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१. किं सच्चं भासं भासंति, २. मोसं भासं भासंति, ३. सच्चामोसं भासं भासंति,
४. असच्चामोसं भासं भासंति? उ. गोयमा ! जीवा १. सच्चं पि भासं भासंति,
२. मोसं पि भासं भासंति, ३. सच्चामोसं पि भासं भासंति,
४. असच्चामोसं पि भासं भासंति। प. द.१.णेरइया णं भंते ! किं सच्चं भासं भासंति जाव किं
असच्चामोसं भासं भासंति? उ. गोयमा णेरइया णं सच्चं पि भासं भासंति जाव
असच्चामोसं पि भासं भासंति। दं.२-११ एवं असुरकुमारा जाव थणियकुमारा।
दं.१७-१९ बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिया य। णो सच्चं, णो मोसं, णो सच्चामोसं भासं भासंति,
असच्चामोसं भासं भासंति। प. दं. २०. पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया णं भंते ! किं सच्चं
भासं भासंति जाव किं असच्चामोसं भासं भासंति? उ. गोयमा ! पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया णो सच्चं भासं
भासंति, णो मोसं भासं भासंति, णो सच्चामोसं भासं भासंति, एग असच्चामोसं भासं भासंति, णऽण्णत्थ सिक्खापुव्वगं उत्तरगुणलद्धि वा पडुच्च सच्चं पि भासं भासंति, मोसं पि भासं भासंति, सच्चामोसं पि भासं भासंति, असच्चामोसं पि भासं भासंति। दं.२१-२४.मणुस्सा जाव वेमाणिया एए जहा जीवा तहा भाणियव्या।
-पण्ण.प.११, सु. ८७१-८७६ ५. भासज्जायं भासमाण जीवस्स आराहग विराहगत्तंप. इच्चेयाई भंते ! चत्तारि भासज्जायाई भासमाणे किं
आराहए विराहए? उ. गोयमा ! इच्चेयाइं चत्तारि भासज्जायाई आउत्ते भासमाणे
आराहए,णो विराहए, तेणं परं अस्संजयाऽविरयाऽपडिहयाऽपच्चक्खायपावकम्मे सच्चं वा भासं भासंति, मोसं वा, सच्चामोसं वा, असच्चामोसं वा भासं भासमाणे णो आराहए विराहए।
___ -पण्ण.प.११,सु.८९९ ६. भासाए अण्णत्तत्त परूवणं
प. आया भंते ! भासा,अन्ना भासा? उ. गोयमा ! नो आया भासा,अन्ना भासा।
-विया. स. १३, उ.७,सु.२ ७. भासाए रूवित्त परूवणं
प. रूविं भंते ! भासा, अरूविं भासा? उ. गोयमा ! रूविं भासा, नो अरूवि भासा।
-विया, स.१३, उ.७,सु.३
द्रव्यानुयोग-(१) १. सत्यभाषा बोलते हैं, २. मृषाभाषा बोलते हैं ३. सत्यमृषाभाषा बोलते हैं,
४. असत्यामृषाभाषा बोलते हैं, उ. गौतम ! जीव १. सत्यभाषा बोलते हैं,
२. मृषाभाषा बोलते हैं, ३. सत्यामृषाभाषा बोलते हैं,
४. असत्यामृषाभाषा भी बोलते हैं। प्र. द. १. भन्ते ! क्या नैरयिक सत्यभाषा बोलते हैं यावत्
असत्यामृषाभाषा बोलते हैं? उ. गौतम ! चैरयिक सत्यभाषा भी बोलते हैं यावत्
असत्यामृषाभाषा भी बोलते हैं। दं.२-११. इसी प्रकार असुरकुमारों से स्तनितकुमारों पर्यन्त जानना चाहिए। दं.१७-१९. द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय जीव न तो सत्यभाषा, न मृषाभाषा, न ही सत्यामृषा भाषा
बोलते हैं, किन्तु असत्यामृषाभाषा बोलते हैं। प्र. दं.२०. भंते ! पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीव क्या सत्यभाषा
बोलते हैं यावत् क्या असत्यामृषाभाषा बोलते हैं ? उ. गौतम ! पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीव न तो सत्यभाषा बोलते
हैं, न मृषाभाषा बोलते हैं, न सत्यामृषाभाषा बोलते हैं, वे सिर्फ एक असत्यामृषाभाषा बोलते हैं। किन्तु शिक्षापूर्वक या उत्तरगुणलब्धि की अपेक्षा से सत्यभाषा भी बोलते हैं, मृषाभाषा भी बोलते हैं, सत्यामृषाभाषा भी बोलते हैं, असत्यामृषाभाषा भी बोलते हैं। दं. २१-२४ मनुष्यों से वैमानिकों पर्यन्त का भाषा संबंधी
कथन औधिक जीवों के समान करना चाहिए। ५. भाषा प्रकारों को बोलता हुआ जीव आराधक या विराधकप्र. भन्ते ! इन चारों भाषा प्रकारों को बोलता हुआ जीव आराधक
होता है या विराधक होता है? उ. गौतम ! इन चारों प्रकार की भाषाओं को उपयोगपूर्वक बोलने
वाला आराधक होता है, विराधक नहीं होता है। उससे अन्य जो असंयत, अविरत, पापकर्म का अप्रतिघातक और प्रत्याख्यान न करने वाला सत्यभाषा बोलता हुआ तथा मृषाभाषा, सत्यामृषा और असत्यामृषा भाषा बोलता हुआ
आराधक नहीं किन्तु विराधक होता है। ६. भाषा में अनात्मत्व का प्ररूपण
प्र. भन्ते ! भाषा आत्मा है या अन्य है? उ. गौतम ! भाषा आत्मा नहीं है, अन्य है।
७. भाषा में स्वपित्व का प्ररूपण
प्र. भन्ते ! भाषा रूपी है या अरूपी है? उ. गौतम ! भाषा रूपी है, अरूपी नहीं है।