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जयपुर नगर का जैन समाज /245
श्री ताराचंद बड़जात्या चौमूवाले
रामसुख चुनीलाल फर्म के मालिक श्री ताराचंद बड़जात्या श्री गुलाबबन्द जी के पुत्र हैं जिनका 82 वर्ष की आयु में 3 जनवरी 84 को निधन हुआ था । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात श्री ताराचन्द जी अपने पिताजी के साथ व्यवसाय में लग गये।16वें वर्ष में आपका श्रीमती इमरती देवी के साथ विवाह हो गया | आपको एक पुत्र एवं दो पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अरुणकुमार मैट्रिक पास है एवं आपके साथ व्यवसाय रत है । दोनों पुत्रियों का विवाह हो चुका है। आपके पिताजी श्री गुलाबचंद जी बहुत ही उदार हृदय एवं धर्मात्मा थे। शिखर जी में नदीमा दीप में प्रतिमा निमाजगान नी । जयपुर में चूलगिरी में प्रतिमा विराजमान करने का यशस्वी कार्य किया। एस.एम.एस. के सामने नशियां के मानस्तंभ में चारों ओर प्रतिमायें विराजमान की थी । गुलाबचंद जी मुनियों को आहार देकर पुण्य लाभ लिया करते थे ।
श्री ताराचंद जी ने जयपुर के पार्श्वनाथ पवन के निर्माण में आर्थिक सहयोग दिया तथा वर्तमान में उसकी कार्यकारिणी के सदस्य हैं।
पता - रामसुख चुनीलाल, अनाज मंडी,चांदपोल बाजार,जयपुर।
श्री ताराचन्द बड़जात्या
श्री ताराचन्द बड़जात्या जयपुर में लाल हवेली वाले के नाम से प्रसिद्ध हैं । सामाजिक,धार्मिक एवं साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं। आपका जन्म 18 मई 1926 को हुआ था। आपके पिताजी श्री शंकरलाल जी का निधन सन् 1951 में हो गया था । माताजी श्रीमती झमको बाई का आशीर्वाद अभी तक प्राप्त हैं । सन् 1945 में आपका विवाह श्रीमती मैनादेवी के साथ हुआ। आपके दो पुत्र श्री विनोद कुमार एवं वीरेन्द्र कुमार है । दोनों बी.एस.सी. तथा विवाहित हैं । विनोदकुमार जी की पत्नी रेखा एम. ए. है तथा एक पुत्र एवं दो पुत्रियों की जननी हैं । वीरेन्द्र कुमार की पत्नी श्रीमतो कामिनी भी एम.ए. हैं तथा 2 पुत्रियों से अलंकृत हैं । ताराचन्द जी के दो पुत्रियाँ आशा और अनिता हैं दोनों का विवाह हो चुका है।
आप मुनि भक्त है । बापू नगर में आने वाले सभी मुनियों को आहार देकर पुण्यलाभ लेते हैं । धार्मिक एवं भर परिणामी हैं । सन् 1981 में भगवान बाहुबली सहस्त्राब्दि महामस्तकाभिषेक समारोह पर स्वर्ण कलश से अभिषेक किया था। अभी कुछ ही समय पूर्व आपकी धर्मपत्नी का अचानक स्वर्गवास हो जाने से आपके जीवन में एक रिक्तता आ गई। लेकिन आप पूर्ण सक्रिय रहते हैं । आचार्य श्री विद्यानन्द जी से विशेष प्रभावित हैं।
श्री ताराचन्द जी की धर्मपली बड़ी धार्मिक प्रवृति की थी तथा उनकी प्रबल इच्छा थी कि उनको मृत्यु के पश्चात् उनके नाम की जमा पूंजी धार्मिक व जन हितैषी कार्यों में लगावें । उनको अन्तिम इच्छा को ध्यान में रखते हुये उनके नाम से श्रीमती मैना देवी जैन बड़जात्या स्मृनि ट्रस्ट" की स्थापना की गई जिसके अध्यक्ष व ट्रस्टी निम्न प्रकार से हैं 1. ताराचन्द जैन अध्यक्ष
2. विनोद कुमार जैन ट्रस्टी