Book Title: Dravyanuyoga Part 1
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj & Others
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 844
________________ ज्ञान अध्ययन ७३७ यह संग्रहनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता है। प्र. संग्रहनयसम्मत इस अर्थपदप्ररूपणता का क्या प्रयोजन है? उ. संग्रहनयसम्मत इस अर्थपदप्ररूपणता द्वारा संग्रहनयसम्मत भंगों का निर्देश किया जाता है। प्र. २. संग्रहनयसम्मत भंगों का निर्देश किस प्रकार का है? उ. संग्रहनयसम्मत भंगों का निर्देश इस प्रकार है १. आनुपूर्वी है, २. अनानुपूर्वी है, ३. अवक्तव्य है, . ४. अथवा आनुपूर्वी और अनानुपूर्वी है, ५. अथवा आनुपूर्वी और अवक्तव्य है, ६. अथवा अनानुपूर्वी और अवक्तव्य है, ७. अथवा आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी और अवक्तव्य है। से तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया। प. एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं? उ. एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया कीरइ। प. २.से किं तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया? उ. संगहस्स भंग समुक्कित्तणया १. अस्थि आणुपुव्वी, . २. अस्थि अणाणुपुव्वी, ३. अस्थि अवत्तव्वए, ४. अहवा अस्थि आणुपुब्बी य अणाणुपुव्वी य, ५. अहवा अस्थि आणुपुव्वी य अवत्तव्वए य, ६. अहवा अस्थि अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य, ७. अहवा अस्थि आणुपुब्बी य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य। एवं एए सत्तभंगा। से तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया। प. एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणयाए किं पओयणं? उ. एयाए णं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणयाए संगहस्स भंगोवदंसणया कज्जइ। प. ३. से किं तं संगहस्स भंगोवदंसणया? उ. संगहस्स भंगोवदंसणया १. तिपएसिया आणुपुव्वी, २. परमाणुपोग्गला अणाणुपुब्बी, ३. दुपएसिया अवत्तव्वए, ४. अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य आणुपुव्वी . य अणाणुपुव्वी य, ५. अहवा तिपएसिया य दुपएसिया य आणुपुव्वी य अवत्तव्वए य, ६. अहवा परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य, ७. अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य आणुपुव्वी य, अणाणुपुव्वी य अवत्तव्बए य। इस प्रकार ये सात भंग होते हैं। यह संग्रहनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता है। प्र. इस संग्रहनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का क्या प्रयोजन है ? उ. इस संग्रहनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता के द्वारा भंगोपदर्शन किया जाता है। प्र. ३. संग्रहनयसम्मत भंगोपदर्शनता क्या है? उ. संग्रहनयसम्मत भंगोपदर्शनता इस प्रकार है १. त्रिप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है, २. परमाणुपुद्गल अनानुपूर्वी है, ३. द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्य है, ४. अथवा त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और परमाणुपुद्गल आनुपूर्वी और अनानुपूर्वी है, ५. अथवा त्रिप्रदेशिक स्कन्ध और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी और अवक्तव्य रूप है, ६. अथवा परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध अनानुपूर्वी और अवक्तव्य रूप है, ७. अथवा त्रिप्रदेशिक स्कन्ध परमाणुपुद्गल और द्विप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी अनानुपूर्वी और अवक्तव्य रूप है। यह संग्रहनयसम्मत भंगोपदर्शनता है। प्र. ४. समवतार क्या है? समवतार संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य किसमें समाविष्ट . होते हैं? क्या आनुपूर्वी द्रव्यों में समाविष्ट होते हैं ? अनानुपूर्वी द्रव्यों में समाविष्ट होते हैं? अवक्तव्य द्रव्यों में समाविष्ट होते हैं? उ. संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य आनुपूर्वी द्रव्यों में समाविष्ट होते हैं, अनानुपूर्वी द्रव्यों में समाविष्ट नहीं होते हैं, अवक्तव्य द्रव्यों में भी समाविष्ट नहीं होते हैं। से तं संगहस्स भंगोवदसणया। प. ४.से किं तं समोयारे? समोयारे संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाई कहिं समोयरंति ? किं आणुपुव्वीदव्वेहिं समोयरंति? अणाणुपुब्बीदव्वेहिं समोयरंति? अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति? उ. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाई समोयरंति, नो अणाणुपुव्वीदव्वेहि समोयरंति, नो अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति। आणुपुव्वीदव्येहि

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