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इन्द्रिय अध्ययन
दं.१७ एवं बेइंदियाण वि। णवरं-बद्धेल्लगा दोण्णि। दं.१८ एवं तेइंदियस्स वि। णवर-बद्धेल्लगा चत्तारि। द.१९ एवं चरिंदियस्स वि। णवर-बद्धेल्लगा छ। दं.२०-२४.पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय-मणूस्स, वाणमंतर-जोइसिय-सोहम्मीसाणगदेवस्स जहा असुरकुमारस्स। णवर-मणूसस्स पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि, कस्सइ णत्थि।
जस्सऽत्थि अट्ठ वा, नव वा, संखेज्जा वा, असंखेज्जा वा, अणंता वा। सणंकुमार-माहिंद-बंभ-लंतग-सुक्क-सहस्सार-आणयपाणय-आरण-अच्चुय-गेवेज्जगदेवस्स यजहा नेरइयस्स।
दं. १७. इसी प्रकार द्वीन्द्रिय भी हैं। विशेष-बद्ध द्रव्येन्द्रियां दो हैं। द.१८. इसी प्रकार त्रीन्द्रिय की भी हैं। विशेष-बद्ध द्रव्येन्द्रियां चार हैं। दं.१९. इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय की भी हैं। विशेष-बद्ध द्रव्येन्द्रियाँ छ हैं। दं.२०-२४. पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च योनिक, मनुष्य, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और सौधर्म ईशान देव की अतीत द्रव्येन्द्रियाँ असुरकुमारों के जैसी हैं। विशेष-भावी द्रव्येन्द्रियां किसी मनुष्य के होती हैं और किसी के नहीं होती। जिसके होती हैं, उसके आठ, नौ, संख्यात, असंख्यात अथवा अनन्त होती हैं। सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्मलोक, लान्तक, शुक्र, सहस्रार, आनत,प्राणत, आरण, अच्युत और ग्रैवेयक देवों की अतीत
द्रव्येन्द्रियां नैरयिकों के समान है। प्र. भन्ते ! विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित विमानवासी
प्रत्येक देव की अतीत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! अनन्त हैं। प्र. बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! आठ हैं। प्र. भावी द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! आठ, सोलह, चौबीस या संख्यात होती हैं।
प. एगमेगस्स णं भंते ! विजय-वेजयंत-जयंत
अपराजियदेवस्स केवइया दबिंदिया अतीता? उ. गोयमा ! अणंता। प. केवइया बद्धेल्लगा? उ. गोयमा ! अट्ठ। प. केवइया पुरेक्खडा? उ. गोयमा ! अट्ठ वा, सोलस वा, चउवीसा वा,
संखेज्जा वा। सव्वट्ठसिद्धगदेवस्स अतीता अणंता, बद्धेल्लगा अट्ठ,
पुरेक्खडा अट्ठ। प. दं.१णेरइयाणं भंते ! केवइया दव्विंदिया अतीता? उ. गोयमा!अणंता। प. केवइया बद्धेल्लगा? उ. गोयमा ! असंखेज्जा। प. केवइया पुरेक्खडा? उ. गोयमा ! अणंता।
एवं जाव गेवेज्जगदेवाणं। णवरं-मणूसाणं बद्धेल्लगा सिय संखेज्जा, सिय
असंखेज्जा। प. विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजिय देवाणं भंते! केवइया
दव्विंदिया पण्णत्ता? उ. गोयमा ! अतीता अणंता, बद्धेल्लगा असंखेज्जा,
पुरेक्खडा असंखेज्जा। प. सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं भंते ! केवइया दबिंदिया पण्णता? उ. गोयमा ! अतीता अणंता, बद्धेल्लगा संखेज्जा, पुरेक्खडा .. संखेज्जा। प. द.१. एगमेगस्स णं भंते ! णेरइयस्स णेरइयत्ते केवइया
दग्विंदिया अतीता?
सर्वार्थसिद्ध देव की अतीत द्रव्येन्द्रियां अनन्त हैं, बद्ध
द्रव्येन्द्रियां आठ और भावी द्रव्येन्द्रियां भी आठ होती हैं। प्र. दं.१.भन्ते ! नारकों की अतीत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! अनन्त हैं। प्र. भन्ते ! बद्ध द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! असंख्य हैं। प्र. पुरस्कृत द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! अनन्त हैं।
इसी प्रकार अवेयक देवों पर्यन्त जानना चाहिए। विशेष-मनुष्यों की बद्ध द्रव्येन्द्रियां कभी संख्यात हैं और कभी
असंख्यात हैं। प्र. भन्ते ! विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित देवों की
द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! अतीत अनन्त हैं, बद्ध असंख्यात हैं, पुरस्कृत
असंख्यात हैं। प्र. भन्ते ! सर्वार्थसिद्ध देवों की द्रव्येन्द्रियां कितनी हैं ? उ. गौतम ! इनकी अतीत द्रव्येन्द्रियां अनन्त हैं, बद्ध संख्यात हैं,
पुरस्कृत भी संख्यात हैं। प्र. दं. १. भन्ते ! एक-एक नैरयिक की नैरयिकपने में अतीत
द्रव्येन्द्रियां कितनी है?