________________
७५४
द्रव्यानुयोग-(१) ६. आडंबर (नगाड़ा) से धैवत स्वर निकलता है। ७. महाभेरी से निषाद स्वर निकलता है। इन सातों स्वरों के स्वर-लक्षण सात कहे गए हैं, यथा
६. आडंबरोधेवइयं। ७. महाभेरी य सत्तम। एएस णं सत्तहं सराणं सत्त सरलक्खणा पण्णत्ता, तं जहा१. सजेण लहइ वित्तिं, कयं च ण विणस्सइ।
गावो मित्ता य पुत्ता य,णारीणं चेव वल्लभो॥
२. रिसभेणं तु एसज्ज, सेणावच्चं धणाणि य।
वत्थगंधमलंकारं, इथिओ सयणाणि य॥ ३. गंधारे गीयजुत्तिण्णा, वज्जवित्ती कलाहिया।
भवंति कइणो पण्णा,जे अन्ने सत्थपारगा॥
४. मज्झिमसरसंपन्ना, भवंति सुहजीविणो।
खायइ पियइ देह,मज्झिमं सरमस्सियो॥ ५. पंचमसरसंपन्ना, भवंति पुढवीपई।
सूरा संगहकत्तारो, अणेगगणणायगा। ६. घेवयसरसंपन्ना, भवंति कलहप्पिया।
साउणिया वग्गुरिया, सोयरिया मच्छबंधा य॥
१. षड्ज स्वर वाले व्यक्ति आजीविका प्राप्त करते हैं - उनका प्रयत्न निष्फल नहीं होता उन्हें गोधन पुत्र-मित्र
आदि का संयोग प्राप्त होता है और वे स्त्रियों को प्रिय होते हैं। २. ऋषभ स्वर वाले व्यक्ति को ऐश्वर्य सेनापतित्व, धन,
वस्त्र, गंध, आभूषण, स्त्री और शयन प्राप्त होते हैं। ३. गांधार स्वर वाले व्यक्ति गाने में कुशल श्रेष्ठ वृत्ति वाले,
कला में कुशल कवि प्राज्ञ और विभिन्न शास्त्रों के
पारगामी होते हैं। ४. मध्यम स्वर वाले व्यक्ति सुख से जीते हैं, खाते-पीते हैं,
खिलाते-पिलाते हैं और दान देते हैं। ५. पंचम स्वर वाले व्यक्ति राजा शूर संग्रहकर्ता और
अनेक गणों के नायक होते हैं। ६. धैवत स्वर वाले व्यक्ति कलहप्रिय, पक्षियों को मारने
वाले तथा हिरणों सूअरों और मछलियों को मारने वाले
होते हैं। ७. निषाद स्वर वाले व्यक्ति चाण्डाल फांसी देने वाले, मुट्ठीबाज विभिन्न पाप कर्म करने वाले, गौ घातक
और चोर होते हैं। इन सात स्वरों के तीन ग्राम (मूर्च्छनाओं का समूह) कहे गए हैं, यथा१. षड्जग्राम, २. मध्यमग्राम, ३. गांधारग्राम। षड्जग्राम की सात मूर्च्छनाएँ कही गई हैं, यथा१. मंगी, २. कौरव्वीया, ३. हरित्, ४. रजनी, ५. सारकान्ता, ६. सारसी, ७. शुद्धषड्जा।
७. चंडाला मुट्ठिया मेया,जे अन्ने पावकम्मिणो।
गोहायगा यजे चोरा,णेसायं सरमस्सिया॥
एएसिणं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पण्णत्ता,तं जहा
१.सज्जगामे,२. मज्झिमगामे, ३. गंधारगामे। सज्जगामस्सणं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ,तं जहा१. मंगी, २. कोरव्वीया, ३. हरी य, ४. रयणी य, ५. सारकता य। ६. छट्ठी य सारसी णाम, ७. सुद्धसज्जा य सत्तमा॥ मज्झिमगामस्सणं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ,तं जहा१.उत्तरमंदा,२. रयणी,३.उत्तरा,४. उत्तरायया। ५.अस्सोकंता य,६.सोवीरा,७.अभिरु हवइ सत्तमा॥ गंधारगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ,तं जहा१. णंदी य, २. खुद्दिमा, ३. पूरिमा य चउत्थी य, ४. सुद्धगंधारा। ५. उत्तरगंधारा वि य, पंचमिया हवइ मुच्छा उ॥ ६. सुटुत्तरमायामा सा छट्ठी णियमसो उणायव्वा। ७. अह उत्तरायया कोडीमा य सा सत्तमी मुच्छा।
मध्यमग्राम की सात मूर्च्छनाएं कही गई हैं, यथा१. उत्तरमन्दा, २. रजनी, ३. उत्तरा, ४. उत्तरायता, ५.अश्वक्रान्ता, ६.सौवीरा,७. अभिरुद्गता। गांधारग्राम की सात मूर्च्छनाएं कही गई हैं, यथा
२. क्षुद्रिका, . ३. पूरिमा, . ४. शुद्धगांधारा,
५. उत्तरगांधारा, ६. सुष्ठुतर आयामा, ७. उत्तरायता कोटिमा। (इस प्रकार से सात स्वरों के तीन ग्राम और २१ मूर्च्छनायें
जाननी चाहिए।) प्र. सात स्वर किनसे उत्पन्न होते हैं, गीत की योनि (जाति) क्या
है? उसका उच्छ्वास काल कितना है? और गीत के आकार कितने हैं?
प. सत्त सराकओ संभवति? गेयस्स का भवइ जोणी?।
कइसमया उस्साया ? कइ वा गेयस्स आगारा?॥