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इन्द्रिय अध्ययन
१५ सोइदियओगाहणा जाब फासिदिय ओगाहणा दं. १-२४ एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं ।
णवरं जस्स जइ इंदिया तस्स तावइया ओगाहणा भाणियव्वा । - पण्ण. प. १५, उ. २, सु. १०१४
१८. इंदियाणं ओगाहण-पएसावेक्खा अप्प - बहुत्तं
प. एएसि णं भंते ! सोइंदिय- चक्खिदिय- घाणिंदियजिम्मिंदिय फासिंदियाणं ओगाहणट्ट्याए पएसठाए ओगाहण-एसट्ट्याए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया बा ?
उ. गोयमा ! १. सव्यत्थोवे चक्खिदिए ओगाहणट्ट्याए
२. सोइदिए ओगाहणट्ट्याए संखेज्जगुणे,
३. घाणिदिए ओगाहणबाए संखेज्जगुणे,
४. जिब्भिंदिए ओगाहणट्ठयाए असंखेज्जगुणे,
५. फासिंदिए ओगाहणट्ठयाए संखेज्जगुणे ।
पएसङ्ख्याए
१. सव्वत्थोवे चक्खिदिए पएसट्टयाए. २. सोइंदिए पएसट्टयाए संखेज्जगुणे,
३. घाणिंदिए पएसट्ट्याए संखेज्जगुणे, ४. जिब्भिंदिए पएसट्ट्याए असंखेज्जगुणे, ५. फासिंदिए पएसट्ट्याए संखेज्जगुणे,
ओगाहण-पएसट्ट्याए
१. सव्वत्थोवे चक्खिदिए ओगाहणट्टयाए २. सोइंदिए ओगाहणट्ट्याए संखेज्जगुणे, ३. घाणिंदिए ओगाहणट्ट्याए संखेज्जगुणे,
४. जिब्भिंदिए ओगाहणट्ठयाए असंखेज्जगुणे, ५. फर्सिदिए ओगाहणट्ट्याए संखेज्जगुणे,
६. फासिंदियस्स ओगाहणट्टयाएहिंतो चक्खिदिए एसट्ट्याए अनंतगुणे
७. सोइदिय पएसट्ट्याए संखेज्जगुणे,
८. घाणिदिय पएसट्ट्याए संखेज्जगुणे,
९. जिब्भिंदिय पएसट्ट्याए असंखेज्जगुणे, १०. फासिंदिय पएसट्ट्याए संखेज्जगुणे ।
- पण्ण. प. १५, उ. १, सु. ९७९ १९. इंदियोग्गहस्स भेया चउवीसदंडएस य परूवणंप. कइविहे णं भंते! उग्गहे पण्णत्ते ?
उ. गोयमा ! दुविहे उग्गहे पण्णत्ते, तं जहा१. अत्थोग्गहे य, २ . वंजणोग्गहे य।
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१. श्रोत्रेन्द्रिय अवग्रहण यावत् ५. स्पर्शेन्द्रिय अवग्रहण |
दं. १-२४ इसी प्रकार नारकों से वैमानिकों पर्यन्त पूर्ववत् कहना चाहिए।
विशेष- जिसके जितनी इन्द्रियाँ हों, उसके उतने ही इन्द्रियावग्रहण कहने चाहिए।
१८. इन्द्रियों की अवगाहना और प्रदेशों की अपेक्षा से अल्पबहुत्व
प्र. भन्ते इन श्रोत्रेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, जिह्वेन्द्रिय और स्पर्शेन्द्रिय में से अवगाहना की अपेक्षा से प्रदेशों की अपेक्षा से तथा अवगाहना और प्रदेशों की अपेक्षा से कौन किससे अल्प यावत् विशेषाधिक है ?
उ. गौतम ! १. अवगाहना की अपेक्षा से सबसे अल्प चक्षुरिन्द्रिय है।
२. ( उससे ) अवगाहना की अपेक्षा श्रोत्रेन्द्रिय संख्यातगुणी है।
३. ( उससे ) अवगाहना की अपेक्षा घ्राणेन्द्रिय संख्यातगुणी है।
४. ( उससे ) अवगाहना की अपेक्षा जिह्वेन्द्रिय असंख्यात - गुणी है।
५. ( उससे ) अवगाहना की अपेक्षा स्पर्शेन्द्रिय संख्यातगुणी है।
प्रदेशों की अपेक्षा
१. सबसे अल्प चक्षुरिन्द्रिय है,
२. ( उससे ) प्रदेशों की अपेक्षा श्रोत्रेन्द्रिय संख्यातगुणी है,
३. ( उससे) प्रदेशों की अपेक्षा घ्राणेन्द्रिय संख्यातगुणी है,
४. ( उससे) प्रदेशों की अपेक्षा जिकेन्द्रिय असंख्यातगुणी है, ५. (उससे) प्रदेशों की अपेक्षा स्पर्शेन्द्रिय संख्यातगुणी है।
अवगाहना और प्रदेशों की अपेक्षा
१. अवगाहना की अपेक्षा सबसे अल्प चक्षुरिन्द्रिय है,
२. ( उससे ) अयगाहना की अपेक्षा श्रोत्रेन्द्रिय संस्थातगुणी है,
३. (उससे ) अबगाडना की अपेक्षा घ्राणेन्द्रिय संख्यातगुणी है, ४. ( उससे ) अवगाहना की अपेक्षा जिह्वेन्द्रिय असंख्यातगुणी हैं, ५. ( उससे ) अवगाहना की अपेक्षा स्पर्शेन्द्रिय संख्यातगुणी है,
६. स्पर्शेन्द्रिय की अवगाहना से प्रदेशों की अपेक्षा चक्षुरिन्द्रिय अनन्तगुणी है,
७. (उससे) प्रदेशों की अपेक्षा श्रोत्रेन्द्रिय संख्यातगुणी है, ८. ( उससे प्रदेशों की अपेक्षा प्राणेन्द्रिय संख्यातगुणी है, ९. ( उससे) प्रदेशों की अपेक्षा जिह्वेन्द्रिय असंख्यातगुणी है, १०. (उससे) प्रदेशों की अपेक्षा स्पर्शेन्द्रिय संख्यातगुणी है।
१९. इन्द्रियावग्रह के भेद और चौवीस दंडकों में प्ररूपणप्र. भन्ते! अवग्रह कितने प्रकार का कहा गया है ? उ. गौतम ! अवग्रह दो प्रकार का कहा गया है, यथा१. अर्थाचग्रह, २. व्यंजनावग्रह |