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समाज का इतिहास/61
उत्तरदायित्व निभाया। सम्पादक मंडल में डॉ. ज्योति प्रसाद जी लखनऊ, डॉ.दरबारीलाल जी कोठिया वाराणसी, श्री लक्ष्मीचन्द जैन नई दिल्ली, डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, जयपुर, डॉ. नेमिचन्द जैन इन्दौर, डॉ. हरीन्द्र भूषण बाहुबली, प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश जैन फिरोजाबाद एवं पं. कमलकुमार जी शास्त्री छतरपुर के नाम उल्लेखनीय है।
अभिनन्दन ग्रंथ का बहु आयामी स्वरुप है। प्रथम खंड में आशीष, शुभकामनायें दी गई है। द्वितीय में डॉ.साहब का जीवन स्वयं के शब्दों में दूसरे विद्वानों ने लिपिबद्ध किया है। इसी के साथ उनके व्यक्तित्व ' पर विभिन्न विद्वानों के आलेख है। कवियों ने उनके व्यक्तित्व को छन्दोबद्ध किया है तथा आगे उनकी कृतियों पर विभिन्न विद्वानों ने समीक्षात्मक लेख लिखे है। शेष तीन से छः खंड तक स्वयं डॉ. पन्नालाल जी द्वारा लिने गरी लेन्द्रों का संग्रह है। पंडित जी से सम्बद्ध चित्रों का भी अच्छा संग्रह हो गया है। अभिनन्दन ग्रंथ के प्रकाशक साहित्याचार्य डॉ.पन्नालाल जैन अभिनन्दन समारोह समिति सागर है। अभिनन्दन ग्रंथ का मूल्य 201/- रुपये है।
पंडित जगमोहनलाल शास्त्री साधुवाद ग्रंथ
पंडित जगमोहन लाल जी वर्तमान विद्वत समाज के गुरुणां गुरु है। उनका विशाल पांडित्य सभी विद्वानों के लिये प्रेरणा दायक है। शास्त्री जी को अभिनन्दन ग्रन्थ 12 अप्रैल, 1990 को पं. जगमोहन लाल शास्त्री साधुवाद समिति कुंडलपुर, जबलपुर रीवा द्वारा जबलपुर में एक समारोह में भेंट किया गया था। साधुवाद ग्रंथ के सम्पादक मंडल में डॉ.विलास संगवे कोल्हापुर, डॉ. (सौ. ) मीलांजना शाह अहमदाबाद, डॉ. विद्याधर जोहरापुरकर नागपुर, डॉ. हरीन्द्रभूषण उज्जैन, पं. जमनाप्रसाद शास्त्री कटनी, डॉ. नन्दलाल जैन रीवा के नाम है तथा डॉ. सुदर्शनलाल जैन काशी उसके प्रबन्ध संपादक है। साधुवाद ग्रंथ छ. खंडों में विभाजित है जिसमें प्रथम खंड पंडित जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से संबंधित है शेष पांच खंड विभिन्न विषयों में विभाजित है। पूरे ग्रंथ में 458 पृष्ठ है।
आचार्य श्री वीरसागर स्मृति ग्रंथ
आचार्य श्री वीरसागर जी महाराज आचार्य शांतिसागर जी के प्रथम पट्टाचार्य शिष्य थे। आपका आचार्यकाल अधिक नहीं रहा और सन् 1956 में ही आपकी समाधि हो गई। उनकी समाधि के 33 वर्ष पश्चात् स्मृति ग्रेथ का प्रकाशन भी एक महत्त्वपूर्ण श्रद्धांजलि है। स्मृति ग्रंथ प्रकाशन का सराहनीय कार्य दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान हस्तिनापुर एवं अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन युवा परिषद् ने किया। इसका प्रकाशन वैशाख शुक्ला तृतीया वीर नि.स.2516 दि.27-4-1990 को हुआ। स्मृति ग्रंथ प्रकाशन की प्ररेणास्रोत पूज्य गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माताजी, समायोजन आर्यिका चन्दनामती जी, निर्देशन स्वस्ति श्री पीठाधीश मोतीसागर जी एवं संपादक ब्र. रवीन्द्रकुमार जी जैन है। स्मृति ग्रेथ पांच खडो में विभाजित है।