Book Title: Dravyanuyoga Part 1
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj & Others
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 871
________________ ( ७६४ ।। प. (४)से किं तं पासंडनामे? उ. पासंडनामे-समणए, पुंडुरंगए, भिक्खू, कावालियए, तावसए, परिव्वायगे। सेतं पासंडनामे। प. (५) से किं तं गणनामे? उ. गणनामे-मल्ले मल्लदिन्ने, मल्लधम्मे, मल्लसम्मे, मल्लदेवे, मल्लदासे, मल्लसेणे,मल्लरक्खिए। से तंगणनामे। प. (६) से किं तं जीवियाहेऊ? उ. जीवियाहेऊ-अवकरए, उक्कुरुडए, उज्झियए, कज्जवए,सुप्पए। सेतं जीवियाहेऊ। प. (७) से किं तं आभिप्पाइयनामे? उ. आभिप्पाइयनामे अंबए, निंबए, बबूलए, पालासए, सिणए, पिलुयए, करीरए। सेतं आभिप्पाइयनामे। से तंठवणप्पमाणे। -अणु.सु.२८७-२९१ ३. दव्वप्पमाणंप. से किं तं दव्वप्पमाणे? उ. दव्वप्पमाणे-छव्विहे पण्णत्ते,तं जहा १.धम्मत्थिकाए जाव ६.अद्धासमए। से तंदव्यप्पमाणे। -अणु.सु.२९२ ४. भावप्पमाणस्स भेयाप. से किं तं भावप्पमाणे? उ. भावप्पमाणे-चउव्विहे पण्णत्ते,तं जहा१.सामासिए,२. तद्धितए, ३.धातुए,४.निरुत्तिए। -अणु.सु.२९३ १७०. (१) समास-भेयाण परवणा प. से किं तं सामासिए? उ. सामासिए-सत्त समासा भवंति,तं जहा १ दंदे य २ बहुव्वीही ३ कम्मधारए ४ दिग्गं य । ५ तप्पुरिस ६ अव्वईभावे ७ एकसेसे य सत्तमे ॥११॥ प. १.से किं तं दंदे समासे? उ. दंदे समासे दन्ताश्च ओष्ठौच दन्तोष्ठम्, . स्तनौ च उदरं च स्तनोदरं, वस्त्रं च पात्रं च वस्त्रपात्रम्, अश्वश्च महिषश्च अश्वमहिषम्, अहिश्च नकुलश्च अहिनकुलम्। से तं ददे समासे। ( द्रव्यानुयोग-(१)) प्र. (४) पाषण्डनाम क्या हैं? उ. पाषण्डनाम-श्रमण, पाण्डुरांग, भिक्षु, कापालिक, तापस, परिव्राजक। ये पाषण्डनाम हैं। प्र. (५) गणनाम क्या है? उ. गण के आधार से स्थापित नाम को गणनाम कहते हैं-जैसे मल्ल, मल्लदिन्न, मल्लधर्म, मल्लशर्म, मल्लदेव, मल्लदास, मल्लसेन, मल्लरक्षित। ये गण (स्थापनानिष्पन्न) नाम हैं। प्र. (६) जीवितहेतुनाम क्या है? उ. दीर्घकाल तक सन्तान को जीवित रखने के निमित्त नाम रखने को जीवितहेतुनाम कहते हैं, जैसे-अवकरक, उत्कुरुटक, उज्झितक, कववरक, सूर्पक। ये जीवितहेतुनाम है। प्र. ७.आभिप्रायिकनाम क्या है? उ. आभिप्रायिकनाम जैसे-अंबक, निम्बक, बकुलक, पलाशक, स्नेहक, पीलुक, करीरक आदि। ये आभिप्रायिकनाम हैं। यह स्थापनाप्रमाणनिष्पन्ननाम का वर्णन है। ३. द्रव्यप्रमाणप्र. द्रव्यप्रमाणनिष्पन्ननाम क्या है? उ. द्रव्यप्रमाणनिष्पन्ननाम छह प्रकार के कहे गये है, यथा १. धर्मास्तिकाय यावत् ६. अद्धासमय। यह द्रव्यप्रमाणनिष्पन्ननाम है। ४. भावप्रमाण के भेदप्र. भावप्रमाण निष्पन्न नाम क्या है? उ. भावप्रमाण चार प्रकार के कहे गये है, यथा १. सामासिक, २. तद्धितज, ३. धातुज, ४. निरुक्तिक। १७०.(१) समास के भेदों की प्ररूपणा प्र. सामासिकभावप्रमाण क्या है? उ. सामासिकनामनिष्पन्नता के हेतु सात समास है, यथा १.द्वन्द्व, २. बहुब्रीहि,३. कर्मधारय, ४. द्विगु, ५. तत्पुरुष, ६. अव्ययीभाव,७. एकशेष। प्र. १. द्वन्द्वसमास क्या है? उ. द्वन्द्वसमास का स्वरूप इस प्रकार है "दंताश्च ओष्ठौ च इति दंतोष्ठम्", स्तनौ च उदरं च इति स्तनदरम्, वस्त्रं च पात्रं च इति वस्त्रपात्रम्, अश्वश्च महिषश्च इति अश्वमहिषम्, अहिश्च नकुलश्च इति अहिनकुलम्, ये द्वन्द्वसमास के रूप हैं। १. जिस स्त्री के बालक अल्पायु में मरने वाले होते हैं, उसके पुत्रों के ऐसे अप्रशस्त नाम रखे जाते हैं-यथा-कचरूमल, ओघडमल, दुग्गडमल, फकीरचन्द आदि।

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