________________
उपयोग अध्ययन
६. चउबीसदंडए उपओगमेयष्यभेयाणं परूवणं
प. ६.१ णैरइयाणं भंते! कचिहे उबओगे पण्णत्ते ?
·
उ. गोयमा ! दुविहे उवओगे पण्णत्ते, तं जहा
१. सागारीय ओगे य, २. अणागारोयओगे
|
प णेरइयाणं भंते! सागारोव ओगे कइविहे पण्णत्ते ?
उ. गोयमा ! छव्विहे पण्णत्ते, तं जहा
१. मइणाणसागारोवओगे,
२. सुयणाणसागारोवओगे,
३. ओहिणाणसागारोवओगे,
४. मइ अण्णाणसागारोवओगे,
५. सुयअण्णाणसागारोवओगे,
६. विभंगणाणसागारोव ओगे।
प रइयाणं भंते! अणागारोवओगे कइविहे पण्णते ?
उ. गोयमा तिविहे पण्णत्ते, तं जहा
१. चक्खुदंसण अणागारोवओगे,
२. अचक्खुदंसणअणागारोवओगे, ३. ओहिदंसण अणागारोवओगे. य
दं. २ ११. एवं जाय थणियकुमाराणं ।
प. दं. १२. पुढविक्काइयाणं भंते ! कइविहे उवओगे पण्णत्ते ?
उ. गोयमा ! दुविहे उवओगे पण्णत्ते, तं जहा
१. सागारोव ओगे य २. अणागारीबओगे य प. पुढविक्काइयाणं भंते ! सागारोवओगे कइविहे पण्णत्ते ?
1
उ. गोयमा ! दुविरे पण्णत्ते तं जहा१. मअण्णाणे,
२. सुयअण्णाणे । प. पुढविक्काइयाणं भंते ! अणागारोवओगे कइविहे पणते ?
उ. गोयमा ! एगे अचक्खुदंसणाणागारोवओगे पण्णत्ते । दं. १३-१६. एवं जाव वणफकाइयाणं ।
प. दं. १७. बेइंदियाणं भंते ! कइविहे उवओगे पण्णत्ते ?
उ. गोयमा दुविहे उचओगे पण्णत्ते, तं जहा
१. सागारोवओगे य २. अणागारोवओगे य४ । प. बेडंदियाणं भंते! सागारोव ओगे कडविडे पण्णत्ते ?
उ. गोयमा ! चव्यिहे पण्णत्ते, तं जहा
१. (क) जीवा. पडि. १, सु. ३२
जीवा. पडि. ३, सु. १०६, १२७ (ख) विया. स. १, उ.५, सु. २६
६. चौबीस दण्डकों में उपयोगों के भेद-प्रभेदों का प्ररूपण
उ.
प्र. दं. १. भन्ते ! नैरयिकों का उपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. साकारोपयोग, २. अनाकारोपयोग
प्र. भन्ते ! नैरियकों का साकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ?
उ. गौतम ! छह प्रकार का कहा गया है, यथा
१. मतिज्ञान- साकारोपयोग,
२. श्रुतज्ञान- साकारोपयोग,
३. अवधिज्ञान साकारोपयोग
४. मतिअज्ञान साकारोपयोग,
५. श्रुतअज्ञान साकारोपयोग
६. विभंगज्ञान साकारोपयोग ।
प्र. भन्ते ! नैरयिकों का अनाकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ?
उ. गौतम ! तीन प्रकार का कहा गया है, यथा
१. चक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग,
२. अचक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग
३. अवधिदर्शन - अनाकारोपयोग।
५६५
दं. २ ११. इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त जानना चाहिए। प्र. दं. १२. भन्ते ! पृथ्वीकायिकों का उपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ?
उ. गौतम ! उपयोग दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. साकारोपयोग २. अनाकारोपयोग ।
प्र. भन्ते ! पृथ्वीकायिकों का साकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ?
उ. गौतम ! दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. मति अज्ञान, २. श्रुतअज्ञान ।
प्र. भन्ते ! पृथ्वीकायिकों का अनाकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ?
उ. गौतम ! एक अचक्षुदर्शन अनाकारोपयोग कहा गया है।
दं. १३-१६. इसी प्रकार वनस्पतिकायिकों पर्यन्त जानना चाहिए।
प्र. दं. १७. भन्ते ! द्वीन्द्रियों का उपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ?
उ. गौतम ! ( उनका उपयोग दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. साकारोपयोग, २. अनाकारोपयोग
प्र. भन्ते । द्वीन्द्रियों का साकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है?
उ. गौतम ! ( उनका उपयोग चार प्रकार का कहा गया है, यथा
जीवा. पडि. १, सु. १३ (१७)
जीवा. पडि. १, सु. १४-२६
२.
३.
४. जीवा. पडि. १, सु. २८