________________
68/ जैन समाज का वृहद इतिहास
में पद्मावतीदेवी की मुख्य प्रतिमायें हैं । सन् 1970 में यहां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा हो चुकी हैं । युवाओं का अच्छा संगठन है । श्री त्रिलोकचन्द बाकलीवाल अध्यक्ष एवं श्री डूंगरमल बाकलीवाल मंत्री हैं। सिल्चर:
सिल्चर आसाम प्रदेश का जिला मुख्यालय है। सन् 1891 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 7523 थी जिनमें जैनों की संख्या केवल 5 थी। वर्तमान में यहां पर 10 घर हैं, सब मिलाकर जनसंख्या 100 के करीब होगी । छोटा समाज होने के नाते यहां समाज का कोई संगठन नहीं है।
एक दिगम्बर जैन चैत्यालय यूनियन फ्लोर मिल मेहरपुर सिल्वर में स्थित है। इस मन्दिर की स्थापना भादवा सुदी 2 संवत् 2028 दिनांक 22/08/71 को हुई थी । मन्दिर में भगवान पार्श्वनाथ, महावीर एवं शान्तिनाथ की प्रतिमायें एवं पाँच यंत्र हैं। एक चैत्यालय रंजपुर सिल्चर में है जिप्समें चक्रेश्वरी माता एवं पद्मावती माता की प्रतिमायें हैं जिनकी प्रतिष्ठा संवत् 2506 वि. सं. 2026 में हुई थी।
यहां के प्रतिष्ठित एवं उल्लेखनीय महानुभावों में श्री प्रसन्न कुमार जी बाकलीवाल, राजकुमार जी जैन, पारसमल पाटनी, सूरजमल जी जैन, सुरेन्द्रकुमार जी सेठी, प्रकाशचन्द जी एवं महावीर प्रसाद जी सेठी के नाम उल्लेखनीय हैं। गोलाघाट:
गोलाघाट में एक गृह चैत्यालय है जो पुसराज जी के घर में स्थित है। मूलनायक प्रतिमा भगवान शान्तिनाथ की है। भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा पद्मावती शीर्षस्थ है। सन् 1960 से ही इस चैत्यालय में बराबर पूजन होती रहती है। यहां जैन परिवारों की अधिक बस्ती नहीं है। मरियानी:
मरियानी में एक गृह चैत्यालय है जिसे सन् 1970 में श्री बंशीलाल जी झांझरी की माताजी की प्रेरणा से स्थापित किया था । वे ही प्रतिदिन पूजा करते हैं। यहां दि. जैन समाज के केवल 7 परिवार है । जनसंख्या भी बहुत कम है। यहां आर्यिका इन्दुमती जी एवं सुपार्श्वमती जी के अतिरिक्त क्षु शीतल सागर जी एवं क्षु. पारस कीर्ति जी का भी विहार हो चुका है।