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ज्ञान अध्ययन
प. २. से किं तं बहुवीहिसमासे ? उ. बहुवीहिसमासेफुल्ला जम्मि गिरिम्मि कुडय कलंबा सो इमो गिरी
प्र. २. बहुब्रीहिसमास क्या है ? उ. बहुब्रीहिसमास का स्वरूप इस प्रकार हैइस पर्वत पर पुष्पित कुटज और कदंब वृक्ष होने से यह पर्वत फुल्लकुटजकदंब है। यह बहुब्रीहिसमास है। प्र. ३. कर्मधारयसमास क्या है ? उ. कर्मधारयसमास का स्वरूप इस प्रकार हैधवलो वृषभः = धवलवृषभः, कृष्णो मृगः = कृष्णमृगः, श्वेतः पटः = श्वेतपटः, रक्तः पटः = रक्तपटः । यह कर्मधारयसमास है। प्र. ४. द्विगुसमास क्या है ? उ. द्विगुसमास का स्वरूप इस प्रकार है
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फुल्लकुडय कलंबो सेतं बहुवीहिसमासे प. ३. से किं तं कम्मधारयसमासे ? उ. कम्मधारयसमासेधवलो वसहो धवलवसहो, किण्डो मिगो किन्हमिगो, सेतो पटो सेतपटो, रत्तो पटो रत्तपटो। से तं कम्मधारयसमासे । प. ४. से किं तं दिगुसमासे ? उ. दिगुसमासेतिणिकडुगा तिकडुगं, तिणि महुराणि तिमहुरं, तिण गुणातिगुणं, तिणि पुरातिपुरं, तिण्णि सरा तिसरं, तिष्णि पुक्खरा तिपुक्खरं, तिण्णि बिंदुयातिबिंदु, तिणि पहा तिप, पंच नदीओ पंचद सत्त गया सत्तगयं नव तुरगा नयतुरगं दस गामा दसगाम, दसपुरा दसपुर। सेतं विगुसमासे । प. ५. से किं तं तप्पुरिसे समासे ? उ. तप्पुरिसे समासे
तीन कटुक वस्तुओं का समूह - त्रिकटु, तीन मधुरों का समूह - त्रिमपुर, तीन गुणों का समूह - त्रिगुण, तीन पुरों का समूह - त्रिपुर, तीन स्वरों का समूह - त्रिस्वर, तीन पुष्करों (कमलों) का समूह - त्रिपुष्कर, तीन बिन्दुओं का समूह - त्रिबिन्दु, तीन पथों का समूह त्रिपथ, पांच नदियों का समूह पंचनद सात गजों का समूह - सप्तगज, नौ तुरंगों (अश्वों) का समूह -नवतुरंग, दस ग्रामों का समूह दसग्राम, दस पुरों का समूह -दसपुर ।
तित्थे कागो तित्थकागो
यह द्विगुसमास है। प्र. ५. तत्पुरुषसमास क्या है ? उ. तत्पुरुषसमास का स्वरूप इस प्रकार हैतीर्थ में काक-तीर्थकाक, वन में हस्ती - वनहस्ती, वन में वराह - वनवराह, वन में महिष-वनमहिष,
वणे हत्थी वणहत्थी, वणे वराहो वणवराहो, वणे महिसो वणमहिसो, वणे मयूरो वणमयूरो। सेतं तप्युरिसे समासे । प. ६. से कि त अव्यईभावे समासे ? उ. अव्यईभावे समासे
वन में मयूर - वनमयूर ।
यह तत्पुरुषसमास है। प्र. ६. अव्ययीभावसमास क्या है? उ. अव्ययीभावसमास का स्वरूप इस प्रकार है
ग्राम के समीप अनुग्राम, नदी के समीप - अनुनादिकम, (इसी प्रकार) अनुस्पर्शम्, अनुचरितम् आदि । यह अव्ययीभावसमास है। प्र. ७. एकशेषसमास क्या है?
अणुगामं अदीयं अणुफरिहं अणुचरियं। सेतं अव्बई भावे समासे । प. ७. से किं तं एगसेसे समासे ?
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