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जयपुर नगर का जैन समाज / 235
के बारे में समझ में नहीं आता उसकी जानकारी प्राप्त करने के लिये आपके पास आते हैं। इसके अतिरिक्त जो भी बच्चा बच्ची आपके पास जवाहरात का कार्य सीखने आते हैं उनको आप ध्यान से सिखाते हैं। स्वयं आपके सिखाये हुये शिष्य ख्याति प्राप्त जौहरी बन गये हैं। आप जवाहरात ज्ञान के साथ उन्हें सच्चा धार्मिक एवं कर्मठ ज्ञान भी देते हैं।
पता : टग्या भवन, हल्दियों का रास्ता, जौहरी बाजार, जयपुर
डा. चांदमल जैन
1932 में जयपुर में जन्में डॉ. चान्दमल जैन वर्तमान में कोटा खुला विश्वविद्यालय में बरिष्ठ निदेशक के पद को सुशोभित कर रहे हैं । आपका जीवन पूर्ण संघर्षमय रहा। सन् 1953 मैं राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक के रूप में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश किया। सन् 1957-58 में आपका आरएएस में भी चयन हुआ किन्तु आपने शिक्षा जगत् में ही रहने का निश्चय किया । इसके पश्चात् उदयपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विभाग में प्राध्यापक, सहआचार्य रहे । सन् 1980 में आपका विश्वविद्यालय के पत्राचार महाविद्यालय के अधिष्ठाता पद पर चयन हुआ । कुछ वर्ष पश्चात् इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्व विद्यालय में क्षेत्रीय निदेशक पद पर चले गये।
डॉ. जैन ने दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रूप से योगदान दिया है। इस शिक्षा के सम्बंध में आपने भारत और विश्व के अनेक उच्च शिक्षा की संस्थाओं के सेमिनार, सम्मेलना में भाग भी लिया तथा भाषण भी दिये। भारत में आकाशवाणी व दूरदर्शन पर आप अनेक कार्यक्रमों में भी भाग लेते रहे हैं। उच्च शिक्षा के दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में आप अग्रणी हैं। आपकी दस पुस्तकें तथा अनेक शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
डॉ. चांदमल जैन के तीन पुत्र हैं। उनमें वरिष्ठ पुत्र गोल्ड मैडल प्राप्त डा. राजीव जैन उदयपुर में वाणिज्य के प्राध्यापक हैं। मध्यम श्री संजीव जैन एम.एस.सी., एम.बी.ए. जैम डवैलपमेण्ट कारपोरेशन में उच्च अधिकारी पद पर कार्यरत हैं तथा कनिष्ठ पुत्र रजनीश जैन भारत सरकार के एक उपक्रम में कार्य कर रहे हैं। दोनों पुत्रियों का संभ्रात परिवारों में विवाह हो चुका है।
डॉ. जैन सोवियत रूस, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, सिंगापुर व यूरोपीय देशों की विदेश यात्रा कर चुके हैं। स्थायी पता : 394 लुहाडिया भवन, मणिहारों का रास्ता, जयपुर तथा 168 अशोक नगर, उदयपुर है । श्री चिरंजीलाल बज
श्री चिरंजीलाल जी बज जयपुर जैन समाज के प्रतिष्ठित समाजसेवी माने जाते हैं। आपका जन्म श्रावण शुक्ला 6 संवत् 1971 को हुआ । इन्टर तक शिक्षा प्राप्त करके केन्द्रीय सेवा में चले गये और वहां से सन् 1974 में रिटायरमेन्ट होने के पश्चात् धार्मिक कार्यों में, तीर्थो की यात्राओं में मुनियों को सेवा में तथा सामाजिक समारोहों में भाग लेने में अपने आपको समर्पित कर रखा है।