________________
७३८
द्रव्यानुयोग-१) एवं दोण्णि वि सट्ठाणे सट्ठाणे समोयरंति।
इसी प्रकार दोनों (अनानुपूर्वी द्रव्य और अवक्तव्य द्रव्य)
भी स्वस्थान में ही समवतरित होते हैं। से तं समोयारे। -अणु.सु.११५-१२१
यह समवतार है। १५३. संगहणयसम्मय अणुगमस्स भेयाणं वत्तव्यया
१५३. संग्रहनयसम्मत अनुगम के भेदों की वक्तव्यताप. ५.से किं तं अणुगमे?
प्र. ५. संग्रहनयसम्मत अनुगम क्या है अर्थात् कितने प्रकार के
कहे गए हैं ? उ. अणुगमे अट्ठविहे पण्णत्ते,तं जहा
उ. संग्रहनयसम्मत अनुगम आठ प्रकार के कहे गये है, यथा१. संतपयपरूवणया २. दव्वपमाणं ३. च खेत्तं
१. सत्पदप्ररूपणा, २. द्रव्यप्रमाण, ३. क्षेत्र, ४. स्पर्शना, ४.फुसणा या ५.कालो ६.य अंतर ७.भाग ८.भाव
५. काल, ६. अन्तर,७. भाग, ८. भाव। अप्पाबहु नत्थि।
इसमें अल्पबहुत्व नहीं है। प. १.संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाइं किं अत्थि णत्थि?
प्र. १. संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य है अथवा नहीं है? उ. णियमा अत्थि।
उ. निश्चित रूप से है। एवं दोण्णि वि।
इसी प्रकार दोनों (अनानुपूर्वी और अवक्तव्य) द्रव्यों के
लिए भी जानना चाहिए। प. २. संगहस्स आणुपुव्वीदव्याई किं संखेज्जाई, प्र. २. संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य संख्यात हैं, असंख्यात है असंखेज्जाई,अणंताई?
या अनन्त हैं? उ. नो संखेज्जाई, नो असंखेज्जाई, नो अणंताई,
उ. संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य संख्यात नहीं है, असंख्यात
नहीं है और अनन्त भी नहीं हैं। णियमा एगो रासी।
किन्तु निश्चित रूप से एक राशि है। एवं दोण्णि वि। -अणु.सु.१२२-१२४
इसी प्रकार दोनों द्रव्य भी हैं। प. ५. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाई कालओ केवचिरं होंति? प्र. ५.संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य काल की अपेक्षा से कितने
काल तक रहते हैं ? उ. सव्यद्धा।
उ. आनुपूर्वीद्रव्य आनुपूर्वी रूप में सर्वकाल रहते हैं। एवं दोण्णि वि।
इसी प्रकार दोनों द्रव्य है। प. ६. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाणं कालओ केवचिर अंतर प्र. ६. संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्यों का काल की अपेक्षा से होइ?
कितना अन्तर है? उ. नत्थि अंतरं।
उ. (आनुपूर्वीद्रव्यों का काल की अपेक्षा से) अन्तर नहीं है। एवं दोण्णि वि।
इसी प्रकार दोनों द्रव्य है। प. ७. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाई सेसदव्वाणं कइभागे प्र. ७. संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के कितने भाग होज्जा?
प्रमाण हैं ? किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा?
क्या संख्यात भाग हैं ? असंख्यात भाग है ? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु
संख्यात भागों रूप हैं ? या असंख्यात भागों रूप है? होज्जा? उ. संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाई सेसदव्वाणं
उ. संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के नो संखेज्जइभागे होज्जा, नो असंखेज्जइभागे होज्जा,
संख्यातवें भाग नहीं हैं, असंख्यातवें भाग नहीं है, नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो असंखेज्जेसु भागेसु
अनेक संख्यात भागों रूप नहीं हैं, अनेक असंख्यात भागों होज्जा,
रूप नहीं हैं, णियमा तिभागे होज्जा।
किन्तु निश्चित रूप से तीसरे भाग रूप हैं। एवं दोण्णि वि।
इसी प्रकार दोनों द्रव्य भी हैं। प. ८.संगहस्स आणुपुव्वीदव्वाई कयरम्मि भाये होज्जा? प्र. ८. संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य किस भाव में होते हैं ? उ. आणुपुव्यीदव्याई णियमा साइपारिणामिए भावे होज्जा। उ. आनुपूर्वीद्रव्य नियम से सादिपारिणामिक भाव में होते हैं। एवं दोण्णि वि।
इसी प्रकार शेष दोनों द्रव्य भी है। १. ३-४. क्षेत्र और स्पर्शना (सु. १२५-१२६) का वर्णन गणितानुयोग पृ. ३२-३३ पर देखें।