Book Title: Dravyanuyoga Part 1
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj & Others
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 875
________________ ( ७६८ - चिदिति करोति खल्लंच भवति चिक्खल्लं, ऊर्ध्वकर्णः उलूकः मेखस्य माला मेखला। सेत निरुत्तिए।सेतं भावप्पमाणे।से तं पमाणनामे। से तं दसनामे।सेतं नामे। -अणु.सु.३१२ १७४. पमाणस्स भेयप्पमेया प. से किं तं पमाणे? उ. पमाणे-चउव्यिहे पण्णत्ते,तं जहा १. दव्यप्पमाणे, २. खेत्तप्पमाणे, ३. कालप्पमाणे, ४. भावप्पमाणे।' -अणु.सु.३१३ १. दव्यपमाणंप. से किं तं दव्वपमाणे? उ. दव्यपमाणे-दुविहे पण्णत्ते, तं जहा १.पएसनिफण्णे य,२.विभागनिप्फण्णे य। प. से किं तंपएसनिफण्णे? उ. पएसनिप्पण्णे-परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अणंतपएसिए। से तं पएसनिष्फण्णे। प. से किं तं विभागनिष्फण्णे? उ. विभागनिष्फण्णे-पंचविहे पण्णत्ते,तं जहा १. माणे, २. उम्माणे, ३. ओमाणे, ४. गणिमे, ५.पडिमाणे। द्रव्यानुयोग-(१)] चिदिति करोति खलं च भवति-इति चिक्खलं-पैरों के साथ जो चिपके वह चिक्खल, ऊर्ध्वकर्णः इति उलूकः-जिसके कान ऊपर उठे हों वह उलूक, मेखस्य माला मेखला-मेघों की माला मेखला। ये निरुक्तिजनाम है। यह भावप्रमाणनाम का कथन है। यह प्रमाणनाम है। यह दस नाम का वर्णन है। यह नाम का वर्णन पूर्ण हुआ। १७४. प्रमाण के भेद-प्रभेद प्र. प्रमाण क्या है ? उ. प्रमाण चार प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. द्रव्यप्रमाण, २. क्षेत्रप्रमाण, ३. कालप्रमाण, ४. भावप्रमाण। १. द्रव्यप्रमाणप्र. द्रव्यप्रमाण क्या है? उ. द्रव्यप्रमाण दो प्रकार का कहा गया है, यथा १. प्रदेशनिष्पन्न, २. विभागनिष्पन्न। प्र. प्रदेशनिष्पन्न द्रव्यप्रमाण क्या है? उ. परमाणु पुद्गल, द्विप्रदेशों यावत् अनंत प्रदेशों से जो निष्पन्न हो वह प्रदेश निष्पन्न है। यह प्रदेश निष्पन्न द्रव्यप्रमाण है। प्र. विभागनिष्पन्न द्रव्यप्रमाण क्या है ? उ. विभागनिष्पन्न द्रव्यप्रमाण पांच प्रकार के कहे गए हैं, यथा १. मान (धान मापने का पात्र), २. उन्मान (तराजू), ३. अवमान (गज),४. गणिम (गणना), ५.प्रतिमान (सोने आदि का माप)। प्र. (१) मान प्रमाण क्या है ? उ. मानप्रमाण दो प्रकार का कहा गया है, यथा १. धान्यमानप्रमाण, २. रसमानप्रमाण। प. (१) से किं तं माणे? उ. माणे-दुविहे पण्णत्ते,तं जहा१.धनमाणप्पमाणे य,२. रसमाणप्पमाणे य। -अणु.सु.३१४-३१७ धन्नमाणप्पमाणेप. (क) से किं तं धनमाणप्पमाणे? उ. धनमाणप्पमाणे दो असतीओ पसती, दो पसतीओ सेतिया, चत्तारि सेतियाओ कुलओ, चत्तारि कुलया पत्यो, चत्तारि पत्थया आढयं, चत्तारि आढयाई दोणो, सट्ठि आढयाई जहण्णए कुंभे, असीतिआढयाई मज्झिमए कुंभे, आढयसतं उक्कोसए कुंभे; अट्ठआढयसतिए वाहे। १. ठाणं.अ.४,उ.१,सु.२५८ धान्य मापने के प्रमाणप्र. (क) धान्यमानप्रमाण क्या है ? उ. धान्यमानप्रमाण इस प्रकार है दो असति की एक प्रसृति, दो प्रसृति की एक सेतिका, चार सेतिकाओं का एक कुडब, चार कुडब का एक प्रस्थ, चार प्रस्थों का एक आढक, चार आढकों का एक द्रोण, साठ आढकों का एक जघन्य कुम्भ, अस्सी आढकों का एक मध्यम कुम्भ, सौ आढकों का एक उत्कृष्ट कुम्भ और आठ सौ आढकों का एक बाह होता है।

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