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ज्ञान अध्ययन
प. एएसि णं भन्ते ! जीवाण,
१. आभिणिबोहियनाणीणं, २. सुयनाणीणं,
४. मणपज्जवनाणीणं,
६. मइ अण्णाणीण,
७. सुय अण्णाणीणं,
८. विभंगणाणीण
य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा १. सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवनाणी, २. ओहिनाणी असंखेज्जगुणा,
३-४. आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी एए दो वि तुल्ला विसेसाहिया,
५. विभंगनाणी असंखेज्जगुणा,
६. केवलनाणी अनंतगुणा,
७- ८. मइअन्नाणी सुयअन्नाणी य दो वि तुल्ला अतगुणा ।
- पण्ण. प. ३, सु. २५७-२५९
३. ओहिनाणीणं,
५. केवलनाणीणं,
२०. परजवदार पज्जवान य अप्पबहुप. केवइया णं भन्ते
पण्णत्ता ?
उ. गोयमा ! अनंता आभिणिबोहियनाणपज्जवा पण्णत्ता । एवं सुपणाणस्स जाय केवलणाणस्स अणता पज्जवा पण्णत्ता ।
एवं मइअण्णाणस्स सुयअण्णाणस्स वि।
आभिणिबोहियनाणपञ्जवा
प. केवइया णं भन्ते ! विभंगनाणपज्जवा पण्णत्ता ?
उ. गोयमा ! अणंता विभंगनाणपज्जवा पण्णत्ता ।
प. एएसि णं भन्ते ! १. आभिणिबोहियनाणपज्जवाणं,
२. सुयनाणपज्जवाणं ३. ओहिणाणपजवाणं, ४. मणपज्जवनाणपज्जवाणं, ५. केवलनाणपज्जवाणं य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ? उ. गोयमा १ सव्यत्योवा मणपञ्जवनाणपज्जया, २. ओहिनाणपज्जवा अनंतगुणा,
"
३. सुयनाणपज्जवा अनंतगुणा,
४. आभिणिबोहियनाणपज्जवा अनंतगुणा, ५. केवलनाणपज्जवा अणंतगुणा ।
प. एएसि णं भते ! मइअन्नाणपञ्जवाणं सुदअन्नाणपञ्जवाणं विभंगनाणपजवाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ?
उ. गोयमा ! १. सव्वत्थोवा विभंगनाणपज्जवा,
२. सुयअन्नाणपज्जवा अणंतगुणा,
३. मइअन्नाणपज्जवा अनंतगुणा ।
प. एएसि णं भंते! आभिणिबोहियनाणपजवाणं जाब केवलनाणपज्जवाणं, मइ अन्नाणपज्जवाणं, सुयअन्नाण पञ्जवाण, विभंगनाणपज्जवाण व कयरे करेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा ?
प्र. भन्ते ! इन
१. आभिनिबोधिकज्ञानी २ श्रुतज्ञानी,
३. अवधिज्ञानी,
५. केवलज्ञानी,
७१५
४. मन:पर्ययज्ञानी,
७. श्रुतअज्ञानी और
६. मतिअज्ञानी, ८. विभंगज्ञानी, जीवों में से कौन, किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं ? उ. गौतम १. सबसे अल्प जीव मन:पर्ययज्ञानी हैं. २. ( उनसे ) अवधिज्ञानी असंख्यातगुणे हैं,
३-४. (उनसे) आभिनिबोधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी दोनों परस्पर तुल्य हैं और विशेषाधिक हैं।
५. ( उनसे) विभंगज्ञानी असंख्यातगुणे हैं.
६. ( उनसे) केवलज्ञानी अनन्तगुणे हैं,
७-८. (उनसे) मति- अज्ञानी और श्रुतअज्ञानी अनन्तगुणे हैं एवं दोनों परस्पर तुल्य हैं।
२०. पर्याय द्वार और पर्यायों का अल्पबहुत्व
प्र. भन्ते ! आभिनिबोधिकज्ञान के पर्याय कितने कहे गए हैं?
उ. गौतम ! आभिनिबोधिकज्ञान के अनन्त पर्याय कहे गए हैं। इसी प्रकार श्रुतज्ञान से केवलज्ञान पर्यन्त के अनन्त पर्याय कहे गए हैं।
इसी प्रकार मति- अज्ञान और श्रुतअज्ञान के पर्यायों के लिए जानना चाहिए।
प्र. भन्ते विभंगज्ञान के पर्याय कितने कहे गए हैं? उ. गौतम ! विभंगज्ञान के अनन्त पर्याय कहे गए हैं। प्र. भन्ते ! इन 9 आभिनिबोधिकज्ञान, २. श्रुतज्ञान,
३. अवधिज्ञान, ४. मनः पर्यवज्ञान और ५. केवलज्ञान के पर्यायों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक है?
उ. गौतम ! १. मनः पर्यायज्ञान के पर्याय सबसे अल्प है, २. ( उनसे ) अवधिज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं.
३. ( उनसे ) श्रुतज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं,
४. (उनसे) आभिनिबोधिकज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं, ५. (उनसे) केवलज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे है।
प्र. भन्ते ! इन १. मति- अज्ञान, २. श्रुत-अज्ञान और ३. विभंगज्ञान के पर्यायों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक है?
उ. गौतम १. सबसे अल्प विभंगज्ञान के पर्याय है।
२. ( उनसे) श्रुत-अज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं, ३. ( उनसे) मति - अज्ञान के पर्याय अनन्तगुणे हैं। प्र. भन्ते ! इन आभिनिबोधिक ज्ञान पर्यायों यावत् केवलज्ञान पर्यायों, मति-अज्ञान, श्रुत-अज्ञान और विभंगज्ञान पर्यायों में कौन किनसे अल्प यावत् विशेषाधिक हैं।