Book Title: Dravyanuyoga Part 1
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj & Others
Publisher: Agam Anuyog Prakashan
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द्रव्यानुयोग-(१) प्र. १०. क्षायिक-क्षायोपशमिक-पारिणामिकनिष्पन्नभाव क्या है ? .
प. १०. कयरे से णामे खइए खओवसमिए
पारिणामियनिष्फन्ने? उ. खइयं सम्मत्तं खओवसमियाइं इंदियाइं पारिणामिए
जीवे, एस णं से णामे खइए खओवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने। तत्थ णजे ते पंच चउक्कसंजोगा ते णं इमे
१. अत्थि णामे उदइए उवसमिए खइए
खओवसमनिष्फन्ने, २. अस्थि णामे उदइए उवसमिए खइए
पारिणामियनिष्फन्ने, ३. अस्थि णामे उदइए उवसमिए खओवसमिए
पारिणामियनिष्फन्ने, ४. अत्थि णामे उदइए खइए खओवसमिए
पारिणामियनिष्फन्ने, ५. अस्थि णामे उवसमिए खइए खओवसमिए ___पारिणामियनिष्फन्ने, प. १. कयरे से णामे उदइए उवसमिए खइए
खओवसमनिप्फन्ने? उ. उदए ति मणूसे उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं,
खओवसमियाइं इंदियाई एस णं से णामे उदइए उवसमिए खइए खओवसमनिप्फन्ने।
प. २. कयरे से णामे उदइए उवसमिए खइए
पारिणामियनिष्फन्ने? उ. उदए ति मणूसे उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं
पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए उवसमिए खइए पारिणामियनिष्फन्ने।
उ. क्षायिकसम्यक्त्व क्षायिकभाव, इन्द्रियां क्षायोपशमिकभाव
और जीवत्व पारिणामिकभाव, यह क्षायिक क्षायोपशमिक पारिणामिकनिष्पन्न सान्निपातिकभाव है। . चार भावों के संयोग से निष्पन्न सान्निपातिकभाव के पांच भंगों के नाम इस प्रकार हैं१. औदयिक-औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक
निष्पन्नभाव, २. औदयिक औपशमिक क्षायिक पारिणामिकनिष्पन्न
भाव, ३. औदयिक औपशमिक क्षायोपशमिक पारिणामिक
निष्पन्नभाव, ४. औदयिक क्षायिक क्षायोपशमिक पारिणामिक
निष्पन्नभाव, ५. औपशमिक - क्षायिक - क्षायोपशमिक - पारिणामिक
निष्पन्न- भाव। प्र. १. औदयिक - औपशमिक - क्षायिक - क्षायोपशमिकनिष्पन्न
सान्निपातिक भाव क्या है? उ. औदयिकभाव में मनुष्य, औपशमिकभाव में
उपशांतकषाय, क्षायिकभाव में क्षायिकसम्यक्त्व और क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियां, यह औदयिक-औपशमिक
क्षायिक-क्षायोपशमिक- निष्पन्न भाव है। प्र. २.औदयिक-औपशमिक-क्षायिक-पारिणामिकनिष्पन्न भाव
क्या है? उ. औदयिकभाव में मनुष्यगति, औपशमिकभाव में
उपशांतकषाय, क्षायिकभाव में क्षायिकसम्यक्त्व और पारिणामिकभाव में जीवत्व, यह औदयिक औपशमिक
क्षायिक पारिणामिकनिष्पन्न भाव है। प्र. ३. औदयिक - औपशमिक - क्षायोपशमिक - पारिणामिक
निष्पन्न भाव क्या है? उ. औदयिक भाव में मनुष्यगति, औपशमिकभाव में
उपशांतकषाय, क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियां और पारिणामिकभाव में जीवत्व, यह औदयिक औपशमिक
क्षायोपशमिक पारिणामिकनिष्पन्न भाव है। प्र. ४. औदयिक-क्षायिक-क्षायोपशमिक पारिणामिकनिष्पन्न
भाव क्या है? उ. औदयिकभाव में मनुष्यगति, क्षायिकभाव में
क्षायिकसम्यक्त्व, क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियां और पारिणामिकभाव में जीवत्व यह औदयिक-क्षायिक
क्षायोपशमिक-पारिणामिकभाव निष्पन्न सानिपातिकभाव है। प्र. ५. औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक पारिणामिक निष्पन्न
भाव क्या है? उ. औपशमिकभाव में उपशांतकषाय, क्षायिकभाव में
क्षायिकसम्यक्त्व, क्षायोपशमिकभाव में इन्द्रियां और पारिणामिक भाव में जीवत्व यह औपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक पारिणामिकनिष्पन्नभाव है।
प. ३. कयरे से णामे उदइए उवसमिए खओवसमिए
पारिणामियनिष्फन्ने? उ. उदए त्ति मणूसे उवसंता कसाया, खओवसमियाई
इंदियाई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइए उवसमिए खओवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने।
प. ४. कयरे से णामे उदइए खइए खओवसमिए
पारिणामियनिष्फन्ने? उ. उदए त्ति मणूसे खइयं सम्मत्तं खओवसमियाइं इंदियाई
पारिणामिए जीवे एस णं से नामे उदइए खइए खओवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने।
प. ५. कयरे से नामे उवसमिए खइए खओवसमिए
पारिणामियनिष्फन्ने? उ. उवसंता कसाया खइयं सम्मत्तं खओवसमियाई
इंदियाई, पारिणामिए जीवे एस णं से नामे उवसमिए खइए खओवसमिए पारिणामियनिष्फन्ने।

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