________________
176/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
में निधन हो गया । डी.एन.कॉलेज मणिपुर से 1960 में बी.कॉम. करने के पश्चात् आप बिल्डिंग ठेकेदारी एवं हार्डवेयर का कार्य करने लगे।
आपका विवाह दि.14/07/1958 को श्रीमती सुशीला देवी के साथ हुआ । वर्तमान में आपके एक पुत्र एवं पांच पुत्रियां हैं 1 पुत्र श्री सुनील कुमार कॉमर्स मेजुएट हैं। पुत्रियां सविता, बबिता, कविता,सीमा एवं मधु हैं। सबसे बड़ी पुत्री सविता का विवाह श्री राजकुमार सोगानी हजारीबाग से हो चुका है । बबिता ग्रेजुएशन कर चुकी है,कविता,सीमा एवं मधु पढ़ रही है ।
पाटनी जी इम्फाल में एसोसियेटेड मणिपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के विगत 5 वर्ष से महासचिव है। श्री दिगम्बर जैन महावीर हाईस्कूल मणिपुर के देसी एवं गालाही सम्मेलन काल के उपाधक्ष हैं । लायन्स क्लब के जिला उप गवर्नर रह चुके हैं।
___ आपका पूरा परिवार धार्मिक स्वभाव का है । आपकी पुत्री सुश्री बबिता एवं पुत्र सुनील कुमार एक बार दशलक्षण व्रत के 10 दिनों का उपवास कर चुके हैं । सन् 1970 में पाटनी जी जापान, हांगकांग, थाईलैण्ड,मलेशिया आदि का एक बार भ्रमण भी कर चुके हैं।
पता : सी.एल. जैन एण्ड कम्पनी, थांगल बाजार,इम्फाल (मणिपुर) श्री सम्पतराय पहाड़िया
आयु : 50 वर्ष शिक्षा : सामान्य पिताजी :श्री झूमरमल जी पहाडिया,आपका पूर्ण त्याग के साथ सन् 1960 में स्वर्गवास
माताजी : श्रीमती चांदूदेवी जी का भी दिनांक 01.05.90 को पूर्ण त्याग के साथ स्वर्गवास हो चुका है।
विवाह : 16 वर्ष की आयु में आपका श्रीमती अनोप देवी के साथ विवाह सम्पत्र हुआ ।
सन्तान : पुत्र-4, पुत्रियाँ-2 । ज्येष्ठ पुत्र अशोक (31 वर्ष) का विवाह हो चुका है। पत्नी का नाम सरिता है । द्वितीय पुत्र डॉ. अरूण कुमार एम बी बी.एस. के बाद एमड़ी. कर रहे हैं । आलोक कुमार (12 वर्ष),अश्विन कुमार 17 वर्ष के हैं तथा पढ़ रहे हैं। पुत्रियाँ - छाया एवं सुमन का विवाह हो चुका है। सुमन ने मैट्रिक पास कर लिया है।
व्यवसाय : मोटर ऑटो पार्टस ।
विशेष : डेह (राज) से करीब 100 वर्ष पूर्व लालचन्द जी मूलचन्द जी, सदासुख जी एवं मनसुख जी चारों यहां आये और व्यवसाय करने लगे। श्री सदासुख जी पहाडिया आपके बावाजी के बड़े भाई थे । जब उनका स्वर्गवास हुआ तो राज्य भर में छह महिने का शोक रखा गया। वे मणिपुर महाराजा श्री चूडा चादसिंह के धर्म भाई थे । महाराजा ने उनकी स्मृति में हॉस्पिटल में छतरी का निर्माण करवाया था। सदासुख जी डीमापुर से यहां घोड़े पर आये थे । मणिपुर में आने वाले मारवाड़ी समाज में