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254/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
रह चुके हैं । सन् 1971-74 के बर्मन प्रवास में आपने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती पुष्पा जैन एवं पुत्र सहित यूरोप के अन्य देशों का मी भ्रमण किया।
___हा.जैन की लेखन कार्य में भी रुचि है। आपके व्यवसाय से संबंधित विभिन्न विषयों पर अब तक 20-25 अनुसंधान पूरक लेख विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं । आप विषय संबधित समितियों के सदस्य हैं।
आपका सन् 1969 में श्री फूलचंद जी हलवाई की सुपुत्री श्रीमती पुष्पा के साथ विवाह हुआ। पुष्पा जी बी.ए. पास हैं। 2 पुत्रों से अलंक्त हैं । आपका बड़ा पुत्र अपने नाना के यहां दत्तक है। आपके पिताजी का नाम स्व. अंबरचंद जी एवं माताजी श्रीमती रतनदेवी हैं । आपके पितामह दीवान कपूरचंद जी समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति है। पता: 1. 1763 फतेहपुरियों का दरवाजा, चौड़ा रास्ता, जयपुर
2. 627 गोघा भवन, बोरडी का रास्ता,जयपुर । श्री नरेन्द्र मोहन कासलीवाल
जयपुर स्टेट के दीवान मालीलाल जी कासलीवाल के सुपुत्र श्री नरेन्द्र मोहन जी कासलीवाल समस्त जैन समाज में प्रथम व्यक्ति है जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधिपति के सम्माननीय एवं विशिष्ट पद पर पहुंच सके हैं। इसके पूर्व आप हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहें तथा राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधिपति रहे थे।
आपका जन्म 4 अप्रैल, 1928 को हुआ आपने बी.एस.सी.एल.एल.बी. किया। 11 मई 1948 को आपका विमला देवी के साथ विवाह हुआ। आप दोनों को दो पुत्र एवं तीन पुत्रियों के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है । ज्येष्ठ पुत्र इंजीनियर (एमई इले) है तथा राहुल II.T.(Mech.) में अध्ययन कर रहा है। दो पुत्रियों का विवाह हो चुका है और छोटी पुत्री रश्मि भी डाक्टर है !
लॉ करने के पश्चात् सन् 1950 से 58 तक आप जयपुर में वकालात करते रहे और सन् 1958 से 1977 तक जोधपुर हाईकोर्ट में प्रेक्टिस करते रहे 1 15 जून सन् 1978 से राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधिपति बनाये गये। आप इस अवधि में राजस्थान नेशनल सिक्यूरिटी एक्ट (सलाहकार बोर्ड) के अध्यक्ष रहे ।
फैसलों का एक प्रयोग आपके महत्वपूर्ण ईसा नेलसिंह बनाम प्रो. रामसिंह दोनों नाबालिग लड़कियों को मां के सुपुर्द करना है।
माननीय जस्टिस महोदय के माताजी ने सन् 1983 में वेदी निर्माण करवाकर उसकी प्रतिष्ठा करवाई। आपकी माताजी की मृत्यु अभी 2 वर्ष पूर्व ही हुई है । उस समय उनकी आयु83 वर्ष की थी । आपसे तीन भाई देवेन्द्र मोहन जी,राजेन्द्र मोहनजी, सुरेन्द्र मोहन भी बड़े तथा वीरेन्द्र मोहन जी छोटे हैं।
पता : उच्चतम न्यायालय, तिलक मार्ग,न्यू देहली ।