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236/ जैन समाज का वृहद इतिहास
सन् 1937 में आपका विवाह श्रीमती नन्ही देवी से हुआ था | विवाह के 13-14 वर्ष पश्चात् ही उनका निधन हो गया। वे अपने पीछे दो पुत्र एवं तीन पुत्रियों को छोड़ गई । धार्मिक प्रवृत्ति के कारण आपने चूलगिरी क्षेत्र के निर्माण कार्य,सड़क,फर्श, आदि में पूर्ण सहयोग दिया है। आप उसके उपाध्यक्ष हैं।
आपके बड़े पुत्र श्री कमलचन्द का जन्म 16 सितम्बर सन् 1942 को हुआ | आपने बी कॉम. तक शिक्षा प्राप्त की । सन् 1961 में आपका विवाह श्रीमती शकुन्तला से हो गया। आप दो पुत्र एवं एक पुत्री से सुशोभित हैं । आप जयपुर में ही जबाहरात का व्यवसाय करते हैं । स्वभाव से विनम्र तथा अपने पिताजी की तरह मुनियों के परम भक्त हैं ।
द्वितीय पुत्र का नाप चिन्तामणि है जो वास्तव में चिन्तामणि रत्न ही हैं। सन् 1971 में आपका विवाह श्रीमती आशा देवी के साथ हुआ। आपको एक पुत्र एवं एक पुत्री के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है। चिन्तामणि जी रत्न व्यवसाय में बहुत ऊंचाइयों को
रों को पार कर चके है । बम्बई में व्यवसाय करते हैं तच्या व्यवसाय निमित्त विदेश यात्रा करते रहते हैं। विचारों से अत्यधिक धार्मिक प्रवृत्ति के हैं। सभी सामाजिक संस्थाओं को सहयोग देते रहते है । जैन इतिहास प्रकाशन संस्थान जयपुर के परम संरक्षक हैं । मुनि भक्त हैं । जयपुर में आचार्य बिमलसागर जी महाराज का चातुर्मास कराने में आपने सबसे अधिक सहयोग दिया । आप आचार्य श्री के परम भक्त है । आपका पूरा परिवार मुनिसंघों के प्रतिवर्ष दर्शन करता है । 'सोने का पींजरा' पुस्तक का प्रकाशन करा चुके हैं।
परिवार जन
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श्री चिंतामणी मज
प्रीमती आशा देवी धर्मपत्नी
श्री चिंतामणी अज
श्री कमल कुमार बज
श्रीमती शकुन्सला धर्मपत्नी
श्री कमल कुमार बज
पता: उन 42 जवाहर नगर,जयपुर।