Book Title: Dravyanuyoga Part 1
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj & Others
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 842
________________ ज्ञान अध्ययन ७३५ प. णेगम-यवहाराण अवत्तव्ययदव्याई कि अस्थि णत्थि? प्र. नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्य द्रव्य है या नहीं है? उ. णियमा अत्थि। उ. नियम से हैं। प. २. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्यीदव्याई कि संखेज्जाई प्र. २. नैगम-व्यवहारनय सम्मत आनुपूर्वी द्रव्य क्या संख्यात असंखेज्जाई अणंताई? है, असंख्यात है या अनन्त है ? उ. नो संखेज्जाई,नो असंखेज्जाई,अणंताई। उ. वे संख्यात भी नहीं है,असंख्यात भी नहीं है किन्तु अनन्त है। एवं दोण्णि वि।' -अणु.सु. १०५-१०७ इसी प्रकार शेष दोनों भी अनन्त है। प. ५. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्विदव्वाइं कालओ प्र. ५. नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य काल की अपेक्षा केवचिरं होइ? कितने काल तक रहते है? उ. एगं दव्यं पडुच्च जहण्णेणं एगं समय, उक्कोसेणं उ. एक आनुपूर्वीद्रव्य जघन्य एक समय एवं उत्कृष्ट असंख्यात असंखेज कालं, काल तक उसी स्वरूप में रहता है, नाणादव्याई पडुच्च णियमा सव्वद्धा। और अनेक आनुपूर्वीद्रव्यों की अपेक्षा नियमतः सार्वकालिक है। एवं दोण्णि वि। इसी प्रकार दोनों (अनानुपूर्वी और अवक्तव्य) द्रव्यों की स्थिति भी जाननी चाहिए। प. ६. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्यिदव्याणमंतर कालओ प्र. ६. नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्यों का काल की केवचिरं होइ? अपेक्षा अन्तर कितना होता है? उ. एगं दव्यं पडुच्च जहण्णेणं एगं समय, उक्कोसेणं अणंतं उ. एक आनुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा जघन्य एक समय, उत्कृष्ट कालं, अनन्तकाल होता है, नाणादव्याई पडुच्च णत्थि अंतरं। अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है। प. णेगम-ववहाराणं अणाणुपुव्विदव्याणं अंतर कालओ प्र. नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनानुपूर्वीद्रव्यों का काल की केयचिरं होइ? अपेक्षा अन्तर कितना होता है ? उ. एग दव्यं पडुच्च जहण्णेणं एग समय, उक्कोसेणं उ. एक अनानुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा जघन्य एक समय, उत्कृष्ट असंखेज्जं कालं, असंख्यात काल प्रमाण है। नाणादव्वाई पडुच्च णस्थि अंतरं। अनेक अनानुपूर्वीद्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है। प. णेगम-ववहाराणं अवत्तव्ययदव्याणं अंतर कालओ प्र. नैगम-व्यवहारनयसम्मत अवक्तव्यद्रव्यों का काल की केवचिरं होइ? अपेक्षा अन्तर कितना होता है? उ. एगं दव्यं पडुच्च जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अणंतं उ. एक अवक्तव्यद्रव्य की अपेक्षा अन्तर जघन्य एक समय, काल, उत्कृष्ट अनन्तकाल है, नाणादव्याई पडुच्च णत्थि अंतरं। अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है। प. ७. णेगम-ववहाराणं आणुपुव्यीदव्वाई सेसदव्वाणं प्र. ७. नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के कइभागे होज्जा? कितने भाग है? किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा? क्या संख्यात भाग हैं? असंख्यात भाग हैं? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? संख्यात भागों रूप है? या असंख्यात भागों रूप हैं? उ. नो संखेज्जइभागे होज्जा, नो असंखेज्जइभागे होज्जा, उ. आनुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के संख्यात भाग, असंख्यात भाग नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, णियमा असंखेज्जेसु और संख्यात भाग रूप नहीं है, परन्तु निश्चित रूप में भागेसु होज्जा। असंख्यात भागों रूप है। प. णेगम-ववहाराणं अणाणुपुयीदव्याइं सेसदव्वाणं प्र. नैगम-व्यवहारनयसम्मत अनानुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के कइभागे होज्जा? कितने भाग है? किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा? क्या संख्यात भाग है ? असंख्यात भाग हैं ? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? संख्यात भागों रूप है ? असंख्यात भागों रूप है? उ. नो संखेज्जइभागे होज्जा, असंखेज्जइभागे होज्जा, उ. अनानुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के संख्यात भाग नहीं है, नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो असंखेज्जेसु भागेसु असंख्यात भाग है, संख्यात भागों रूप नहीं है और होज्जा। असंख्यात भागों रूप भी नहीं है। एवं अवत्तव्यगदव्याणि वि। इसी प्रकार अवक्तव्य द्रव्यों का कथन भी समझना चाहिए। ३-४ क्षेत्र और स्पर्शना (सु. १०८-१०९) का वर्णन गणितानुयोग पृ. ३०-३२ पर देखें।

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