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द्रव्यानुयोग-(१)
- १८. भासा अज्झयणं
१८. भाषा अध्ययन
मुत्र
सूत्र
१. भासासरूवंप. भासा णं भंते !१.किमादीया,
२.किं पहवा, ३.किं संठिया,
४.किं पज्जवसिया? उ. गोयमा !१.भासा णं जीवादीया,
२.सरीरपहवा, ३. वज्जसंठिया, ४.लोगंतपज्जवसिया पण्णत्ता।
गाहाओप. १.भासा कओ य पहवइ?
२.कतिहिं च समएहिं भासती भासं? ३.भासा कतिप्पगारा?
४.कति वा भासा अणुमयाओ? उ. १.सरीरप्पहवा भासा,
२.दोहि य समएहिं भासती भासं। - ३.भासा चउप्पगारा, ४.दोण्णि य भासा अणुमयाओ।
-पण्ण.प.१,सु.८५८-८५९ २. पज्जत्तियाइ भेएण भासापगारा:
प. कइविहा णं भंते ! भासा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दुविहा भासा पण्णत्ता ,तं जहा
१.पज्जत्तिया य,
२.अपज्जत्तिया य। प. पज्जत्तिया णं भन्ते ! भासा कइविहा पण्णत्ता, उ. गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता,तं जहा- .
१. सच्चा य, २. मोसा य। प. सच्चा णं भंते ! भासा पज्जत्तिया कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा
१.जणवयसच्चा, २. सम्मतसच्चा, ३.ठवणासच्चा, ४. णामसच्चा, ५.रूवसच्चा, ६. पडुच्चसच्चा, ७.ववहारसच्चा, ८. भावसच्चा,
९.जोगसच्चा, १०. ओवम्मसच्चा। प. मोसा पां भंते ! भासा पज्जत्तिया कइविहा पण्णत्ता? उ. गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा
१. भाषा का स्वरूपप्र. भन्ते !१. भाषा का मूल कारण क्या है,
२. भाषा की उत्पत्ति कहाँ से होती है, ३. भाषा का आकार कैसा है,
४. भाषा का अन्त कहाँ होता है? उ. गौतम ! १. भाषा का मूल कारण जीव है,
२. भाषा की उत्पत्ति शरीर से होती है, ३. भाषा का आकार वज्र जैसा है, ४. भाषा का अन्त लोकान्त में होता है, ऐसा कहा गया है।
गाथार्थप्र. १. भाषा कहाँ से उत्पन्न होती है,
२. भाषा कितने समयों में बोली जाती है, ३. भाषा कितने प्रकार की है,
४. कितनी भाषाएँ अनुमत है ? उ. १. भाषा शरीर से उत्पन्न होती है,
२. भाषा दो समयों में बोली जाती है, ३. भाषा चार प्रकार की है, ४. दो भाषाएँ अनुमत हैं।
२. पर्याप्तिकादि भेदों से भाषा के प्रकार
प्र. भन्ते ! भाषा कितने प्रकार की कही गई है ? उ. गौतम ! भाषा दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. पर्याप्तिका (प्रतिनियत-निश्चित)
२.अपर्याप्तिका (अप्रतिनियत-अनिश्चित) प्र. भन्ते ! पर्याप्तिका भाषा कितने प्रकार की कही गई है? उ. गौतम ! दो प्रकार की कही गई है, यथा
१. सत्या, २. मृषा। प्र. भन्ते ! सत्या पर्याप्तिका भाषा कितने प्रकार की कही गई है ? उ. गौतम ! दस प्रकार की कही गई है, यथा
१.जनपदसत्या, २. सम्मतसत्या, ३. स्थापनासत्या, ४. नामसत्या, ५.रूपसत्या,
६. प्रतीत्यसत्या, ७. व्यवहारसत्या, ८. भावसत्या,
९. योगसत्या, १०. ओपम्यसत्या। प्र. भन्ते ! मृषा-पर्याप्तिका भाषा कितने प्रकार की कही गई है? उ. गौतम ! दस प्रकार की कही गई है, यथा
१. गाहा-(१)जणवय,(२) सम्मत,(३) ठवणा,(४) णामे,(५)रूवे,(६) पडुच्चसच्चे य, (७) ववहार, (८) भाव,(९) जोगे,(१०) दसमे ओवम्मसच्चे य।
-ठाणं.अ.१०,सु.७४१