Book Title: Dravyanuyoga Part 1
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj & Others
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 870
________________ ज्ञान अध्ययन ७६३ १६९. प्रमाण नाम के भेद-प्रभेद प्र. प्रमाणनिष्पन्न नाम क्या है? उ. प्रमाणनिष्पन्ननाम चार प्रकार के कहे गये हैं, यथा १. नामप्रमाण, २. स्थापनाप्रमाण, ३. द्रव्यप्रमाण, ४. भावप्रमाण। १६९. पमाणनामस्स भेयप्पभेया प. से किं तं पमाणे? उ. पमाणे णं चउव्विहे पण्णत्ते,' तं जहा १. णामप्पमाणे, २. ठवणप्पमाणे, ३. दव्वप्पमाणे, ४. भावप्पमाणे। -अणु.सु.२८२ १. नामप्पमाणेप. से किं तं नामप्पमाणे? उ. नामप्पमाणे जस्स णं जीवस्स वा, अजीवस्स वा, जीवाण वा, अजीवाण वा, तदुभयस्स वा, तदुभयाण वा पमाणे त्तिणामं कज्जइ। से तंणामप्पमाणे। -अणु. सु. २८३ २. ठवणप्पमाणेप. से किं तं ठवणप्पमाणे? उ. ठवणप्पमाणे णं सत्तविहे पण्णत्ते,तं जहा णक्खत्त-देवयकुले पासंड-गणे य जीवियाहेउं। आभिप्पाउयणामे ठवणानामं तु सत्तविहं ॥८५॥ -अणु.सु.२८४ नक्खत्त देवय णाम ठवणाप. (१) से किं तं नक्खत्तणाम? उ. नक्खत्तणामे कत्तियाहिं जाए कत्तिए, कत्तियदिण्णे, कत्तियधम्मे, कत्तियसम्मे, कत्तियदेवे, कत्तियदासे, कत्तियसेणे, कत्तियरक्खिए। १. नामप्रमाणप्र. नामप्रमाणनिष्पन्न नाम क्या है? उ. नामप्रमाणनिष्पन्न नाम इस प्रकार है-किसी जीव या अजीव का, जीवों या अजीवों का, तदुभय या तदुभयों का "प्रमाण" ऐसा जो नाम रख लिया जाता है। यह नामप्रमाण है। २. स्थापना प्रमाणप्र. स्थापनाप्रमाणनिष्पन्न नाम क्या है? उ. स्थापनाप्रमाणनिष्पन्ननाम सात प्रकार के कहे गये है, यथा १. नक्षत्रनाम, २. देवनाम, ३. कुलनाम, ४. पाषंडनाम, ५.गणनाम, ६.जीवितनाम,७.आभिप्रायिकनाम। रोहिणीहिं जाए रोहिणिए, रोहिणिदिन्ने, रोहिणिधम्मे, रोहिणिसम्मे, रोहिणिदेवे, रोहिणिदासे, रोहिणिसेणे, रोहिणिरिक्खिए। एवं सव्वणक्खत्तेसु णामा भाणियव्वारे। से तं नक्खत्तणामे। प. (२) से किं तं देवयणामे? उ. देवयणामे-अग्गिदेवयाहिं जाए अग्गिए, अग्गिदिण्णे, अग्गिधम्मे, अग्गिसम्मे, अग्गिदेवे अग्गिदासे, अग्गिसेणे, अग्गिरक्खिए। नक्षत्र और देव नाम स्थापनाप्र. (१) नक्षत्र के आधार से स्थापित नाम क्या है? उ. नक्षत्र का स्वरूप इस प्रकार है-कृत्तिका नक्षत्र में जन्मे हुए का कार्तिकेय, कार्तिकदत्त, कार्तिकधर्म, कार्तिकशर्म, कार्तिकदेव, कार्तिकदास, कार्तिकसेन, कार्तिकरक्षित आदि नाम रखना। रोहिणी नक्षत्र में जन्मे हुए का रोहिणेय, रोहिणीदत्त, रोहिणीधर्म, रोहिणीशर्म, रोहिणीदेव, रोहिणीदास, रोहिणीसेन, रोहिणीरक्षित आदि नाम रखना। इस प्रकार अन्य सब नक्षत्रों की अपेक्षा नाम जानने चाहिए। ये नक्षत्र नाम है। प्र. (२) देवनाम क्या है? उ. देवनाम का स्वरूप इस प्रकार है, यथा अग्नि देवता से अधिष्ठित नक्षत्र में उत्पन्न हुए का आग्निक, अग्निदत्त, अग्निधर्म, अग्निशर्म, अग्निदेव, अग्निदास, अग्निसेन, अग्निरक्षित आदि नाम रखना। इसी प्रकार से अन्य सभी नक्षत्र देवताओं के नाम पर स्थापित नामों के लिए भी जानना चाहिए। ये नक्षत्र देवताओं के नाम हैं। कुल आदि नाम स्थापनाप्र. (३) कुलनाम क्या है? उ. कुलनाम उग्र, भोग, राजन्य, क्षत्रिय, इक्ष्वाकु, ज्ञात, एवं पि सव्वनक्खत्तदेवयनामा भाणियव्वा३। से तं देवयणामे। -अणु.सु.२८५ कुलाइ णाम ठवणाप. (३) से किं तं कुलनामे? उ. कुलनामे-उग्गे, भोगे, राइण्णे, खत्तिए, इक्खागे, णाते कोरब्वे। से तं कुलनामे। १. विया.स.५, उ.४,सु.२७ में चार प्रकार के प्रमाण कहे हैं १. प्रत्यक्ष, २. अनुमान, ३. उपमा, ४. आगम। इनका विस्तृत वर्णन अनु. सु. ४३६-४७० में है जो चरणानुयोग पृ.१८ में देखें। कौरव्य। ये कुलनाम है। २. गणि.पू.५९० पर नक्षत्रों के नाम देखें। ३. गणि. पृ.५९४ पर नक्षत्रों के देवता के नाम देखें।

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