Book Title: Dravyanuyoga Part 1
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj & Others
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 839
________________ ७३२ १. अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वी य, २. अहवा अस्थि आणुपुवीय अणाणुपुव्वीओ य, ३. अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य ४. अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वीओ च, १. अहवा अत्थि आणुपुथ्वी व अवत्तव्यए य २. अहवा अतिथ आणुपुच्ची य अवत्तव्वयाई य ३. अहवा अत्थि आणुपुवीओ य अवत्तव्यए य ४. अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाई च, १. अहवा अत्थि अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य, २. अहवा अत्थि अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाई य, ३. अहवा अत्थि अणाणुपुब्बीओ य अवत्तव्यए य ४. अहवा अतिथ अणाणुपुवीओ य अवत्तव्यवाई च १. अहवा अस्थि आणुपुब्वी य अणाणुपुवी य अवत्तव्वए य, २ अहवा अत्थि आणुपुथ्वी व अणाणुपुवी य अवत्तव्वयाई थ ३. अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य, ४. अहवा अत्थि आणुपुव्वी य अणाणुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाई च । ५. अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वए य, ६. अहवा अत्थि आणुपुव्वीओ य अणाणुपुव्वी य अवत्तव्वयाई च, ७. अहवा अस्थि आणुपुब्बीओ य अणाणुपुब्बीओ य अवत्तव्वए य, ८. अहवा अस्थि आणुपुथ्वीओ व अणाणुपुब्बीओ य अवत्तव्यवाई च एए अट्ठ भंगा। एवं सव्वे वि छव्वीसं भंगा। सेतं गम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया । प. एयाए णं णेगम-ववहाराणं भंगसमुक्किसंणयाए किं पओयणं ? उ एयाए णं णेगम-ववहाराणं भेगसमुक्कित्तणयाए भंगोवदंसणया कीर । - अणु. सु. ९९-१०२ १४९. भंगोवदंसणया प. ३. से कि त णेगम-यवहाराणं भंगोवदंसणया ? उ. णेगम बबहाराणं भंगोवदंसणया १. तिपएसिए आणुपुव्वी, २. परमाणुपोग्गले अणाणुपुव्वी, ३. दुपए सिए अवतव्यए, ४. तिपएसिया आणुपुव्वीओ, ५. परमाणुपोग्गला अणाणुपुव्वीओ, द्रव्यानुयोग - (१) १. अथवा आनुपूर्वी है और अनानुपूर्वी है, २. अथवा आनुपूर्वी है और अनानुपूर्वियां हैं, ३. अथवा आनुपूर्वियां हैं और अनानुपूर्वी है, ४. अथवा आनुपूर्वियां और अनानुपूर्वियां हैं। ४ भंग १. अथवा आनुपूर्वी और अवक्तव्य है, १२. अथवा आनुपूर्वी है और अनेक अवक्तव्य हैं, ३. अथवा आनुपूर्वियां हैं और एक अवक्तव्य है, ४. अथवा आनुपूर्वियां और अनेक अवक्तव्य हैं। ४ भंग १. अथवा अनानुपूर्वी और अवक्तव्य है, २. अथवा अनानुपूर्वी और अनेक अवक्तव्य हैं, ३. अथवा अनानुपूर्वियां और एक अवक्तव्य है, ४. अथवा अनानुपूर्वियां और अनेक अवक्तव्य हैं। १. अथवा आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी और अवक्तव्य है, २. अथवा आनुपूर्वी, अनानुपूर्वी और अनेक अवक्तव्य हैं, ३. अथवा एक आनुपूर्वी है अनेक अनानुपूर्वियां हैं और एक अवक्तव्य है, ४. अथवा एक आनुपूर्वी अनेक अनानुपूर्वियां और अनेक अवक्तव्य हैं, ५. अथवा अनेक आनुपूर्वियां हैं एक अनानुपूर्वी और एक अवक्तव्य है, ६. अथवा अनेक आनुपूर्वियां हैं, एक अनानुपूर्वी है और अनेक अवक्तव्य हैं, ७. अथवा अनेक आनुपूर्वियां और अनेक अनानुपूर्वियां हैं, एक अवक्तव्य है, ८. अथवा अनेक आनुपूर्वियां, अनेक अनानुपूर्वियां और अनेक अवक्तव्य हैं। इस प्रकार यह आठ भंग हुए। यह सब मिलकर छब्बीस भंग होते हैं। यह नैगम-व्यवहारनय सम्मत भगसमुत्कीर्तनता है। प्र. इस नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का क्या प्रयोजन है? उ. नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंगोपदर्शन कराया जाता है। भंगसमुत्कीर्तनता द्वारा १४९. भंगों का संकेत करना प्र. ३. नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंग किस प्रकार दिखाए जाते हैं? उ. नैगम-व्यवहारनयसम्मत भंग इस प्रकार दिखाए जाते हैं १. त्रिप्रादेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है, २. परमाणुपुद्गल अनानुपूर्वी है, ३. द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्य है, ४. त्रिप्रदेशिक अनेक स्कन्ध आनुपूर्वियां हैं, ५. अनेक परमाणुपुद्गल अनानुपूर्वियां हैं,

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