Book Title: Dravyanuyoga Part 1
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj & Others
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 857
________________ ७५० ९. अस्थि णामे खइए पारिणामियनिप्फन्ने, १०.अस्थि णामे खयोवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने। प. १.कयरे से नामे उदइए उवसमनिप्फन्ने? उ. उदइए त्ति मणूसे उवसंता कसाया, एस णं से णामे उदइए उवसमनिप्फन्ने। प. २.कयरे से नामे उदइए खयनिष्फन्ने? उ. उदइए त्ति मणूसे खइयं सम्मत्तं एस णं से नामे उदइए खयनिप्फन्ने। प. ३. कयरे से णामे उदइए खयोवसमनिप्फन्ने? उ. उदए त्ति मणूसे खयोवसमियाइं इंदियाई, एस णं से णामे उदइएखयोवसमनिप्फन्ने। प. ४.कयरे से णामे उदइए पारिणामियनिष्फन्ने? उ. उदए ति मणूसे पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए पारिणामियनिष्फन्ने। प. ५.कयरे से णामे उवसमिए खयनिष्फन्ने? उ. उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं, एस णं से णामे उवसमिए खयनिष्फन्ने। प. ६.कयरे से णामे उवसमिए खओवसमनिष्फन्ने? उ. उवसंता कसाया खओवसमियाई इंदियाइं एस णं से गामे उवसमिए खओवसमनिप्फन्ने। प. ७.कयरे से णामे उवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने? उ. उवसंता कसाया पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने। प. ८. कयरे से णामे खइए खओवसमियनिष्फन्ने? उ. खइयं सम्मत्तं खयोवसमियाई इंदियाई, एस णं से णामे खइए खयोवसमनिप्फन्ने। प. ९.कयरे से णामे खइए पारिणामिय निप्फन्ने? उ. खइयं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खइए पारिणामियनिष्फन्ने।। प. १०.कयरे से णामे खयोवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने? उ. खयोवसमियाई इंदियाई पारिणामिए जीवे एस णं से णामे खयोवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने। द्रव्यानुयोग-(१) ९. क्षायिक-पारिणामिक के संयोग से निष्पन्न भाव, १०. क्षायोपशमिक-पारिणामिक के संयोग से निष्पन्न भाव। प्र. १. औदयिक-औपशमिकभाव के संयोग से निष्पन्न (सान्निपातिक भाव) क्या है? उ. औदयिकभाव में मनुष्यगति और औपशमिक भाव में उपशांतकषाय, यह औदयिक-औपशमिक भाव के संयोग से निष्पन्न (सान्निपातिक भाव) भंग है। प्र. २.औदयिक क्षायिक निष्पन्न भाव क्या है? उ. औदयिक भाव में मनुष्यगति और क्षायिक भाव में क्षायिक सम्यक्त्व का ग्रहण औदयिक क्षायिक निष्पन्न भाव है। प्र. ३. औदयिक-क्षायोपशमिक निष्पन्न भाव क्या है? उ. औदयिकभाव में मनुष्यगति और क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियां यह औदयिक-क्षायोपशमिकभाव है। प्र. ४. औदयिक पारिणामिक निष्पन्न भाव क्या है? उ. औदयिकभाव में मनुष्यगति और पारिणामिकभाव में जीवत्व को ग्रहण करना यह औदयिकपारिणामिकभाव है। प्र. ५. औपशमिक क्षयसंयोगजनिष्पन्नभाव क्या है? उ. उपशांकषाय और क्षायिक सम्यक्त्व यह औपशमिक क्षयसंयोगजभाव है। प्र. ६. औपशमिक-क्षयोपशम निष्पन्नभाव क्या है ? उ. औपशमिकभाव में उपशांतकषाय और क्षयोपशमनिष्पन्न भाव में इन्द्रियां यह औपशमिक क्षयोपशमनिष्पन्न भाव है। प्र. ७.औपशमिक-पारिणामिक निष्पन्न भाव क्या है? उ. औपशमिकभाव में उपशांतकषाय और पारिणामिकभाव में जीवत्व यह औपशमिक पारिणामिकनिष्पन्नभाव है। प्र. ८. क्षायिक और क्षयोपशमनिष्पन्नभाव क्या है? उ. क्षायिक सम्यक्त्व और क्षायोपशमिक इन्द्रियां यह ___क्षायिक-क्षायोपशमिक निष्पन्नभाव है। प्र. ९. क्षायिक और पारिणामिकनिष्पन्न भाव क्या है? उ. क्षायिकभाव में क्षायिक सम्यक्त्व और पारिणामिकभाव में जीवत्व यह क्षायिकपारिणामिक निष्पन्नभाव है। प्र. १०. क्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव क्या है? उ. क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियां और पारिणामिकभाव में जीवत्व यह क्षायोपशमिक पारिणामिकनिष्पन्न भाव है। (इस प्रकार से यह द्विकसंयोगी सानिपातिक भाव के दस भंगों का स्वरूप है) त्रिकसंयोगज (सान्निपातिकभाव) के दस भंग इस प्रकार हैं१. औदयिक-औपशमिक-क्षायिकनिष्पन्नभाव, २. औदयिक-औपशमिक-क्षायोपशमिकनिष्पन्न भाव, ३. औदयिकऔपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव, ४. औदयिक-क्षायिक क्षायोपशमिकनिष्पन्नभाव, ५. औदयिक-क्षायिक-पारिणामिक-निष्पन्नभाव, ६. औदयिक-क्षायोपशमिक पारिणामिकनिष्पन्नभाव, तत्थ णं जे ते दस तिगसंजोगा ते णं इमे. १. अत्थि णामे उदइए उवसमिए खयनिष्फन्ने, २. अस्थि णामे उदइए उपसमिए खओवसमनिप्फन्ने, ३. अस्थि णामे उदइए उवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने. ४. अस्थि णामे उदइए खइएखओवसमनिप्फन्ने, ५. अस्थि णामे उदइए खइए पारिणामियनिष्फन्ने, ६. अस्थि णामे उदइए खयोवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने,

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