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ज्ञान अध्ययन
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३२. दव्वहोम,
३३. खत्तियविज्जं, ३४. चंदचरियं, ३५. सूरचरियं, ३६. सुक्कचरियं, ३७. बहस्सइचरियं, ३८. उक्कापायं, ३९. दिसादाहं, ४०. मियचक्कं,
४१. वायसपरिमंडलं,
४२. पंसुवुट्ठि,
४३. केसवुट्ठि,
४४. मंसवुढेिं, ४५. रुहिरवुढेिं,
३२. द्रव्यहोम उच्चाटन आदि के लिए की जाने वाली
हवनक्रिया, ३३. क्षत्रियविद्या - धनुर्वेद, ३४. चन्द्रचरित्र - चन्द्र सम्बन्धी ज्योतिष शास्त्र, ३५. सूर्यचरित्र - सूर्य सम्बन्धी ज्योतिष शास्त्र, ३६. शुक्रचरित्र - शुक्र सम्बन्धी ज्योतिष शास्त्र, ३७. बृहस्पतिचरित्र - बृहस्पति सम्बन्धी ज्योतिष शास्त्र, ३८. उल्कापात - उल्कापात सम्बन्धी शास्त्र, ३९. दिग्दाह - दिशादाह सम्बन्धी शास्त्र, ४०. मृगचक्र - पशुओं के दर्शन या शब्द-श्रवण के
आधार पर शुभ-अशुभ बताने
वाला शास्त्र, ४१. वायसपरिमंडल - कौए आदि पक्षियों की अवस्थिति और
शब्द के आधार पर शुभ-अशुभ बताने
वाला शास्त्र, ४२. पांसुवृष्टि - धूल की वृष्टि के आधार पर
शुभ-अशुभ बताने वाला शास्त्र, ४३. केशवृष्टि - केश की वृष्टि के आधार पर
शुभ-अशुभ बताने वाला शास्त्र, ४४. मांसवृष्टि - मांस की वृष्टि के आधार पर
शुभ-अशुभ बताने वाला शास्त्र, ४५. रुधिरवृष्टि - रक्त की वृष्टि के आधार पर
शुभ-अशुभ बताने वाला शास्त्र, ४६. वैताली - इच्छित देश-काल में दंडे को ऊंचा
उठाने वाली विद्या, ४७. अर्धवैताली वैताली की प्रतिपक्षी विद्या जिससे दंडा
नीचे आ गिरता है, ४८. अवस्वापिनी - निद्रा दिलाने वाली विद्या, ४९. तालोद्घाटिनी - ताले को खोलने वाली विद्या, ५०. श्वपाकी - मातंगी विद्या, ५१. शाबरी शबर भाषा में निबद्ध विद्या, ५२. द्राविडी - तमिल भाषा में निबद्ध विद्या, ५३. कालिंगी - कलिंग देश की भाषा में निबद्ध विद्या, ५४. गौरी - एक मातंग विद्या, ५५. गान्धारी - एक मातंग बिद्या, ५६. अवपतनी - नीचे गिराने वाली विद्या, ५७. उत्पतनी - ऊंचा उठाने वाली विद्या,. ५८. जृम्भणी उबासी लाने वाली विद्या, ५९. स्तम्भनी - स्तंभित करने वाली विद्या, ६०. श्लेषणी पांव आदि को चिपकाने वाली विद्या, ६१. आमयकरणी - रोग पैदा करने वाली विद्या, ६२. विशल्यकरणी - निरोग करने वाली विद्या, ६३. प्रक्रामणी - भूत दूर करने वाली विद्या, ६४. अन्तर्धानी - अदृश्य करने वाली विद्या, ६५. आयामनी - छोटे को बड़ी दिखाने वाली विद्या।
४६. वेयालिं,
४७. अद्धवेयालिं,
४८. ओसोवणिं, ४९. तालुग्घाडणिं, ५०. सोवागिं, ५१. सावरिं, ५२. दामिलिं, ५३. कालिंगी, ५४. गोरिं, ५५. गंधारिं, ५६. ओवतणिं, ५७. उप्पतणिं, ५८. जंभणिं, ५९. थंभणिं, ६०. लेसणिं, ६१. आमयकरणिं, ६२. विसल्लकरणिं, ६३. पक्कमणिं, ६४. अंतद्धाणिं, ६५. आयमणिं।