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पूर्वाचल प्रदेश का जैन समाज /71
डीमापुर में मन्दिर एवं चैत्यालय के अतिरिक्त महावीर भवन, दि. जैन हाईस्कूल, हॉस्पिटल आदि हैं जिनमें समाज के सभी व्यक्ति अपनी सेवायें देते हैं। हॉस्पिटल मे सभी दवाईयां नि:शुल्क मिलती हैं । हायर सैकण्डरी स्कूल में धर्म पढ़ना अनिवार्य है । पं. उत्तमचन्द जी शास्त्री धर्माध्यापक हैं जो विगत 20 वर्षों से यहां कार्यरत हैं। आप प्रतिदिन शास्त्र स्वाध्याय भी करते हैं । भगवान महावीर की 2500 वां निर्वाण महोत्सव पर दि. जैन औषधालय भवन एवं कीर्तिस्तंभ का निर्माण सम्पन्न हुआ था । जैन भवन का निर्माण स्व. फूलचन्द जी विनायक्या की स्मृति में उनके दोनों पुत्रों श्री रतनलाल जी एवं दुलीचन्द जी ने करवाया।
___ डीमापुर नगर की जनसंख्या करीब 1 लाख है । यहां आसामी एवं बंगला भाषा मिली-जुली भाषा बोली जाती है । जिसे नगामी भाषा कहते हैं। यहां का व्यापारी वर्ग नगामी भाषा अच्छी बोल लेता है तथा समझ लेता है। शहर में नागा जाति के अतिरिक्त आसामी, बंगाली भी हैं। डीमापुर रेल, सड़क एवं हवाई जहाज तीनों से जुड़ा हुआ है। इम्फाल का जैन समाज:
देश के पूर्वाञ्चल प्रदेश/ भाग में मणिपुर एक छोटा सा प्रदेश है । जिसकी वर्तमान राजधानी इम्फाल मणिपुर के नाम से प्रसिद्ध है। इसे मणिपुर के नाम से भी कहा जाता है। मणिपुर यद्यपि एक छोटा प्रदेश है लेकिन उसकी अपनी भाषा है तथा अपनी संस्कृति है। मणिपुरी भाषा स्वतन्त्र भाषा है जिसके बोलने वालों की संख्या लाख से कम नहीं होगी। यहां का मारवाडी समाज व्यापारिक समाज है। 70 प्रतिशत मारवाड़ी समाज दिगम्बर जैन खण्डेलवाल समाज है जो राजस्थान से यहां 125-130 वर्ष पूर्व रोजी-रोटी कमाने के लिये आया था। सन् 1938 तक उनकी संख्या बढ़ती गई और यहां 30-40 दिगम्बर जैन समाज के परिवार हो गये । लेकिन इसके बाद द्वितीय महायुद्ध प्रारम्भ हुआ और जापान के साथ युद्ध होने के कारण शहर पर कितनी ही बार बम वर्षा हुई, मकान नष्ट हो गये और यहां के अधिकांश परिवार मणिपुर को छोड़कर अन्यत्र चले गये। मारवाड़ी बन्धु भी अपने-अपने देश चले गये। लेकिन युद्ध बन्द होने के पश्चात् जब पुनः शान्ति हो गई तो व्यापारी लौटने लगे और एक-एक करके यहां फिर आबाद हो गये । वर्तमान में दि. जैन मारवाड़ी (खण्डेलवाल) समाज के घरों की संख्या 225 है । इसके अतिरिक्त अग्रवाल जैन, पद्मावती पुरवाल एवं गोलापुर के भी एक-एक घर हैं। यहां एक मन्दिर, एक चैत्यालय है । एक दि. जैन महावीर हाईस्कूल है। धर्मशाला
इम्फाल व्यापारिक नगर है। यहां पर दि. जैन समाज अधिकांश व्यापारी समाज है लेकिन अधिकांश व्यवसायियों ने सर्वप्रथम अपना जीवन यहां के कुछ फर्मों में नौकरी करने के साथ प्रारम्भ किया और फिर वे स्वतन्त्र व्यवसाय करने लगे। आज वे नगर के प्रतिष्ठित व्यापारी कहलाते हैं । यहां पर बाकलीवाल परिवार हैं जिनका पेट्रोल का व्यवसाय 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है। स्व. भंवरीलाल जी बाकलीवाल महासभा के अध्यक्ष थे। धार्मिक जीवन एवं मुनिभक्ति में उनका अनुकरणीय जीवन रहा । समाज के प्रत्येक कार्य में