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60/जैन समाज का वृहद इतिहास
प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश जैन फिरोजाबाद, डॉ. सुपार्श्वकुमार जैन बडौत, डॉ. दामोदर शास्त्री दिल्ली को रखा गया। पं. बाबूलाल जी फागुल्ल इसके प्रबन्ध सम्पादक बनाये गये। अभिनंदन ग्रंथ का समर्पण सन् 1986 में सुजानगढ़ में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव पर आयोजित शास्त्री परिषद् के अधिवेशन में विशाल जनसमूह के मध्य किया गया। अभिनेदन ग्रंथ चार खंडों में विभाजित है जिसमें प्रथम दो खंड स्वयं शास्त्री जी पर एवं दो खंडों में विभिन्न विषयों पर लेखों का संकलन है।
सरस्वती वरद पुत्र पं. बंशीधर व्याकरणाचार्य अभिनंदन ग्रंथ
पुरानी पीढ़ी के यशस्वी विद्वानों में प. बंशीधर जी व्याकरणाचार्य का नाम लिया जा सकता है। व्याकरणावार्य उनके नाम से रुद हो गया है। पंडित जी आर्ष मार्ग के पक्के पंडित है। खानिया तत्वचर्चा में आपने एक वर्ग के विद्वानों का प्रतिनिधित्व किया था। स्वतंत्रता सेनानी रहे हुये है। कहा जाता है कुछ समय तक कोर्ट कचहरियो में आपका नाम लेना ही पर्याप्त समझा जाता था। सन 1989 में सागर में आयोजित एक विशाल समारोह में आपको समाज की ओर से एक अभिनदन ग्रंथ भेंट किया गया। अभिनंदन ग्रंथ के प्रधान सम्पादक डॉ. दरबारीलाल जी कोठिया न्यायाचार्य तथा सम्पादक मंडल में पं. पन्नालाल जैन साहित्याचार्य, डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, डॉ. राजाराम जैन, डॉ. भागचन्द भागेन्दु, डॉ. फूलचन्द प्रेमी, पं. बलभद्र जैन न्यायतीर्थ, श्री नीरज जैन, डॉ. सुदर्शनलाल जैन एवं डॉ. शीतलचन्द्र जैन जैसे विद्वान है। प्रबन्ध सम्पादक बाबूलाल जैन फागुल्ल है। प्रकाशक सरस्वती पुत्र पंडित बंशीधर व्याकरणाचार्य अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशन समिति वाराणसी है।
पं. रतनचन्द जैन मुख्तार व्यक्तित्व एवं कृतित्व
पं. रतनचन्द्र जैन मुख्तार बहुत बड़े पंडित थे। उनकी स्मृति में स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन उनके प्रति सहज श्रद्रा का द्योतक है। यह स्मृति ग्रंथ सबसे भिन्न परम्परा डालने वाला है और वह है पंडित जी द्वारा शंकाओं का उत्तर। स्मृति ग्रंथ में शंकायें और फिर उनका समाधान दिया गया है। यह शंका समाधान जैन गजद आदि पत्रों में पहिले प्रकाशित हुआ था। उन्हीं शंका समाधानों का विद्वत्ता पूर्वक संपादन डॉ. चेतन प्रकाश जी पाटनी ने एवं पं. जवाहरलाल जी भिण्डर ने किया है। यह स्मृति ग्रंथ दो खण्डों में प्रकाशित हुआ है। इस यंध के प्रकाशक आचार्य श्री शिवसागर दि. जैन ग्रंथमाला शांतिवीरनगर श्री महावीर जी है। दोनों भागों का मूल्य 150/- रुपये है। प्रकाशन वर्ष सन् 1989 हैं।
साहित्याचार्य डॉ. पं. पन्नालाल जैन अभिनन्दन दीपिका __डॉ. पन्नालाल जी साहित्याचार्य जैन समाज के वयोवृद्ध मनीषी है। पिछले 50 वर्षों से वे जिनवाणी की सेवा में समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। ऐसे मनीषी पर अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशन बहुत वर्षों पूर्व ही हो जाना चाहिये था। लेकिन वह समय आया 2 मार्च 90 को जब एक भव्य समारोह में उन्हें सागर में ग्रंथ समर्पित किया गया। अभिनन्दन ग्रंथ के संयोजक संपादक डॉ. भागचन्द भागेन्दु ने सम्पादन का सम्पूर्ण