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84/ जैन समाज का वृहद इतिहास
डीमापुर से दसवीं तक की शिक्षा प्राप्त कर फिर कलकत्ता से हायर सैकेण्डरी पास की, तत्पश्चात् बीकॉम, द्वितीय श्रेणी से पास की । पुनः डीमापुर जाकर अपने पिताश्री के व्यवसाय में भी निपुणता प्रदर्शित कर सहयोग करने लगे। दो वर्ष के अन्तराल में ही आपने व्यवसाय के क्षेत्र में आशातीत सफलता अर्जि की।
1 अगस्त,80 को वह भयानक रात,सेठी जी का पूरा परिवार सुप्त अवस्था में था। रात्रि के 3 बजे के करीब एक डकैत ने उनके मकान में प्रवेश कर डकैती करने को कुचेष्टा की । गोली की आवाज सुनकर संजय कुमार अपने शयन कक्ष से बाहर
आये तथा अपने माता-पिता तथा अन्य परिवार जनों को उस डकैत से भयभीत पाया । आपने अपने प्राणों की परवाह न करते हुये उस खूखार डकैत पर निहत्ये ही आक्रमण कर दिया तथा उसके हाथ की पिस्तौल छीनने की चेष्टा की और पिस्तौल छीनकर फैकने में सफल भी हुये परन्तु इस मुठभेड में डकैत ने संजयकुमार के बांयी ओर पसली में गोली दाग दी, जिससे वे घायल हो गये लेकिन उसके इस प्रयास से परिवार पर संभावित सभी विपदा टल गयी क्यों कि उस डकैत की पिस्तौल में कई गोलियाँ थी, इसके उपरान्त भी उसने छुरा निकालने की चेष्टा की परन्तु परिवार के अन्य सदस्यों ने उस डकैत को दबोच लिया।
संजयकुमार को अचेत अवस्था में ही स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया परन्तु रास्ते में ही रात्रि के 4.15 पर संजयकुमार ने इस संसार से सदैव के लिये नाता तोड़ लिया। इस साहसी बालक को अंतिम शवयात्रा दि.2.8.89 को दोपहर 4.30 बजे रवाना हुई जिसमें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु नागालैण्ड के मिनिस्टर्स वी.आई.पी. एस.पी.,डीमापुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अनेक सदस्य, स्थानीय व्यापारी वर्ग एवं समाज के अनेक व्यक्ति शामिल थे । इस दिन डीमापुर व्यापारी वर्ग ने प्रतिवाद स्वरूप अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखा एवं प्रशासन से इस तरह की घटनाओं को रोकने की कड़ी मांग की।
स्वर्गीय संजयकुमार अपने पीछे माता-पिता, पांच काका-काकी,दो अनुज भ्राता क्रमशः राजेश सेठी एवं रवि सेठी तथा एक विवाहित बहिन बबीता का भरा पूरा परिवार छोड़ गये । इस दर्दनाक दुर्घटना से सारा परिवार शोकाकुल हो गया। श्री हीरालाल जी सेठी
स्व.श्री हीरालाल जी सेठी का जन्म झंझुनूं (राजस्थान) जिले में स्थित छापड़ा प्राम में हुआ था । सन् 1885 में सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात प्राम में रोजगार के अभाव में आप आसाम प्रांत के नागाहिल्स जिले में स्थित कोहिमा नगर में व्यवसाय हेतु आ गये और वहां गल्ला,सूत और बीड़ी का व्यवसाय करने लगे । कोहिमानगर आसाम प्रान्त के नागाहिल्स जिलें में समुद्र तल से पांच हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। सन 1920 में आपके परिवार ने कोहिमा में श्री दिग. जैन मंदिर की स्थापना की। आपने अपने व्यवसाय में शीघ्र ही ख्याति प्राप्त की। श्री कन्हैयालाल जी सेठी
स्व.श्री कन्हैयालाल जी सेठी का जन्म आसाम प्रान्त के नागाहिल्स जिले में स्थित कोहिमा शहर में सन् 1916 में हुआ था | आप बचपन से ही समाज की परोपकारिता में संलग्न रहे । द्वितीय विश्वयुद्ध के समय आपका परिवार सन् 1942 में कोहिमा से डीमापुर आकर बस गया। अपने धार्मिक स्वभाव के कारण डीमापुर में जैन एवं जैनेतर समाज में चारों ओर प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय हो गये । सरकार की ओर से उन्हें गांव बूढा (ग्राम सरपंच) की उपाधि दी गई।
आपका शुद्ध खानपान का नियम था तथा आप मुनियों के परम भक्त थे । व्रत उपवास करते रहते थे । आपका विवाह श्रीमती राखी देवी से हुआ। आपको छः पुत्र और दो पुत्रियों के पिता