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प. से किं तं गंडियाणुओगे? उ. गंडियाणुओगे अणेगविहे पण्णत्ते,तं जहाकुलकरगडियाओ
तित्थकरगंडियाओ गणधरगंडियाओ
चक्कहरगंडियाओ दसारगंडियाओ
बलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडियाओ
हरिवंसगंडियाओ भद्दबाहुगंडियाओ
तवोकम्मगंडियाओ चित्तंतरगंडियाओ
उस्सप्पिणीगंडियाओ ओसप्पिणीगंडियाओ अमर-नर-तिरिय-निरयगइमणविविह परियट्टणाणुयोगे।
एवमाइयाओ गंडियाओ आघविज्जति जाव उवदसिज्जति। से तंगंडियाणुओगे।
-सम.सु.१४७(४) (५) चूलियाप. से किं तं चूलियाओ? उ. जण्णं आइल्लाणं चउण्हं पुव्वाणं चूलियाओ।
सेसाई पुव्वाई अचूलियाई। सेतंचूलियाओ।
-सम.सु.१४७(५) (क) दिट्ठिवायस्स उपसंहारोदिट्ठिवायस्स णं परित्ता वायणा जाव संखेज्जाओ संगहणीओ। सेणं अंगठ्ठयाए बारसमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, चउद्दस पुवाई, संखेज्जा वत्यू, संखेज्जा चूलवत्यू, संखेज्जा पाहुडा,संखेज्जा पाहुडपाहुडा, संज्ज्जाओ पाहुडियाओ, संखेज्जाओ पाहुडपाहुडियाओ, संखेज्जाणि पयसयसहस्साणि पयग्गेणं पण्णत्ता, संखेज्जा अक्खराजाव उवदसिज्जति। से तं दिट्ठिवाए।
-सम. सु.१४७ (ख) दिट्ठिवायसुयस्स पज्जवनामादिट्ठिवायस्सणं दस मामधेज्जा पण्णत्ता,तं जहा१. दिट्ठिवाए इवा, २. हेउवाए इवा, ३. भूयवाए इवा, ४. तच्चावाए इवा, ५. सम्मावाए इवा, ६. धम्मावाए इवा,
द्रव्यानुयोग-(१) ) प्र. गंडिकानुयोग कितने प्रकार का है? उ. गंडिकानुयोग अनेक प्रकार का कहा गया है, यथाकुलकरगंडिका,
तीर्थंकरगंडिका, गणधरगंडिका,
चक्रवर्तीगंडिका, दशारगंडिका,
बलदेवगंडिका, वासुदेवगंडिका,
हरिवंशगंडिका, भद्रबाहुगंडिका,
तपःकर्मगंडिका, चित्रान्तरगंडिका, उत्सर्पिणीगंडिका, उवसर्पिणीगंडिका, देव, मनुष्य, तिर्यंच और नरक गतियों में गमन तथा विविध योनियों में परिवर्तनानुयोग, इत्यादि गंडिकाएं इस गंडिकानुयोग में कही गई हैं यावत् उपदर्शित की गई हैं।
यह गंडिकानुयोग का वर्णन है। (५) चूलिकाप्र. चूलिका क्या है? उ. आदि के चार पूर्वी में चूलिका नाम के अधिकार हैं।
शेष दस पूर्वो में चूलिकाएं नहीं हैं।
यह चूलिका है। (क) दृष्टिवाद का उपसंहारदृष्टिवाद की परिमित वाचनाएं हैं यावत् संख्यात संग्रहणियां हैं। अंगों में यह बारहवां अंग है, इसमें एक श्रुतस्कन्ध है, चौदह पूर्व हैं, संख्यात वस्तु हैं, संख्यात चूलिका वस्तु हैं, संख्यात प्रामृत हैं, संख्यात प्राभृत-प्राभृत हैं, संख्यात प्राभृतिकाएं हैं, संख्यात प्राभृत-प्राभृतिकाएं हैं, पद-गणना की अपेक्षा संख्यात लाख पद कहे गए हैं। संख्यात अक्षर हैं यावत् उदाहरण देकर समझाए गए हैं। यह दृष्टिवाद अंग का वर्णन हुआ। (ख) दृष्टिवादश्रुत के पर्यायवाची नामदृष्टिवाद के दस नाम कहे गए हैं, यथा१. दृष्टिवाद, २. हेतुवाद, ३. भूतवाद,
४. तत्ववाद, ५. सम्यग्वाद,
६. धर्मवाद,
१.प. से किं तं गंडियाणुओगे? उ. गंडियाणुओगे णं कुलगरगडियाओ जाव अमर-नर-तिरिय
निरयगइगमणयिविह-परियट्टणेसु। एवमाइयाओ गंडियाओ आघविज्जति जाव उवदसिज्जति। से तं गंडियाणुओगे, से तं अणुओगे।
-नंदी सु. ११२ २.प. से किं तं चूलियाओ? उ. चूलियाओ आइल्लाणं चउण्डं पुव्वाणं चूलिया,
अयसेसा पुव्वा अचूलिया। से तं चूलियाओ।
-नंदी सु. ११३
३. दिट्ठिवायस्स णं परित्ता वायणा जाव संखेज्जाओ संगहणीओ।
से णं अंगठ्ठयाए दुवालसमे अंगे,एगे सुयक्खंधे, चोद्दस पुव्या, संखेज्जा वत्यू, संखेज्जा चुल्लवत्यू, संखेज्जा पाहुडा,संखेज्जा पाहुडपाहुडा, संखेज्जाओ पाहुडियाओ, संखेज्जाओ पाहुडपाहुडियाओ, संखेज्जाई पदसहस्साइं पदग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा जाव उवदंसिज्जति। से तं दिट्ठिवाए।
-नंदी.सु. ११४