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जयपुर नगर का जैन समाज /207
श्री गैंदीलाल साह
खण्डेलवाल जैन समाज के प्रथम शाही गोत्र में उत्पन्न श्री गैदीलाल जी साह करीब । 40-50 वर्षों तक सामाजिक एवं राजनैतिक क्षितिज पर छाये रहे । यद्यपि उनका झुकाव सदैव .. पुरानी विचारधारा की ओर रहा लेकिन उन्होंने प्रगतिवाद का कभी खुलकर विरोध नहीं किया। उनका जन्म 2 नवम्बर 1902 को रा! हिन्दी में प्रवेशिका एवं गई थी की परीक्षा पास की । विवाह हुआ और चार पुत्र एवं तीन पुत्रियों के पिता बनने का सौपाग्य प्राप्त किया । चारों ही पुत्र सर्व श्री ताराचन्द साह, कैलाशचन्द साह, सुरेश चन्द साह एवं रमेशचन्द साह सभी समाजसेवी एवं उत्साही कार्यकर्ता हैं । सबसे बड़े पुत्र ताराचन्द साह तो जयपुर नगर परिषद के कितने ही वर्षों तक निर्वाचत सदस्य रह चुके हैं। राजस्थान बैन सभा के वर्षों से उपाध्यक्ष हैं । इसी तरह कैलाशचन्द साह एवं सुरेश साह भी सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।
स्वयं श्री गैंदीलाल जी साह श्री महावीर जी क्षेत्र कमेटी के तीन वर्ष तक मंत्री रहे थे । जयपुर नगर परिषद के निर्वाचित सदस्य रहे । दि.जैन मंदिर लश्कर के अंतिम काल तक अध्यक्ष रहे तथा आपने 65 वर्षों तक बकालात को । सन् 1948 से आप हाईकोर्ट के वकील रहे।
आपका जीवन धार्षिक नियमित एवं सामाजिक रहा । आपका निधन जनवरी
श्री वीरेन्द्र कुमार छज
जयपुर के प्रसिद्ध बज परिवार में जन्मे श्री वीरेन्द्र बज प्रतिभाशाली, परिश्रमी एवं सूझबूझ वाले इंजीनियर थे । आपके पिताजी चिरंजीलाल जी बज"कलजी" के नाम से प्रसिद्ध
थे।
श्री वीरेन्द्र जी सन् 1962 में बीई.मेकेनिकल परीक्षा पास करके राजस्थान राज्य बिजली बोर्ड में कार्य करने लगे तथा अन्त्र में ए एस ई प्रोक्योमेंट के पद पर कार्य कर रहे थे । 7 मई 1960 में आपका विवाह श्रीमती प्रेमदेवी के साथ हुआ। आपके तीन पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं। आपके ज्येष्ठ पुत्र विनयकुमार जो भी बीई.हो चुके हैं। राजेश एवं महावीर भी पढ़ रहे हैं। मीना एवं बीना दो पुत्रियाँ हैं दोनों ही एम.ए हैं।
बज सा. तीर्थ यात्रा प्रेमी थे। भगवान राहुबली सहस्त्राब्दि महामस्तकाभिषेक के अवसर पर स्वर्ण कलश लिया था। बिन दर्शन किये भोजन नहीं करते थे। सादा जीवन उच्च विचार वाले व्यक्ति थे । जयपुर के बधीचन्दजी मंदिर (बजों का) आपके पूर्वजों द्वारा बनवाया हुआ है।