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पूर्वांचल प्रदेश का जैन समाज /67
तिनसुकियाः
_ तिनसुकिया आसाम प्रदेश का व्यापारिक नगर है। छोटी लाईन का जंक्शन है । डीमापुर से चलकर मैं दि. 08:00187 को तिनसुकिया प्रात: 5 बजे ट्रेन द्वारा पहुंचा। वहां जाकर श्री हुलाशचन्द जी सेठी का आतिथ्य स्वीकार किया। तिनसुकिया प्रवास में सेठी जी का एवं उनके परिवार का जो स्नेह मिला उसके लिये मैं उनका पूर्ण आभारी हूं।
स्टेशन के पास ही में साइडिंग बाजार है। यहां का यह प्रमुख बाजार है । रेल लाईन के दोनों ओर बाजार एवं बीच में रेल लाईन बिछी हुई है। स्टेशन के पास ही में दिगम्बर जैन मन्दिर है तथा उसी के सामने साइडिंग बाजार है जिसमें गल्ला, किराना, घी, तेल, आलू, प्याज, आटा, मैदा, पापड आदि की बड़ी-बड़ी गादियां हैं । गादियों को वहां गोला कहते हैं ये बहुत लम्बी होती हैं और एक ही गोले में हजारों मन जिन्स रखी जा सकती है। इसी बाजार में एक गोला श्री निर्मल कुमार हुलाशचन्द सेठी का है। सेठी ब्रदर्स के पिताजी श्री हरकचन्द जी सेठी जब जीवित थे तो राइस किंग कहलाते थे। सारा बाजार उनकी मुट्ठी में रहता था।
तिनसुकिया में जैन समाज के अधिक घर नहीं हैं सब मिलाकर कोई 40 घर होंगे। लेकिन सभी व्यवसायी हैं तथा सम्पन्न है। पूरे समाज में सामंजस्य है । मन्दिर में चहल-पहल रहती है। शाम को प्रतिदिन शास्त्र प्रवचन होता है। यहां के प्रतिष्ठित परिवारों में सर्व श्री हुलाशचन्द जी सेठी, जयचन्द लाल जी पाटनी, मदनलाल जी पाटनी, लालचन्द जी सेठी, राजेन्द्र प्रसाद जी रारा, सोहनलाल जी पाटनी, सांगा पाटनी, सुमेरमल जी पहाड़िया
आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। श्री लक्षमीनारायण जी बज का कुछ ही समय पूर्व स्वर्गवास हो गया। वे भी प्रतिष्ठित समाजसेवी थे।
यहां अग्रवाल वैश्य समाज का बाहुल्य है। उनमें से कुछ प्रमुख महानुभावों से मिलने का अवसर मिला । इनमें श्री प्यारेलालजीरासीवासिया, रामगोपाल जी लोहिया, दुर्गादत्त जी लोहिया, साबरमलजी सुरेखा, दीनदयाल जी खेमका, छिगनलाल जी शर्मा आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। इन सबका जैन परिवारों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध
तिनसुकिया प्रवास में श्री हुलाशचन्द जी सेठी एवं श्री दुलीचन्द जी पाण्ड्या का जो सहयोग मिला वह अत्यधिक प्रशंसनीय है। खारूपेटिया :
यह भी आसाम प्रदेश का ही एक छोटा नगर है । व्यापारिक केन्द्र है। यहां दिगम्बर जैन समाज के करीब 35 परिवार हैं तथा कुल जनसंख्या 350 होगी। नगर में एक शिखर बन्द मन्दिर एवं दो चैत्यालय हैं । चैत्यालयों