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द्रव्यानुयोग-(१)
उत्कृष्ट छब्बीस हजार वर्ष में आहार की अभिलाषा उत्पन्न
होती है। प्र. ५. भन्ते ! मध्यम-मध्यम ग्रैवेयकों में देवों को कितने काल के
पश्चात् आहार की इच्छा उत्पन्न होती है ? उ. गौतम ! जघन्य छब्बीस हजार वर्ष में,
उत्कृष्ट सत्ताईस हजार वर्ष में आहारेच्छा उत्पन्न होती है।
प्र. ६. भन्ते ! मध्यम-उपरिम ग्रैवेयकों में देवों को कितने काल के
पश्चात् आहार की इच्छा उत्पन्न होती है ? उ. गौतम ! जघन्य सत्ताईस हजार वर्ष में,
उत्कृष्ट अट्ठाईस हजार वर्ष में आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है।
प्र. ७. भन्ते ! उपरिम-अधस्तन ग्रैवेयकों में देवों को कितने काल
के पश्चात् आहार की इच्छा उत्पन्न होती है ? उ. गौतम ! जघन्य अट्ठाईस हजार वर्ष में,
उत्कृष्ट उन्तीस हजार वर्ष में आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है।
उक्कोसेण छव्वीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्जइ। ५. ५. मज्झिममज्झिमाणं भंते ! देवाणं केवइकालस्स
आहारट्ठे समुप्पज्जइ? उ. गोयमा ! जहण्णेण छव्वीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्जइ, उक्कोसेण सत्तावीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्जइ। प. ६. मज्झिमउवरिमाणं भंते ! देवाणं केवइकालस्स
आहारट्टे समुप्पज्जइ? उ. गोयमा ! जहण्णेण सत्तावीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्जइ, उक्कोसेणं अट्ठावीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्जइ। प. ७. उवरिमहेट्ठिमाणं भंते ! देवाणं केवइकालस्स
आहारट्ठे समुप्पज्जइ? उ. गोयमा ! जहण्णेण अट्ठावीसाए वाससहस्साणं
आहारट्ठे समुप्पज्जइ, उक्कोसेणं एगूणतीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्ज। प. ८. उवरिममज्झिमाणं भंते ! देवाणं केवइकालस्स
आहारट्टे समुप्पज्जइ? उ. गोयमा ! जहण्णेण एगूणतीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्जइ, उक्कोसेण तीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्जइ प. ९. उवरिमउवरिमगेवेज्जगाणं भंते ! देवाणं
केवइकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जइ? उ. गोयमा ! जहण्णेण तीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्जइ, उक्कोसेण एक्कतीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्जइ६। प. १-४.विजय-वेजयंत-जयन्त-अपराजियाणं भंते ! देवाणं
केवइकालस्स आहारट्टे समुप्पज्जइ ? उ. गोयमा ! जहण्णेण एकतीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे
समुप्पज्जइ, उक्कोसेण तेत्तीसाए वाससहस्साणं आहारट्ठे समुप्पज्जइ।
प्र. ८.भन्ते ! उपरिम-मध्यम ग्रैवेयकों में देवों को कितने काल के
पश्चात् आहार की इच्छा उत्पन्न होती है ? उ. गौतम ! जघन्य उन्तीस हजार वर्ष में,
उत्कृष्ट तीस हजार वर्ष में आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है।
प्र. ९. भन्ते ! उपरिम-उपरिम अवेयकों में देवों को कितने काल
के पश्चात् आहार की इच्छा उत्पन्न होती है ? उ. गौतम ! जघन्य तीस हजार वर्ष में,
उत्कृष्ट इकत्तीस हजार वर्ष में आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है।
प्र. १-४. भन्ते ! विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित देवों
को कितने काल में आहार की इच्छा उत्पन्न होती है ? उ. गौतम ! जघन्य इकत्तीस हजार वर्ष में,
उत्कृष्ट तेतीस हजार वर्ष में आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है।
१. तेसिणं देवाणं छब्बीस वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जइ।
-सम. सम.२६,सु.१० २. तेसि णं देवाणं सत्तावीसं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुष्पज्जइ।
-सम. सम.२७.सु.१४ २. तेसिणं देवाणं अट्ठावीसं वाससहस्सेहिं आहारठे समुप्पज्जइ।
- -सम.सम.२८,सु.१३ ४. तेसिणं देवाणं एगूणतीसं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ।
-सम. सम.२९,सु.१७
५. तेसि णं देवाणं तीसं वाससहस्सेहिं आहारट्टे समुप्पज्जइ।
-सम. सम.३०, सु.१५ ६. तेसिणं देवाणं एक्कतीसं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ।
-सम.सम.३१,सु.१३ ७. (क) तेसिणं देवाणं बत्तीस वास सहस्सेहिं आहारठे समुप्पज्जइ।
-सम.सम.३२ सु.१३ (ख) सम.सम.३३ सु.१३