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114/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
श्री महावीर प्रसाद पाटनी, डीमापुर (नागालैण्ड)
जन्मतिथि: अपाढ बुदी 14 संवत् 1996, सन् 1930
जन्मस्थान : मूलतः भोरडो का बास (सीकर) है। आपके माता-पिता सन् 1956 में किशनगढ़ रेनवाल (जयपुर) आकर रहने लगे ।
शिक्षा : अजमेर बोर्ड से सन् 1957 में मैट्रिक पास किया ।
पिताजी श्री किस्तूरमल जी आपका 88 वर्ष की आयु सन् 1977 में डीमापुर में स्वर्गवास हुआ।
सागर जी महाराज
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माताजी : श्रीमती मैनादेवी - आपका 8() वर्ष की आयु में 1982 में डीमापुर में स्वर्गवास हुआ।
विवाह : मांडोता निवासी श्री गुलाबचन्द जी छाबड़ा की सुपुत्री इन्द्रमणी जी के साथ सन् 1960 में संपन्न हुआ। '
सन्तान : एक मात्र पुत्र संजय कुमार जो अभी 9वीं कक्षा में अध्ययन कर रहा है।
आपके पांच पुत्रियां हैं जिनमें क्रमशः अनिता का विवाह श्री कमल कुमार जी काला इम्फाल निवासी तथा सुनीता का विवाह श्री भागचन्दजी चूडीबाल सुजानगढ निवासी के साथ हुआ है। शेष तीन पुत्रियां बबीता बी.कॉम. ममता बी.ए. फाइनल, एवं मनीषा प्राईमरी में पढ रही हैं।
गहावीर प्रसाद एव इ-द्रमणी देवी पाटनी
व्यवसाय : वस्त्र एवं रुई का थोक व्यवसाय । आप सन् 1964 में डीमापुर आकर वस्त्र व्यवसाय करने लगे। तब से आप डीमापुर में ही व्यवसायरत हैं। आपको अपने व्यवसाय में अच्छी सफलता मिली है।
भाई-बहिन : आपके भाई और हैं, सर्वश्री पन्नालाल जी, श्री बंशीधर जी, चौथमल जी. पांचूलालजी, कुन्दनमल जी एवं भागचन्दजी सभी आपसे बड़े हैं तथा गौहाटी एवं डोमापुर में अपना-अपना वस्त्र व्यवसाय करते हैं। आपके एक मात्र बहिन 'शान्तीदेवी है जिसका विवाह श्री चौथमल जी काला सुजानगढ निवासी से हुआ है। आप अपने सभी भाई-बहिनों से छोटे हैं।
विशेष: डीमापुर में सन् 1976 व 1989 में आयोजित सिद्धचक्र विधान में एवं 1908) में आयोजित इन्द्रध्वज महामंडल विधान में तथा 7 मई, 1990 को हुये पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में आप पति-पत्नी इन्द्र-इन्द्राणी पद से सुशोभित हुये हैं तथा डीमापुर केही मन्दिर की चौबीसी में एक मूर्ति को विराजमान करने का सौभाग्य भी प्राप्त कर चुके हैं।
आप सामाजिक व्यक्ति हैं । सन् 1982 से डीमापुर दि. जैन पंचायत की कार्यकारिणी के सदस्य, दि. जैन हाईस्कूल के संयुक्त मन्त्री पद पर काम कर रहे हैं। चैम्बर ऑफ कॉमर्स के सदस्य, धार्मिक प्रवृत्ति से सम्पन्न, मिलनसार एवं आतिथ्य प्रेमी हैं । तीर्थ वंदना के भी प्रेमी हैं। आपको नित्य प्रति देवदर्शन, पूजन, प्रक्षाल करने का नियम है।
आप प्रारम्भ से ही धार्मिक प्रवृत्ति के रहे हैं। आपने अपनी चंचला लक्ष्मी का सदुपयोग करके अपने पिताजी की पुण्य स्मृति में जन्मस्थान भोरडी का बास में सन् 1985 में महावीर जल योजना के तहत सार्वजनिक कुंए में बोरिंग करवाकर मोटर