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सूत्र विषय पृष्ठांक | सूत्र
विषय ७४. ज्योतिष्केन्द्र सूर्य की परिषदागत देव-देवियों
११३. अच्युत कल्प में देवों की स्थिति,
३३९ की स्थिति,
११४. आरण-अच्युत देवेन्द्र के परिषदागत देवों की ७५. ग्रहविमानवासी देव-देवियों की स्थिति, ३२४-३२५
स्थिति,
३३९ ७६. नक्षत्रविमानवासी देव-देवियों की स्थिति, ३२५ ११५. ग्रैवेयक देवों की स्थिति,
३४०-३४२ ७७. ताराविमानवासी देव-देवियों की स्थिति, ३२५-३२६ ११६. अनुत्तर देवों की स्थिति,
३४२-३४३ ७८. सामान्यतः वैमानिक देवों की स्थिति,
३२६ ११७. विशिष्ट विमानवासी देवों की स्थिति, ३४३-३४६ ७९. सामान्यतः वैमानिक देवियों की स्थिति, ३२६-३२७ ११८. लोकान्तिक देवों की स्थिति, ८०. सौधर्म कल्प में देव-देवियों की स्थिति,
११९. सूर्याभदेव और उसके सामानिक देवों की स्थिति, ३४६ ८१. सौधर्म कल्प में कतिपय देवों की स्थिति, ३२७ १२०. विजयदेव और उसके सामानिक देवों की स्थिति, ३४६ ८२. सौधर्म कल्प में परिगृहीता देवियों की स्थिति, ३२७-३२८ १२१. जृम्भक देवों की स्थिति,
३४६ ८३. सौधर्मेन्द्र शक्र की अग्रमहिषियों की स्थिति, ३२८ १२२. पाँच प्रकार के भव्यद्रव्य देवों की स्थिति, ३४७ ८४. सौधर्म कल्प में अपरिगृहीता देवियों की स्थिति, ३२८ १२३. भव्यद्रव्य चौबीसदंडकों के जीवों की स्थिति, ३४७ ८५. सौधर्मेन्द्र शक्र की परिषदागत देव-देवियों की स्थिति,
३२८-३२९
१३. आहार अध्ययन ८६. ईशान कल्प के देव-देवियों की स्थिति, ३२९ १. आहार के प्रकार,
३५१ ८७. ईशान कल्प में कतिपय देवों की स्थिति, ३२९ २. चारों गतियों के आहार का रूप,
३५१ ८८. ईशान कल्प में परिगृहीता देवियों की स्थिति, ३३० ३. गर्भगत जीव के आहार ग्रहण का प्ररूपण, ३५१-३५२ ८९. ईशानेन्द्र की अग्रमहिषियों की स्थिति, ३३० ४. समवहत पृथ्वी-अप्वायुकायिक का उत्पत्ति के ९०. ईशान कल्प में अपरिगृहीता देवियों की स्थिति, ३३०
पूर्व और पश्चात् आहार ग्रहण का प्ररूपण, ३५२-३५६ ९१. ईशानेन्द्र की परिषदागत देव-देवियों की
.. ५. वनस्पतिकायिक जीवों के अल्पाहार और स्थिति,
३३०-३३१
महाहारकाल का प्ररूपण, ९२. सौधर्म-ईशान कल्प के कतिपय देवों की
६. मूलादि की आहार ग्रहण विधि का प्ररूपण, ३५६-३५७ स्थिति,
३३१-३३२ ७. जीवादिकों में अनाहारकत्व और सर्वाल्पाहारकत्व ९३. सनत्कुमार कल्प में देवों की स्थिति,
३३२-३३३ के समय का प्ररूपण,
३५७ ९४. सनत्कुमारेन्द्र के परिषदागत देवों की स्थिति, ३३३ ८. उपपद्यमानादि चौबीसदंडकों में आहारण के ९५. माहेन्द्र कल्प में देवों की स्थिति,
चतुभंगों का प्ररूपण,
३५७-३५९ ९६. माहेन्द्र के परिषदागत देवों की स्थिति,
३३४ ९. चौबीसदंडकों में वीचि-अवीचि द्रव्यों के ९७. सनत्कुमार-माहेन्द्र कल्पों में कतिपय देवों की
आहारण का प्ररूपण,
३५९ स्थिति,
१०. चौबीसदंडकों में आहार-आभोगता का प्ररूपण, ३५९ ९८. ब्रह्मलोक कल्प में देवों की स्थिति,
११. चौबीसदंडकों में आहार क्षेत्र का प्ररूपण, ३५९-३६० ९९. ब्रह्मलोक कल्प में कतिपय देवों की स्थिति,
१२. भविष्यकाल में चौबीसदंडकों द्वारा पुद्गलों का १००. ब्रह्म देवेन्द्र की परिषदागत देवों की स्थिति, ३३५
आहरण और निर्जरण का प्ररूपण,
३६० १०१. लान्तक कल्प में देवों की स्थिति,
३३५ १३. चौबीसदंडकों में निर्जरा पुद्गलों के जानने१०२. लान्तक कल्प में कतिपय देवों की स्थिति, ३३५
देखने और आहरण का प्ररूपण, ३६०-३६२ १०३. लान्तक देवेन्द्र के परिषदागत देवों की स्थिति, ३३५-३३६ १४. आहार प्ररूपण के ग्यारह द्वार,
३६२ १०४. महाशुक्र कल्प में देवों की स्थिति,
१५. चौबीसदंडकों में सचित्तादि आहार,
३६२ १०५. महाशुक्र कल्प में कतिपय देवों की स्थिति, ३३६ १६. नैरयिकों में आहारार्थी आदि सात द्वार, ३६२-३६५ १०६. महाशुक्र देवेन्द्र के परिषदागत देवों की
१७. भवनवासियों में आहारार्थी आदि सात द्वार, ३६६ स्थिति,
३३६-३३७ १८. एकेन्द्रियों में आहारार्थी आदि सात द्वार, ३६६-३६७ १०७. सहस्रार कल्प में देवों की स्थिति,
१९. विकलेन्द्रियों में आहारार्थी आदि सात द्वार, ३६७-३६९ १०८. सहस्रार देवेन्द्र के परिषदागत देवों की स्थिति, ३३७ २०. पंचेन्द्रिय तिर्यंचादि में आहारार्थी आदि सात द्वार, ३६९ १०९. आनत कल्प में देवों की स्थिति,
३३७-३३८ २१. वैमानिक देवों में आहारार्थी आदि सात द्वार, ३६९-३७३ ११०. प्राणत कल्प में देवों की स्थिति,
२२. विशिष्ट विमानवासी देवों की आहार इच्छा १११. आनत-प्राणत देवेन्द्र के परिषदागत देवों की
का प्ररूपण,
३७३-३७५ स्थिति,
३३८ २३. चौबीसदंडकों में एकेन्द्रियादि जीवों के शरीरों ११२. आरण कल्प में देवों की स्थिति,
३३८-३३९ का आहार करने का प्ररूपण,
३७६
३३३
३३४ ३३४
३३४
३३८
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