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द्रव्यानुयोग-(१) ये ही बाईस सूत्र स्वसमयसूत्र परिपाटी से चतुष्कनय वाले हैं।
इस प्रकार ये सब पूर्वापर भेद मिलकर अठासी सूत्र होते हैं।
इच्चेयाई बावीसं सुत्ताई चउक्कणइयाई ससमयसुत्तपरिवाडीए। एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठासीइ सुत्ताई भवंतीतिमक्खायाइं। से तं सुत्ताई।
-सम. सु. १४७ (२) (३) पुव्यगए
प. से किं तं पुव्वगए? उ. पुव्वगए चउद्दसविहे पण्णत्ते,तं जहा
१. उप्पायपुव्वं, २. अग्गेणीयं, . ३. वीरियं,
४. अत्थिणत्थिप्पवायं, ५. नाणप्पवायं, ६. सच्चप्पवायं, ७. आयप्पवायं, ८. कम्मप्पवायं, ९. पच्चक्खाणप्पवायं, १०. विज्जाणुप्पवायं, ११. अवंझं,
१२. पाणाऊं, १३. किरियाविसालं, १४. लोगबिंदुसारं३ । १. उप्पायपुव्वस्स णं दस वत्यू,
चत्तारि चूलियावत्यू पण्णत्ता५। २. अग्गेणियस्स णं पुव्वस्स चोद्दस वत्थूप,
बारस चूलियावत्यू पण्णत्ता। ३. वीरियपवायस्स णं पुव्वस्स अट्ठ वत्थू,
अट्ठ चूलियावत्थू पण्णत्ता। ४. अस्थिणत्थिप्पवायस्स णं पुव्वस्स अट्ठारस वत्थू८,
दस चूलियावत्यू पण्णत्ता। ५. नाणप्पवायस्सणं पुव्वस्स बारस वत्थू पण्णत्ता। ६. सच्चप्पवायस्सणं पुव्वस्स दो वत्यू पण्णत्ता। ७. आपप्पवायस्स णं पुव्वस्स सोलस वत्थू पण्णत्ता१०। ८. कम्मप्पवाय णं पुव्वस्स तीसंवत्थू पण्णत्ता। ९. पच्चक्खाणस्स णं पुव्वस्स वीसं वत्थू पण्णत्ता११।
यह सूत्रों का वर्णन है। (३) पूर्वगत
प्र. पूर्वगत कितने प्रकार का है? उ. पूर्वगत चौदह प्रकार का कहा गया है, यथा
१. उत्पादपूर्व, २. अग्रायणीयपूर्व, ३. वीर्यप्रवादपूर्व, ४. अस्तिनास्तिप्रवादपूर्व, ५. ज्ञानप्रवादपूर्व, ६. सत्यप्रवादपूर्व, ७. आत्मप्रवादपूर्व, ८. कर्मप्रवादपूर्व, ९. प्रत्याख्यानप्रवादपूर्व, १०. विद्यानुप्रवादपूर्व, ११. अबन्ध्यपूर्व, १२. प्राणायुपूर्व,
१३. क्रियाविशालपूर्व, १४. लोकबिन्दुसारपूर्व। १. उत्पादपूर्व की दस वस्तु (अधिकार) और चार चूलिकावस्तु
कही गई हैं। २. अग्रायणीय पूर्व की चौदह वस्तु और बारह चूलिकावस्तु कही
गई हैं। ३. वीर्यप्रवादपूर्व की आठ वस्तु और आठ चूलिकावस्तु कही
४. अस्तिनास्तिप्रवाद पूर्व की अठारह वस्तु और दस चूलिकावस्तु
कही गई हैं। ५. ज्ञानप्रवाद पूर्व की बारह वस्तु कही गई हैं। ६. सत्यप्रवादपूर्व की दो वस्तु कही गई हैं। ७. आत्मप्रवाद पूर्व की सोलह वस्तु कही गई हैं। ८. कर्मप्रवाद पूर्व की तीस वस्तु कही गई हैं। ९. प्रत्याख्यान पूर्व की बीस वस्तु कही गई हैं।
१. सम.सम.२२, सु.२ २. (क) दिट्ठिवायस्स णं अट्ठासीई सुत्ताई पण्णत्ताई,
तं जहा-उज्जुसुयं जाव दुपडिग्गह एवं अट्ठासीइ सुत्ताणि
भाणियव्याणि जहा नंदीए। -सम. सम. ८८, सु.२ (ख) से किं तं सुत्ताई?
सुत्ताई बावीस पण्णत्ताई,तं जहा१. उज्जुसुयं जाव २२.दुप्पडिग्गह। इच्चेयाई बावीसं सुत्ताई छिण्णच्छेयणइयाई ससमयसुत्तपरिवाडीए जाव एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठासीतिं सुत्ताई भवंतीति मक्खाय। से तं सुत्ताई।
-नंदी सु. १०८ ३. (क) चउद्दस पुव्या पण्णत्ता,तं जहा
उप्पायपुव्वमग्गेणियं च तइयं च वीरियं पुव्वं अत्थिणत्थिपवायं तत्तो नाणप्पवायपुव्वं च ॥१॥ सच्चप्पवायपुव्वं तत्तो आयप्पवायपुव्वं च। कम्मप्पवायपुव्वं पच्चक्वाण भवे नवमं च ॥२॥ विज्जाणुप्पवायं अवंझ पाणाउ बारसं पुव्वं ।
तत्तो किरियविसाल पुव्वं तह बिंदुसारं च ॥३॥ -सम.सम. १४, सु.२ (ख) से किं तं पुव्वगए?
पुव्वगए चोद्दसविहे पण्णत्ते,तं जहा
१. उप्पायपुव्वं जाव १४. लोगबिंदुसारं। -नंदी, सु. १०९(१) ४. उप्पायपुव्वस्स णं दस वत्यू पण्णत्ता। -ठाणं अ.१०, सु.७३१ (१) ५. उप्पायपुव्वस्स णं चत्तारि चुलियावत्थू पण्णत्ता। -ठाणं, अ.४, सु. ३७८ ६. अग्गेणीयस्सणं पुव्यस्स चउद्दस वत्थू पण्णत्ता। -सम. सम. १४,सु.३ ७. वीरियपुव्वस्स णं अट्ठ वत्यू, अट्ठ चूलियावत्यू पण्णत्ता।
-ठाणं अ.८, सु. ६२९ ८. (क) अत्थिणत्थिप्पवायस्स णं पुव्वस्स अट्ठारस वत्थू पण्णत्ता।
-सम., सम.१८,सु.६ (ख) अत्यिणत्थिप्पवायपुब्बस्स णं दस चूलवत्थू पण्णत्ता।
-ठाणं, अ.१०,सु.७३१(२) ९. सच्चप्पवायस्सणंपुव्वस्स दुवे वत्थू पण्णत्ता।-ठाणं अ२, उ.४, सु. १२० १०. आयप्पवायस्स णं पुव्वस्स सोलस वत्थू पण्णत्ता। -सम. सम.१६, सु. ५ ११. पच्चक्खाणस्स णं पुवस्स वीसं वत्यू पण्णत्ता। -सम. सम.२०, सु.६