं।
पता :- 1- मु.पो. साइवाड (जमवारामगढ) जयपुर
2- 167 जैन ब्रदर्स, आतिश मार्केट, त्रिपोलिया बाजार, जयपुर।
श्री राजेन्द्रकुमार लुहाड़िया
नयना (जयपुर) के शाहजी खानदान में ४ नवम्बर, 1899 में जन्मे श्री राजेन्द्रकुमार लुहाड़िया राजस्थान के वयोवृद्ध समाजसेवी हैं। नब्बे वर्ष की आयु पार करने के पश्चात् भी आप शरीर एवं मस्तिष्क दोनों से स्वस्थ हैं तथा आज भी आप में कुछ लिखने, पढ़ने एवं समाज सेवा करने के भाव जागृत हैं। अपने लम्बे जीवन में आपके द्वारा सम्पादित कितने ही कार्य इतिहास के पृष्ठों पर अंकित किये जाने योग्य हैं। आप सर्वप्रथम भा. दि. जैन परिवार डाइरेक्टरी की संपादन प्रकाशन योजना में जनरल सेक्रेटरी रहे । सन् 1962 में नावां बिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर काठेड़ा प्रान्तीय दि. जैन खण्डेलवाल सभा की स्थापना करके उसके 25-30 वर्ष
श्री रतनलाल कासलीवाल
तक मंत्री रहे तथा सामाजिक कुरीतियों को मिटाने में बहुत योगदान दिया। मथुरा के राजा लक्षमणदास के उत्तराधिकारी सेठ भगवानदास की एस्टेट के 4-5 वर्ष जनरल मैनेजर रहे। जयपुर जैन डाइरेक्टरी 1974 एवं भारतीय दि. जैन तीर्थ क्षेत्रों के चार भाग की सामग्री संकलन में आपने पूरा योग दिया। अपने ग्राम नरायना में चन्द्रशेखर आजाद चिकित्सालय के भवन निर्माण हेतु पूरा आर्थिक सहयोग दिया।
श्री लुहाड़िया जी विनम्र, सरल, शांतिप्रिय एवं अत्यन्त परिश्रमी व्यक्ति हैं। आपके चार पुत्र, तीन पुत्रियां, 5 पत्र 1 पौत्रियां, चार पुत्र वधुयें एवं टो पौत्र वधू में सभी उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। आपने जीवन में कपड़ा, किराना, लेनदेन, साहूकारी के अतिरिक्त को वाधीशों के यहां जनरल मैनेजर पदों पर कार्य किया है। सन् 1961 में 30 वर्ष पहले कोटा में भारी वाहन 30 टन तक के का ट्रक कांटा बहुत ही परिश्रम व लगन से स्थापित किया है जो वर्तमान में भी सुचारू रूप से संचालित हो रहा है तथा