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पूर्वांचल प्रदेश का जैन समाज /69
डेर गांव :
डेर गांव में जैन समाज के केवल 5 परिवार हैं। इसमें श्री दुलीचन्द जी बाकलीवाल, चांदमल जी पाटनी, केशरीमल जी पाटनी एवं श्री सोहनलाल जी छाबड़ा का घर है। यहां एक मात्र दि. जैन पार्श्वनाथ चैत्यालय है जिसकी स्थापना फाल्गुन सुदी 5 शनिवार संवत् 2032 दि. 06/02/76 को हुई थी। जब आर्यिका इन्दुमती जी माताजी का यहां संघ आया तब उनका जोरदार स्वागत किया गया तथा संघपति श्री मेघराज जी पाटनी डीमापुर एवं श्री नेमीचन्द सेठी के तत्वावधान में चैत्यालय की स्थापना की गई। मन्दिर में वीर निर्वाण सं. 24000 प्रतिष्ठित पार्श्वनाथ स्वामी की प्रतिमा विराजमान है ।
बोकाखात :
यहां पर 6 जैन परिवार रहते हैं जिनमें तीन बड़जात्या एवं तीन परिवार झांझरी गोत्र के हैं। श्री गंभीरमल जी, नथमल जी, सुगनचन्द जी, लिखमीचन्द जी, महेन्द्रकुमार जी, विनोदकुमार जी, सुमेरमल जी एवं लादूलाल जी के परिवार है, जनसंख्या 50 है। एक दिन चाल है जिसमें भगवान महावीर की प्रतिमा विराजमान है । मन्दिर की स्थापना वीर निर्वाण संवत् 2501 में हुई थी ।
शिलांग :
वर्तमान में शिलांग मेघालय की राजधानी है। पहले यह आसाम का भाग था । सन् 1891 में जब जनगणना हुई उस समय वहां एक भी जैन परिवार नहीं रहता था। वर्तमान में यहां 30 दि. जैन परिवार रहते हैं जिनकी जनसंख्या करीब 200 होगी।
यहां एक दि. जैन चैत्यालय पिछले 20 वर्षों से आसाम ऑटो एजेन्सीज के पार्टनर श्री हंसराज जी पाण्ड्या के घर में स्थित है । चैत्यालय में भगवान आदिनाथ, चन्द्रप्रभु, शान्तिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी एवं पद्मावती सर्वधातु की प्रतिमायें है । ताम्र-पत्र पर 5 यंत्र हैं ।
भगवान महावीर के 2500 वें निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य में कन्टोनमेन्ट एरिया में उनकी स्मृति में भगवान महावीर पार्क बनाया गया जिसकी देख-रेख एवं प्रबन्ध कन्टोनमेन्ट वालों द्वारा किया जाता है।
जोरहाट :
जोरहाट आसाम प्रदेश के अन्तर्गत आता है। व्यवसाय की दृष्टि से जोरहाट का नाम उल्लेखनीय है । यहां दि. जैन समाज के 15-20 घर हैं। एक मन्दिर है। यहां के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में सर्व श्री कन्हैयालाल जी बाकलीवाल, सागरमल जी जैन, मिश्रीलाल जी, पुसराज के नाम उल्लेखनीय हैं।