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उपयोग अध्ययन
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प. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ
"णेरइया सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता वि?"
उ. गोयमा ! जे णं णेरइया आभिणिबोहियणाण - सुयणाण
ओहिणाण - मइअण्णाण - सुयअण्णाण - विभंगणाणोवउत्ता, तेणं णेरइया सागारोवउत्ता, जे ण णेरइया चक्खुदंसण-अचक्खुदसण
ओहिदंसणोवउत्ता, तेणं णेरइया अणागारोवउत्ता, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ"णेरइया सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता वि।"
दं.२-११.एवं जाव थणियकुमारा। प. दं. १२. पुढविक्काइयाणं भंते ! किं सागारोवउत्ता
अणागारोवउत्ता? उ. गोयमा ! पुढविक्काइया सागारोवउत्ता वि, ___अणागारोवउत्ता वि। प. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चई
"पुढविक्काइया सागारोवउत्ता वि,अणागारोवउत्ता वि?"
उ. गोयमा ! जे णं पुढविक्काइया मइअण्णाण
सुयअण्णाणोवउत्ता, ते णं पुढविकाइया सागारोवउत्ता, जे णं पुढविकाइया अचक्खुदसणोवउत्ता, ते णं पुढविकाइया अणागारोवउत्ता, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ"पुढविकाइया सागारोवउत्ता वि,अणागारोवउत्ता वि।"
प्र. भन्ते ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि
"नैरयिक साकारोपयोगयुक्त भी हैं और अनाकारोपयोगयुक्त
भी हैं?" उ. गौतम ! जो नैरयिक आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान,
अवधिज्ञान, मतिअज्ञान, श्रुतअज्ञान और विभंगज्ञान के उपयोग से युक्त हैं, वे नैरयिक साकारोपयोगयुक्त हैं, जो नैरयिक, चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन और अवधिदर्शन के उपयोग से युक्त हैं, वे नैरयिक अनाकारोपयोगयुक्त हैं। इस कारण से गौतम ! ऐसा कहा जाता है कि"नैरयिक साकारोपयोगयुक्त भी हैं और अनाकारोपयोगयुक्त भी हैं।"
दं.२-११. इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त जानना चाहिए। प्र. दं. १२. भन्ते ! पृथ्वीकायिक साकारोपयोगयुक्त हैं या
अनाकारोपयोगयुक्त हैं? उ. गौतम ! पृथ्वीकायिक साकारोपयोगयुक्त भी हैं और
अनाकारोपयोगयुक्त भी हैं। प्र. भन्ते ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि
"पृथ्वीकायिक साकारोपयोगयुक्त भी हैं और अनाकारोप
योगयुक्त भी हैं ?" उ. गौतम ! जो पृथ्वीकायिक मतिअज्ञान और श्रुतअज्ञान के
उपयोग वाले हैं, वे पृथ्वीकायिक साकारोपयोगयुक्त हैं जो पृथ्वीकायिक अचक्षुदर्शन के उपयोग वाले हैं, वे पृथ्वीकायिक अनाकारोपयोगयुक्त हैं। इस कारण से गौतम ! ऐसा कहा जाता है कि"पृथ्वीकायिक साकारोपयोगयुक्त भी हैं और अनाकारोपयोगयुक्त भी हैं।" दं. १३-१६. इसी प्रकार वनस्पतिकायिकों पर्यन्त जानना
चाहिए। प्र. दं. १७. भन्ते ! द्वीन्द्रिय साकारोपयोगयुक्त हैं या
अनाकारोपयोगयुक्त हैं? उ. गौतम ! द्वीन्द्रिय साकारोपयोगयुक्त भी हैं और
अनाकारोपयोगयुक्त भी हैं। प्र. भन्ते ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि
"द्वीन्द्रिय साकारोपयोगयुक्त भी हैं और अनाकारोपयोगयुक्त
भी हैं?" उ. गौतम ! जो द्वीन्द्रिय आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान,
मतिअज्ञान और श्रुतअज्ञान के उपयोग वाले हैं। वे द्वीन्द्रिय साकारोपयोगयुक्त हैं, जो द्वीन्द्रिय अचक्षुदर्शन के उपयोग से युक्त हैं, वे द्वीन्द्रिय अनाकारोपयोगयुक्त हैं। इस कारण से गौतम ! ऐसा कहा जाता है कि"द्वीन्द्रिय साकारोपयोगयुक्त भी हैं और अनाकारोपयोगयुक्त भी हैं।"
दं.१३-१६. एवं जाव वणप्फइकाइया।
प. दं. १७. बेइंदियाणं भंते ! किं सागारोवउत्ता
अणागारोवउत्तां? उ. गोयमा ! बेइंदिया सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता
वि।
प. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ____ "बेइंदिया सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता वि?"
उ. गोयमा ! जे णं बेइंदिया आभिणिबोहियणाण-सुयणाण -
मइअण्णाण-सुय-अण्णाणोवउत्ता, तेणं बेइंदिया सागारोवउत्ता, जेणं बेइंदिया अचक्खुदंसणोवउत्ता, ते णं बेइंदिया अणागारोवउत्ता, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ"अट्ठसहिया बेइंदिया सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता वि।"