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जयपुर नगर का जैन समाज /221
श्री कपूरचंद पाटनी
जयपुर की बीस से भी अधिक संस्थाओं से जुड़े हुये श्री कपूरचंद पाटनी नगर के ख्याति प्राप्त समाजसेवी हैं। आपका जन्म 8 जनवरी,1927 को सांभरलेक में हुआ। आपके पिताजी स्व, नाथूलाल जी अपने क्षेत्र के प्रभावशाली व्यक्ति थे। आपने जयपुर में पंडित
चैनसुखदासजी न्यायती के संरक्षण में रहकर एन.कापरल.एल.बी.एवं साहियरल किया तथा फिर टैक्स एडवोकेट बनकर कार्य करने लगे। आपका कार्यालय पाटनी जैन एंड कम्पनी के नाम से प्रतिद्ध है। जो वर्तमान में 210 वर्धमान,जौहरी बाजार में स्थित है । आपका विवाह सन् 1944 में श्रीमती मनफूलदेवी के साथ हुआ।
पाटनी जी सन् 1955-57 तक जयपुर नगर परिषद के सदस्य रहे । सन् 1975 में महामंत्री जयपुर शहर जिला कांग्रेस एवं सन् 1977 में उसके अध्यक्ष रहे । सन् 1984-85 में कांग्रेस शताब्दी समारोह के संयोजक रहे । इसके अतिरिक्त कांप्रेस (आई) के और भी विभिन्न पदों पर रहे।
सामाजिक क्षेत्र में भी पाटनी जी की सेवायें महत्वपूर्ण रहीं । राज. जैन सभा के 7 वर्ष तक मंत्री एवं तीन वर्ष तक उसके अध्यक्ष रहे । दि.जैन आचार्य संस्कृत महाविद्यालय के सन् 1973 से ही आप मंत्री पद पर कार्य कर रहे हैं । देश के प्रमुख तीर्थ दि.जैन अ.क्षेत्र श्री महावीर जी के पहिले सन् 1979 से 8 तक मंत्री रहे तथा फिर 1990 में आपको पुनः निर्वाचित किया गया । दि. जैन महासमिति के वर्तमान में आप महामंत्री हैं। जयपुर टेक्स सलाहकार संघ के महामंत्री एवं अध्यक्ष रहकर अपनी उल्लेखनीय सेवाओं से बहुचर्चित रहे । आप कितनी ही सरकारी कमेटियों के सदस्य रहे जिसमें बिक्री कर सरलीकरण समिति, राज. भूदान एवं पामदान बोर्ड,देवस्थान सलाहकार बोर्ड के नाम उल्लेखनीय हैं।
पाटनी जी विनोदप्रिय है। जहां भी जाते हैं अपना स्थान बना लेते हैं । सामाजिक सेवा ही आपके जीवन का अंग बना हुआ है । आपसे समाज को बहुत आशायें हैं।
पता:-17 जोबनेर बाग स्टेशन रोड, जयपुर । श्री कपूरचन्द पापड़ीवाल
पावन सिद्धक्षेत्र सम्मेदशिखर जी की 31 बार बंदना करने वाले श्री कपूरचन्द पापड़ीवाल का जन्म संवत् 1964 के फाल्गुन मास में हुआ। आपकी पाता धूरी बाई एवं पिता श्री गणेशीलाल जी थे।
आपका विवाह सन् 1930 में हुआ लेकिन आपको पत्नी सुख अधिक समय तक नहीं मिल सका और सन् 1958 में पत्नी का स्वर्गवास हो गया। सन् 1925 में आपने मैट्रिक की परीक्षा पास की । आपका हस्तलेख बहुत सुन्दर होने के कारण स्कूल में आपको राज्य सरकार की ओर से छात्रवृत्ति प्राप्त हुई । आपने क्यूरियोज का सफलता के साथ व्यवसाय किया और उसमें सफलता प्राप्त की । इसके अतिरिक्त 25 वर्षों तक आप जयपुर महाराजा की सेवा में रहे तथा विभिन्न पदों पर कार्य किया ।